"वसंत कानेटकर" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ २४: | ओळ २४: | ||
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| इथे ओशाळला मृत्यू||नाटक || || |
| इथे ओशाळला मृत्यू||नाटक || || |
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| एक रूप- अनेक रंग||नाटक || || |
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| कधीतरी कोठेतरी||नाटक || || |
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| कवी आणि कवित्व|| || धी गोवा हिंदु असोसिएशन || |
| कवी आणि कवित्व|| || धी गोवा हिंदु असोसिएशन || |
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| कस्तुरीमृग||नाटक || || |
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| गगनभेदी|| नाटक|| || |
| गगनभेदी|| नाटक|| || |
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| गाठ आहे माझ्याशी||नाटक || || |
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| छू मंतर|| || मॅजेस्टिक प्रकाशन || |
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| बेइमान||नाटक || || |
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| गोष्ट जन्मांतरीची||नाटक || पॉपुलर प्रकाशन|| |
| गोष्ट जन्मांतरीची||नाटक || पॉपुलर प्रकाशन|| |
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| छू मंतर|| नाटक || || |
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| जिथे गवतास भाले फुटतात||नाटक || परचुरे प्रकाशन || |
| जिथे गवतास भाले फुटतात||नाटक || परचुरे प्रकाशन || |
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| तुझा तू वाढवी राजा||नाटक || पॉप्युलर प्रकाशन || |
| तुझा तू वाढवी राजा||नाटक || पॉप्युलर प्रकाशन || |
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| तू तर चाफेकळी||नाटक || || |
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| देवांचे मनोराज्य||नाटक || || |
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| दोन ध्रुवांवर दोघे आपण||नाटक || || |
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| नलदमयंती||नाटक || परचुरे प्रकाशन|| |
| नलदमयंती||नाटक || परचुरे प्रकाशन|| |
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| पंखांना ओढ पावलांची||नाटक|| कॉंटिनेंटल प्रकाशन || |
| पंखांना ओढ पावलांची||नाटक|| कॉंटिनेंटल प्रकाशन || |
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| प्रिय आईस||नाटक || || |
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| प्रेमाच्या गावा जावे|| नाटक|| पॉपुलर प्रकाशन || |
| प्रेमाच्या गावा जावे|| नाटक|| पॉपुलर प्रकाशन || |
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ओळ ४५: | ओळ ६३: | ||
| प्रेमा तुझा रंग कसा ||नाटक || पॉप्युलर प्रकाशन || |
| प्रेमा तुझा रंग कसा ||नाटक || पॉप्युलर प्रकाशन || |
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| फक्त एकच कारण||नाटक || || |
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| बेइमान||नाटक || || |
| बेइमान||नाटक || || |
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| मत्स्यगंधा || नाटक|| || |
| मत्स्यगंधा || नाटक|| || |
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| मदनबाधा||नाटक || || |
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| मद्राशीने केला मराठी भ्रतार|| || पॉप्युलर प्रकाशन|| |
| मद्राशीने केला मराठी भ्रतार|| || पॉप्युलर प्रकाशन|| |
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ओळ ५३: | ओळ ७५: | ||
| मला काही सांगायचंय||नाटक || पॉप्युलर प्रकाशन|| |
| मला काही सांगायचंय||नाटक || पॉप्युलर प्रकाशन|| |
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| माणसाला डंख मातीचा||नाटक || || |
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| मास्तर एके मास्तर||नाटक || || |
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| मीरा मधुरा||नाटक || || |
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| मोहिनी||नाटक || || |
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| रंग उमलत्या मनाचे||नाटक || परचुरे प्रकाशन || |
| रंग उमलत्या मनाचे||नाटक || परचुरे प्रकाशन || |
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ओळ ६२: | ओळ ९२: | ||
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| विषवृक्षाची छाया|| नाटक|| पॉप्युलर प्रकाशन || |
| विषवृक्षाची छाया|| नाटक|| पॉप्युलर प्रकाशन || |
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| वेड्याचं घर उन्हात||नाटक || || |
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| शहाण्याला मार शब्दांचा|| || परचुरे प्रकाशन || |
| शहाण्याला मार शब्दांचा|| || परचुरे प्रकाशन || |
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ओळ ७५: | ओळ १०७: | ||
| हिमालयाची सावली||नाटक || पॉप्युलर प्रकाशन || |
| हिमालयाची सावली||नाटक || पॉप्युलर प्रकाशन || |
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==गौरव== |
==गौरव== |
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* अध्यक्ष, [[मराठी साहित्य संमेलन]], [[ठाणे]], इ.स. १९८८ |
* अध्यक्ष, [[मराठी साहित्य संमेलन]], [[ठाणे]], इ.स. १९८८ |
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वसंत कानेटकर यांच्या नावाने रंगत |
वसंत कानेटकर यांच्या नावाने रंगत-संगत प्रतिष्ठानतर्फे [[वसंत कानेटकर स्मृति पुरस्कार]] दिला जातो. |
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== पुरस्कार == |
== पुरस्कार == |
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* इ.स. १९६६ |
* इ.स. १९६६ साली सर्वोत्कृष्ट कथेसाठी [[फिल्मफेअर पुरस्कार|फिल्मफेअर पुरस्कार]] ( हिंदी चित्रपटः आँसू बन गये फूल, मूळ मराठी नाटकः अश्रूंची झाली फूले) |
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* इ.स. |
* इ.स. १९९२मध्ये [[पद्मश्री पुरस्कार]] |
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{{मराठी संगीत रंगभूमी}} |
{{मराठी संगीत रंगभूमी}} |
१९:०३, ११ मार्च २०१२ ची आवृत्ती
वसंत शंकर कानेटकर (मार्च २०, इ.स. १९२०; रहिमतपूर, सातारा जिल्हा, महाराष्ट्र - जानेवारी ३१, इ.स. २००१) हे मराठी नाटककार होते.
