"श्रीकृष्ण केशव क्षीरसागर" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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| निवडक श्री.के. क्षीरसागर || लेखसंकलन || साहित्य अकादमी || |
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| बायकांची सभा || प्रहसन || || १९२६ |
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| राक्षसविवाह || || || १९४० |
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| व्यक्ती आणि वाङ्मय || समीक्षा || || १९३७ |
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प्रा. श्री.के. क्षीरसागर [[इ.स. १९५९|१९५९]] साली [[मिरज|मिरजेला]] भरलेल्या [[अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन| अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनाचे]] अध्यक्ष होते. |
* प्रा. श्री.के. क्षीरसागर [[इ.स. १९५९|१९५९]] साली [[मिरज|मिरजेला]] भरलेल्या [[अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन| अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनाचे]] अध्यक्ष होते. |
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* महाराष्ट्र सरकार दर वर्षी वाङ्मयीन समीक्षेवरच्या एका ग्रंथाला श्री.के क्षीरसागर यांच्या नावाचा पुरस्कार देते. २०१७ साली हा पुरस्कार विश्र्राम गुप्ते यांना 'नवं जग नवी कविता' या पुस्तकाला मिळाला आहे. २०१४ साली डॉ. शोभा नाईक यांना 'मराठी-कन्नड सांस्कृतिक सहसंबंध' या पुस्तकासाठी हा पुरस्कार मिळाला होता. |
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१३:१९, १४ डिसेंबर २०१७ ची आवृत्ती
श्रीकृष्ण केशव क्षीरसागर | |
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श्रीकृष्ण केशव क्षीरसागर | |
जन्म नाव | श्रीकृष्ण केशव क्षीरसागर |
जन्म |
नोव्हेंबर ६, १९०१ पाली, सातारा जिल्हा, महाराष्ट्र, भारत |
मृत्यू | एप्रिल २९, इ.स. १९८० |
राष्ट्रीयत्व | भारतीय |
कार्यक्षेत्र | साहित्य |
भाषा | मराठी |
साहित्य प्रकार | कादंबरी, समीक्षा |
विषय | भाषा, समाज |
वडील | केशव क्षीरसागर |
श्री.के. क्षीरसागर (नोव्हेंबर ६, १९०१ - एप्रिल २९, इ.स. १९८०) हे मराठी लेखक, विचारवंत, समीक्षक होते. प्रा. श्री. के. क्षीरसागर हे टीकाकार म्हणून परिचित आहेत, तसेच ते ‘ज्ञानकोश’कार केतकरांचे समविचारी म्हणूनही प्रसिद्ध आहेत.
जीवन
प्रा. श्री.के. क्षीरसागरांचा जन्म नोव्हेंबर ६, १९०१ रोजी महाराष्ट्रातील सातारा जिल्ह्यातील पाली गावी झाला. सातारा जिल्ह्यातल्या टेंभुर्णी गावी शालेय शिक्षण पुरे करून त्यांनी पुण्याच्या फर्गसन महाविद्यालयात उच्चशिक्षण घेतले. पुढे त्यांनी पुण्याच्या भावे हायस्कूलमध्ये शिक्षकाची नोकरी केली. इ.स. १९४५ सालापासून त्यांनी महाविद्यालयात प्राध्यापकी केली.
प्रकाशित साहित्य
नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
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आधुनिक राष्ट्रवादी रवींद्रनाथ ठाकूर | समीक्षा | १९७० | |
उमरखय्यामची फिर्याद | समीक्षा | १९६१ | |
टीकाविवेक | समीक्षा | १९६५ | |
तसबीर आणि तकदीर | आत्मचरित्र | १९७६ | |
निवडक श्री.के. क्षीरसागर | लेखसंकलन | साहित्य अकादमी | |
बायकांची सभा | प्रहसन | १९२६ | |
मराठी भाषा: वाढ आणि बिघाड | वैचारिक | राज्य मराठी विकास संस्था | २००० |
राक्षसविवाह | १९४० | ||
वादे वादे | समीक्षा | ||
व्यक्ती आणि वाङ्मय | समीक्षा | १९३७ | |
डॉ. श्रीधर व्यंकटेश केतकर | १९३७ | ||
समाजविकास | काँटिनेंटल प्रकाशन | ||
स्त्रीशिक्षण परिषदेची वाटचाल | १९३३ |
विशेष
- प्रा. श्री.के. क्षीरसागर १९५९ साली मिरजेला भरलेल्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष होते.
- महाराष्ट्र सरकार दर वर्षी वाङ्मयीन समीक्षेवरच्या एका ग्रंथाला श्री.के क्षीरसागर यांच्या नावाचा पुरस्कार देते. २०१७ साली हा पुरस्कार विश्र्राम गुप्ते यांना 'नवं जग नवी कविता' या पुस्तकाला मिळाला आहे. २०१४ साली डॉ. शोभा नाईक यांना 'मराठी-कन्नड सांस्कृतिक सहसंबंध' या पुस्तकासाठी हा पुरस्कार मिळाला होता.