"मिलिंद बोकील" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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| एकम् || कादंबरी || मौज प्रकाशन || १ जून २००८ |
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| कहाणी पाचगावची || वैचारिक || मौज प्रकाशन || १ जून २००८ |
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| कातकरी समाज विकास आणि व्यवस्थापन || वैचारिक || मौज प्रकाशन || |
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| जनाचे अनुभव पुसतां || सामाजिक लेखसंग्रह || मौज प्रकाशन || १० जून २००२ |
| जनाचे अनुभव पुसतां || सामाजिक लेखसंग्रह || मौज प्रकाशन || १० जून २००२ |
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| झेन गार्डन || कथासंग्रह || मौज प्रकाशन || २००० |
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| धुनी तरुणाई || आत्मकथन (सहलेखक अमर हबीब) ||परिसर प्रकाशन || |
| धुनी तरुणाई || आत्मकथन (सहलेखक अमर हबीब) ||परिसर प्रकाशन || |
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| महेश्वर नेचर पार्क || कादंबरी || |
| महेश्वर नेचर पार्क || कादंबरी || मौज प्रकाशन || |
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| मार्ग || कादंबरी || मौज प्रकाशन || २०१५ |
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| रण-दुर्ग || कादंबरी || मौज प्रकाशन || |
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| वाटा आणि मुक्काम ||आत्मकथन (सहलेखक [[आशा बगे]], [[भारत सासणे]], [[सानिया]] || मौज प्रकाशन || |
| वाटा आणि मुक्काम ||आत्मकथन (सहलेखक [[आशा बगे]], [[भारत सासणे]], [[सानिया]] || मौज प्रकाशन || |
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| समुद्र || कादंबरी (+आॅडिओ बुक + नाटक) || मौज प्रकाशन || |
| समुद्र || कादंबरी (+आॅडिओ बुक + नाटक) || मौज प्रकाशन || |
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| [[समुद्रापारचे समाज]] || प्रवासवर्णन || || २००० |
| [[समुद्रापारचे समाज]] || प्रवासवर्णन || मौज प्रकाशन || २००० |
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| सरोवर || कादंबरी || मौज प्रकाशन || |
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| साहित्य, भाषा आणि समाज मार्ग || वैचारिक || मौज प्रकाशन || |
| साहित्य, भाषा आणि समाज मार्ग || वैचारिक || मौज प्रकाशन || |
२०:१७, ५ डिसेंबर २०१८ ची आवृत्ती
मिलिंद बोकील | |
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जन्म नाव | मिलिंद बोकील |
जन्म | १ मे १९६० |
कार्यक्षेत्र | साहित्य, सामाजिक कार्य |
भाषा | मराठी |
प्रसिद्ध साहित्यकृती | शाळा |
मिलिंद बोकील (जन्मदिनांक १ मे १९६० - हयात) हे मराठी लेखक, सामाजिक कार्यकर्ते आहेत. त्यांनी मराठी व इंग्रजी भाषांतून लेखन केले आहे. मिलिंद बोकील हे बारावीनंतरच जयप्रकाश नारायण यांच्या चळवळीशी जोडले गेले. त्यांच्या "छात्र युवा संघर्ष वाहिनी‘त ते काम करत होते.
मिलिंद बोकील यांची पहिली कथा त्यांनी वयाच्या २१व्या वर्षी लिहिली. ’पुन्हा सूर्य, पुन्हा प्रकाश‘ ही ती कथा. ती १९८१ मध्ये किर्लोस्कर मासिकात प्रसिद्ध झाली. ती पुष्कळ गाजली.
