"युसुफखान महंमदखान पठाण" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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''डॉ.'' '''युसुफखान महंमदखान पठाण''' ([[इ.स. १९३०|१९३०]] - हयात) हे [[मराठी भाषा|मराठी भाषेतील]] लेखक व संतसाहित्याचे अभ्यासक आणि भाष्यकार आहेत. भारतात आणि भारताबाहेर ते ख्यातनाम आहेत. लघुकाथालेखक, ललित लेख, व्यक्तिच्त्रे, हे वाङ्मयप्रकार यू. म. पठाण यांनी हाताळले आहेत. भाषाविज्ञान व सांस्कृतिक अध्ययन संशोधन या क्षेत्रांतही डॉ. पठाण यांनी कार्य केले आहे. फार्सी-मराठी अनुबंध या विषयावर त्यांनी बरेच लिखाण केले आहे. दिल्लीच्या बिर्ला फाउंडेशनने तुलनात्मक भारतीय भाषाध्ययनासाठी त्यांना राष्ट्रीय गौरववृत्ती देऊन त्यांचा सन्मान केला होता. |
''डॉ.'' '''युसुफखान महंमदखान पठाण''' १ मार्च ([[इ.स. १९३०|१९३०]] - हयात) हे [[मराठी भाषा|मराठी भाषेतील]] लेखक व संतसाहित्याचे अभ्यासक आणि भाष्यकार आहेत. भारतात आणि भारताबाहेर ते ख्यातनाम आहेत. लघुकाथालेखक, ललित लेख, व्यक्तिच्त्रे, हे वाङ्मयप्रकार यू. म. पठाण यांनी हाताळले आहेत. भाषाविज्ञान व सांस्कृतिक अध्ययन संशोधन या क्षेत्रांतही डॉ. पठाण यांनी कार्य केले आहे. फार्सी-मराठी अनुबंध या विषयावर त्यांनी बरेच लिखाण केले आहे. दिल्लीच्या बिर्ला फाउंडेशनने तुलनात्मक भारतीय भाषाध्ययनासाठी त्यांना राष्ट्रीय गौरववृत्ती देऊन त्यांचा सन्मान केला होता. |
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==शिक्षण== |
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यू.म.पठाण यांनी एम.ए., बी.टी., झाल्यावर पीएच.डी.(मराठी), पीएच.डी.(हिंदी) करून तत्त्वज्ञानामध्ये डी.लिट. ही पदवी मिळवली आहे. |
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==अध्यापन== |
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* १९५३-१९५९ : दयानंद महाविद्यालय, सोलापूर |
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* १९६०-१९९० : मराठवाडा विद्यापीठात मराठीचे प्राध्यापक, १९७३पासून मराठीचे विभाग प्रमुख. |
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त्यांनी औरंगाबाद येथील डॉ. आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठाचे कुलगुरुपदसुद्धा भूषविले आहे. |
त्यांनी औरंगाबाद येथील डॉ. आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठाचे कुलगुरुपदसुद्धा भूषविले आहे. |
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==पुरस्कार== |
==मानसमान आणि पुरस्कार== |
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* पद्मश्री पुरस्कार २००७ |
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* १९७२ : ’मराठी बखरीतील फार्सीचे स्वरूप’ या ग्रंथासाठी राज्यपुरस्कार |
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== संकीर्ण == |
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* १९७२ : अतिथी प्राध्यापक(चेकोस्लाव्हाकिया) |
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डॉ. यू. म. पठाण १९९० साली पुणे येथे झालेल्या त्रेसष्टाव्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष होते. |
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* १९७६ : आदर्श शिक्षक(राज्य पुरस्कार) |
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* १९८२ : ब्रिटिश काउन्सिलची फेलोशिप(लंडन विश्वविद्यालय) |
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* १९८४ : विद्यापीठ अनुदान मंडळाकडून राष्ट्रीय प्राध्यापक म्हणून निवड |
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* १९८४ : ’संतसाहित्य चिंतन’साठी महाराष्ट्र साहित्य परिषदेचा पुरस्कार |
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* १९८८ : सोळाव्या मराठवाडा साहित्य संमेलनाचे अध्यक्षपद |
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* १९८८ : अखिल भारतीय दलित साहित्य अकादमीची डॉ. आंबेडकर फेलोशिप |
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* १९९० : पुणे येथे झालेल्या त्रेसष्टाव्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनाचे अध्यक्षपद |