जीवन
कानेटकरांचा जन्म मार्च २०, इ.स. १९२० रोजी सातारा जिल्ह्यातील रहिमतपूर येथे झाला. मराठी भाषेतील कवी गिरीश त्यांचे वडील होते. नाटककार प्रा. वसंत कानेटकर यांचे अखेपर्यंत वास्तव्य नाशिक येथील ‘शिवाई’ बंगला येथे होते. प्रिन्सिपल गोखले एज्युकेशन सोसायटीच्या महाविद्यालयात अध्यापनाचे काम अनेक वर्षे केले.
संगीत नाटक
प्रकाशित साहित्य
कानेटकरांनी ४० नाटके व ३ कादंबर्या लिहिल्या. त्यांची नाटके व्यावसायिक दृष्ट्या खूप यशस्वी झाली.
नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
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अखेरचा सवाल | नाटक | ||
अश्रूंची झाली फुले | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
आकाशमिठी | परचुरे प्रकाशन | ||
इथे ओशाळला मृत्यू | नाटक | ||
एक रूप- अनेक रंग | नाटक | ||
कधीतरी कोठेतरी | नाटक | ||
कवी आणि कवित्व | धी गोवा हिंदु असोसिएशन | ||
कस्तुरीमृग | नाटक | ||
गगनभेदी | नाटक | ||
गाठ आहे माझ्याशी | नाटक | ||
बेइमान | नाटक | ||
गोष्ट जन्मांतरीची | नाटक | पॉपुलर प्रकाशन | |
छू मंतर | नाटक | ||
जिथे गवतास भाले फुटतात | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
तुझा तू वाढवी राजा | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
तू तर चाफेकळी | नाटक | ||
देवांचे मनोराज्य | नाटक | ||
दोन ध्रुवांवर दोघे आपण | नाटक | ||
नलदमयंती | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
पंखांना ओढ पावलांची | नाटक | कॉंटिनेंटल प्रकाशन | |
प्रिय आईस | नाटक | ||
प्रेमाच्या गावा जावे | नाटक | पॉपुलर प्रकाशन | |
प्रेमा तुझा रंग कसा | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
फक्त एकच कारण | नाटक | ||
बेइमान | नाटक | ||
मत्स्यगंधा | नाटक | ||
मदनबाधा | नाटक | ||
मद्राशीने केला मराठी भ्रतार | पॉप्युलर प्रकाशन | ||
मला काही सांगायचंय | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
माणसाला डंख मातीचा | नाटक | ||
मास्तर एके मास्तर | नाटक | ||
मीरा मधुरा | नाटक | ||
मोहिनी | नाटक | ||
रंग उमलत्या मनाचे | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
रायगडाला जेव्हा जाग येते | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
लेकुरे उदंड झाली | नाटक | ||
वादळ माणसाळतंय | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
विषवृक्षाची छाया | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
वेड्याचं घर उन्हात | नाटक | ||
शहाण्याला मार शब्दांचा | परचुरे प्रकाशन | ||
शिवशाहीचा शोध | परचुरे प्रकाशन | ||
सुख पाहता | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
सूर्याची पिल्ले | नाटक | ||
सोनचाफा | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
हिमालयाची सावली | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन |
गौरव
- अध्यक्ष, मराठी साहित्य संमेलन, ठाणे, इ.स. १९८८
वसंत कानेटकर यांच्या नावाने रंगत-संगत प्रतिष्ठानतर्फे वसंत कानेटकर स्मृति पुरस्कार दिला जातो.
पुरस्कार
- इ.स. १९६६ साली सर्वोत्कृष्ट कथेसाठी फिल्मफेअर पुरस्कार ( हिंदी चित्रपटः आँसू बन गये फूल, मूळ मराठी नाटकः अश्रूंची झाली फूले)
- इ.स. १९९२मध्ये पद्मश्री पुरस्कार