"गिरिजा कीर" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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'''गिरिजा कीर''' ( |
'''गिरिजा कीर''' (जन्म : धारवाड, ५ फेब्रुवारी १९३३) या [[मराठी भाषा|मराठी भाषेतील]] लेखिका आणि कथाकथनकार आहेत. |
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==बालपण== |
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कीर |
गिरिजा कीर या माहेरच्या रमा नारायणराव मुदवेडकर. [[मुंबई विद्यापीठ|मुंबई विद्यापीठाची]] बी. ए. ची पदवी मिळविल्यानंतर गिरिजाबाईंच्या लेखनाला सुरुवात झाली. |
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==लेखन== |
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किर्लोस्कर, प्रपंच, ललना इ. मासिकातून त्यांच्या कथा प्रसिद्ध झाल्या. गिरिजाबाईंनी विविध |
किर्लोस्कर, प्रपंच, ललना इ. मासिकातून त्यांच्या कथा प्रसिद्ध झाल्या. गिरिजाबाईंनी विविध वाङ्मयप्रकारांत आपले लेखन केले. त्यांची एकूण ८५ पुस्तके प्रकाशित झाली आहेत. त्यात कथा, कादंबरी, मुलाखती, प्रवासवर्णने, बालसाहित्य इत्यादी विविधता आहे. १९६८ ते १९७८ या काळात अनुराधा मासिकाची साहाय्यक संपादिका म्हणूनही त्यांनी काम केले. हे काम करीत असताना सामाजिक प्रश्नांसंबंधीच्या प्रेमापोटी कामगार वस्ती, कुष्ठरोग्यांची वस्ती आणि आदिवासी भागात जाऊन त्यांनी त्यांच्या जीवनाचा जवळून अभ्यास केला. त्यांनी त्यांचे पुष्कळसे लिखाण या अनुभवातूनच लिहिले आहे.{{संदर्भ हवा}} |
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गिरिजाघर, देवकुमार, चांदण्याचं झाड, चंद्रलिंपी, चक्रवेद, स्वप्नात चंद्र ज्याच्या, आभाळमाया, आत्मभाग, झपाटलेला इ. त्यांच्या कादंबऱ्याही लोकप्रिय आहेत. गाभाऱ्यातील माणसं, जगावेगळी माणसं, कलावंत, साहित्य सहवास ही त्यांची व्यक्तिचित्रणात्मक पुस्तके आहेत. त्यांनी बालसाहित्यावरही बरेच लेखन केले आहे. त्यांच्यातील लेखिका ही शृंगारिक तशीच गंभीर आणि अंतर्मुखही दिसते. तसेच त्या उत्कृष्ट कथाकथनही करीत असत. |
गिरिजाघर, देवकुमार, चांदण्याचं झाड, चंद्रलिंपी, चक्रवेद, स्वप्नात चंद्र ज्याच्या, आभाळमाया, आत्मभाग, झपाटलेला इ. त्यांच्या कादंबऱ्याही लोकप्रिय आहेत. गाभाऱ्यातील माणसं, जगावेगळी माणसं, कलावंत, साहित्य सहवास ही त्यांची व्यक्तिचित्रणात्मक पुस्तके आहेत. त्यांनी बालसाहित्यावरही बरेच लेखन केले आहे. त्यांच्यातील लेखिका ही शृंगारिक तशीच गंभीर आणि अंतर्मुखही दिसते. तसेच त्या उत्कृष्ट कथाकथनही करीत असत. |
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|अनिकेत |||| दिलीपराज प्रकाशन|| |
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|असं का झालं |||| || |
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|आकाशवेध |||| || |
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|आत्मभान || || दिलीपराज|| १९९० |
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|आभाळ भरून आलंय|| ||दिलीपराज|| १९९३ |
|आभाळ भरून आलंय|| ||दिलीपराज|| १९९३ |
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| इटुकल्या पिटुकल्या गोष्टी (बालसाहित्य) |||| || |
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| इथं दिवा लावायला हवा|| || सुयोग|| १९९६ |
| इथं दिवा लावायला हवा|| || सुयोग|| १९९६ |
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|ओंजळीतलं पसायदान |||| || |
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|कण कण क्षण क्षण |||| || |
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|कथाजागर |||| || |
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|कुमारांच्या साहित्यकथा (बालसाहित्य) |||| || |
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|गाभाऱ्यातली माणसं|| || दिलीपराज || १९९२ |
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|गिरिजाघर|| || ||१९७४ |
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|गिरिजाताईंच्या गोष्टी भाग १ ते १० (बालसाहित्य) |||| || |
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|चक्रवेध || || राधेय प्रकाशन|| १९७७ |
|चक्रवेध || || राधेय प्रकाशन|| १९७७ |
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|चटक मटक |||| || |
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|चंदनाच्या झाडा||||साहित्य वसंत|| १९७८ |
|चंदनाच्या झाडा||||साहित्य वसंत|| १९७८ |
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|चिमणचारा |||| || |
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|छान छान गोष्टी (बालसाहित्य) |||| || |
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|जगावेगळी माणसं || || इंद्रायणी साहित्य||१९७९ |
|जगावेगळी माणसं || || इंद्रायणी साहित्य||१९७९ |