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* १९९०-१९९२ : विद्यापीठ अनुदान मंडळाकडून सुप्रतिष्ठित प्राध्यापक म्हणून मान्यता |
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* १९९२ : कौमी तंजीयचा राष्ट्रीय एकात्म्ता पुरस्कार |
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* १९९५ : संतसाहित्यविषयक परिवर्तन पुरस्कार |
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* १९९८ : आचार्य अत्रे पुरस्कार |
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* १९९९ : मराठवाडा गौरव पुरस्कार |
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* २००० : पुरोहितस्वामी पुरस्कार |
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* २००० : साहित्य संस्कृति मंडळाची गौरववृत्ती |
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* २००१ : दिल्लीच्या बिर्ला फाउंडेशनची राष्ट्रीय फेलोशिप |
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* २००१-०२ : दलितमित्र पुरस्कार |
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* २००२ : देहू संस्थानचा जगद्गुरु पुरस्कार |
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* २००३ : मणिभाई देसाई राष्ट्रसेवा पुरस्कार |
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* २००४ : डॉ. कपाळे साहित्य पुरस्कार(वीरशैव साहित्य पुरस्कार) |
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* २००७ : भारत सरकारचा पद्मश्री पुरस्कार |
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१३:५७, २ ऑगस्ट २०१२ ची आवृत्ती
डॉ. युसुफखान महंमदखान पठाण १ मार्च (१९३० - हयात) हे मराठी भाषेतील लेखक व संतसाहित्याचे अभ्यासक आणि भाष्यकार आहेत. भारतात आणि भारताबाहेर ते ख्यातनाम आहेत. लघुकाथालेखक, ललित लेख, व्यक्तिच्त्रे, हे वाङ्मयप्रकार यू. म. पठाण यांनी हाताळले आहेत. भाषाविज्ञान व सांस्कृतिक अध्ययन संशोधन या क्षेत्रांतही डॉ. पठाण यांनी कार्य केले आहे. फार्सी-मराठी अनुबंध या विषयावर त्यांनी बरेच लिखाण केले आहे. दिल्लीच्या बिर्ला फाउंडेशनने तुलनात्मक भारतीय भाषाध्ययनासाठी त्यांना राष्ट्रीय गौरववृत्ती देऊन त्यांचा सन्मान केला होता.
शिक्षण
यू.म.पठाण यांनी एम.ए., बी.टी., झाल्यावर पीएच.डी.(मराठी), पीएच.डी.(हिंदी) करून तत्त्वज्ञानामध्ये डी.लिट. ही पदवी मिळवली आहे.
अध्यापन
- १९५३-१९५९ : दयानंद महाविद्यालय, सोलापूर
- १९६०-१९९० : मराठवाडा विद्यापीठात मराठीचे प्राध्यापक, १९७३पासून मराठीचे विभाग प्रमुख.
त्यांनी औरंगाबाद येथील डॉ. आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठाचे कुलगुरुपदसुद्धा भूषविले आहे.
प्रकाशित साहित्य
मानसमान आणि पुरस्कार
- १९७२ : ’मराठी बखरीतील फार्सीचे स्वरूप’ या ग्रंथासाठी राज्यपुरस्कार
- १९७२ : अतिथी प्राध्यापक(चेकोस्लाव्हाकिया)
- १९७६ : आदर्श शिक्षक(राज्य पुरस्कार)
- १९८२ : ब्रिटिश काउन्सिलची फेलोशिप(लंडन विश्वविद्यालय)
- १९८४ : विद्यापीठ अनुदान मंडळाकडून राष्ट्रीय प्राध्यापक म्हणून निवड
- १९८४ : ’संतसाहित्य चिंतन’साठी महाराष्ट्र साहित्य परिषदेचा पुरस्कार
- १९८८ : सोळाव्या मराठवाडा साहित्य संमेलनाचे अध्यक्षपद
- १९८८ : अखिल भारतीय दलित साहित्य अकादमीची डॉ. आंबेडकर फेलोशिप
- १९९० : पुणे येथे झालेल्या त्रेसष्टाव्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनाचे अध्यक्षपद
- १९९०-१९९२ : विद्यापीठ अनुदान मंडळाकडून सुप्रतिष्ठित प्राध्यापक म्हणून मान्यता
- १९९२ : कौमी तंजीयचा राष्ट्रीय एकात्म्ता पुरस्कार
- १९९५ : संतसाहित्यविषयक परिवर्तन पुरस्कार
- १९९८ : आचार्य अत्रे पुरस्कार
- १९९९ : मराठवाडा गौरव पुरस्कार
- २००० : पुरोहितस्वामी पुरस्कार
- २००० : साहित्य संस्कृति मंडळाची गौरववृत्ती
- २००१ : दिल्लीच्या बिर्ला फाउंडेशनची राष्ट्रीय फेलोशिप
- २००१-०२ : दलितमित्र पुरस्कार
- २००२ : देहू संस्थानचा जगद्गुरु पुरस्कार
- २००३ : मणिभाई देसाई राष्ट्रसेवा पुरस्कार
- २००४ : डॉ. कपाळे साहित्य पुरस्कार(वीरशैव साहित्य पुरस्कार)
- २००७ : भारत सरकारचा पद्मश्री पुरस्कार