मिलिंदे बोकील यांनी पुणे विद्यापीठातून समाजशास्त्र विषयात डॉक्टरेट मिळवली आहे. त्यांचा डॉक्टरेटसाठीचा ’कातकरी - विकास की विस्थापन?‘ हा प्रबंध महाराष्ट्रातल्या दुष्काळग्रस्त भागांतील सहकारी पाणी व्यवस्थापनावर आधारित होता. विविध सरकारी समित्यांवर, प्रशिक्षण संस्था व बिगरशासकीय संघटनांमध्ये प्रकल्प साहाय्यक, संशोधन साहाय्यक, प्रकल्प समन्वयक, मुख्य संशोधन अधिकारी अशा विविध पदांवर त्यांनी काम केले आहे.
मिलिंद बोकील यांच्या 'शाळा' या कादंबरीवर 'ग म भ न' ही एकांकिका व नाटक झाले. नंतर तिच्यावरून मिलिंद उके दिग्दर्शित 'हमने जीना सीख लिया' हा हिंदी, व सुजय डहाके दिग्दर्शित 'शाळा', असे दोन चित्रपट. निघाले.
'समुद्र' या कादंबरीवर आधारित नाटकामधून श्रेया बुगडे प्रथमच रंगभूमीवर आली.
विक्रांत पांडे यांनी 'शाळा' कादंबरीचे इंग्रजी भाषांतर करून प्रकाशित केले आहे. पद्मजा घोरपड़े यांनी 'समुद्र'चे 'समंदर' नावाचे हिंदी भाषांतर केले आहे.
कार्यक्षेत्रे
- नैसर्गिक स्रोत व्यवस्थापन व उपजीविका
- लैंगिकताविषयक समस्या
- आदिवासी व ग्रामीण समस्या
- आपत्ती व्यवस्थापन
मिलिंद बोकील यांची कौशल्ये
- संशोधन व दस्तऐवजीकरण
- मूल्यमापन व निरीक्षण
- मनुष्यबळ प्रशिक्षण व क्षमताविकास
प्रकाशित साहित्य
नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
---|---|---|---|
उदकाचिया आर्ती | कथासंग्रह | मौज प्रकाशन | - |
एकम् | कादंबरी | मौज प्रकाशन | १ जून २००८ |
कहाणी पाचगावची | वैचारिक | मौज प्रकाशन | १ जून २००८ |
कातकरी समाज विकास आणि व्यवस्थापन | वैचारिक | मौज प्रकाशन | |
कार्य आणि कार्यकर्ते | वैचारिक | मौज प्रकाशन | |
गवत्या | कादंबरी | मौज प्रकाशन | |
गांधी, विनोबा आणि जयप्रकाश | वैचारिक | मॅजेस्टिक पब्लिशिंग हाऊस | जून २०१८ |
गोष्ट मेंढा गावाची | वैचारिक | ||
जनाचे अनुभव पुसतां | सामाजिक लेखसंग्रह | मौज प्रकाशन | १० जून २००२ |
झेन गार्डन | कथासंग्रह | मौज प्रकाशन | २००० |
धुनी तरुणाई | आत्मकथन (सहलेखक अमर हबीब) | परिसर प्रकाशन | |
महेश्वर नेचर पार्क | कादंबरी | मौज प्रकाशन | |
मार्ग | कादंबरी | मौज प्रकाशन | २०१५ |
रण-दुर्ग | कादंबरी | मौज प्रकाशन | |
वाटा आणि मुक्काम | आत्मकथन (सहलेखक आशा बगे, भारत सासणे, सानिया | मौज प्रकाशन | |
शाळा | कादंबरी | मौज प्रकाशन | १४ जून २००४ |
समुद्र | कादंबरी (+आॅडिओ बुक + नाटक) | मौज प्रकाशन | |
समुद्रापारचे समाज | प्रवासवर्णन | मौज प्रकाशन | २००० |
सरोवर | कादंबरी | मौज प्रकाशन | |
साहित्य, भाषा आणि समाज मार्ग | वैचारिक | मौज प्रकाशन |
पुरस्कार
- शाळा या मराठी चित्रपटाला २०११ सालचा राष्ट्रीय चित्रपट पुरस्कार मिळाला.
- 'प्रिय जी.ए. कथाकार' पुरस्कार (२०१२)