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|जन्मठेप |||| || |
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|झपाटलेला |||| || |
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|झंप्या दि ग्रेट (बालसाहित्य) |||| || |
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|तरी जगावसं वाटतं|| || मनमोहिनी प्रकाशन||१९७५ |
|तरी जगावसं वाटतं|| || मनमोहिनी प्रकाशन||१९७५ |
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|तुम्हालाही आवडेल की वाचायाला ! |||| || |
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|तू सावित्री हो व इतर कथा (बालसाहित्य) |||| || |
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|दर्शन || || हेमचंद्र प्रकाशन || १९८० |
|दर्शन || || हेमचंद्र प्रकाशन || १९८० |
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|दीपस्तंभ |||| दिलीपराज प्रकाशन|| |
|दीपस्तंभ |||| दिलीपराज प्रकाशन|| |
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|देवकुमार |||| || |
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|नक्षत्रवेल |||| || |
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|पश्चिमगंध ||||दिलीपराज प्रकाशन || |
|पश्चिमगंध ||||दिलीपराज प्रकाशन || |
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|पूर्ण पुरुष |||| दिलीपराज प्रकाशन|| |
|पूर्ण पुरुष |||| दिलीपराज प्रकाशन|| |
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|प्रकाशाची दारे |||| || |
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|प्रियजन|| || ह. ना. आपटे सहकार्याधारित प्रकाशन|| २००० |
|प्रियजन|| || ह. ना. आपटे सहकार्याधारित प्रकाशन|| २००० |
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|फुलं फुलवणारा म्हातारा आणि इतर गोष्टी |||| || |
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|मनबोली |||| || |
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|म. ज्योतिबा फुले (चरित्र) |||| || |
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|माझं कुंकू सावित्रीचं आहे||||सुनंदा प्रकाशन||१९७० |
|माझं कुंकू सावित्रीचं आहे||||सुनंदा प्रकाशन||१९७० |
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ओळ ८९: | ओळ १३३: | ||
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|माहेरचा आहेर || || || १९६८ |
|माहेरचा आहेर || || || १९६८ |
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|मृत्युपत्र |||| || |
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|यात्रिक || || साहित्य चिंतामणी || १९७४ |
|यात्रिक || || साहित्य चिंतामणी || १९७४ |
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|राखेतली पाखरं || || ||१९७७ |
|राखेतली पाखरं || || ||१९७७ |
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|लागेबांधे |||| || |
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|लेली |||| || |
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|श्री ब्रह्मचैतन्य गोंदवलेकर महाराज |||| || |
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|सगळं काही तिच्याबदद्दल |||| || |
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|संत गाडगेबाबा |||| || |
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|सर्वोत्कृष्ट गिरिजा कीर |||| || |
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|२६ वर्षांनंतर |||| || |
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|सासरच्या उंबरठ्यावर |||| || |
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| साहित्य सहवास|| || दिलीपराज प्रकाशन|| १९९७ |
| साहित्य सहवास|| || दिलीपराज प्रकाशन|| १९९७ |
२०:४४, ३ जुलै २०१८ ची आवृत्ती
गिरिजा कीर | |
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जन्म |
५ फेब्रुवारी १९३३ धारवाड, कर्नाटक, भारत |
राष्ट्रीयत्व | भारतीय |
कार्यक्षेत्र | साहित्य |
भाषा | मराठी |
साहित्य प्रकार | कथा, कादंबरी |
गिरिजा कीर (जन्म : धारवाड, ५ फेब्रुवारी १९३३) या मराठी भाषेतील लेखिका आणि कथाकथनकार आहेत.
बालपण
गिरिजा कीर या माहेरच्या रमा नारायणराव मुदवेडकर. मुंबई विद्यापीठाची बी. ए. ची पदवी मिळविल्यानंतर गिरिजाबाईंच्या लेखनाला सुरुवात झाली.
लेखन
किर्लोस्कर, प्रपंच, ललना इ. मासिकातून त्यांच्या कथा प्रसिद्ध झाल्या. गिरिजाबाईंनी विविध वाङ्मयप्रकारांत आपले लेखन केले. त्यांची एकूण ८५ पुस्तके प्रकाशित झाली आहेत. त्यात कथा, कादंबरी, मुलाखती, प्रवासवर्णने, बालसाहित्य इत्यादी विविधता आहे. १९६८ ते १९७८ या काळात अनुराधा मासिकाची साहाय्यक संपादिका म्हणूनही त्यांनी काम केले. हे काम करीत असताना सामाजिक प्रश्नांसंबंधीच्या प्रेमापोटी कामगार वस्ती, कुष्ठरोग्यांची वस्ती आणि आदिवासी भागात जाऊन त्यांनी त्यांच्या जीवनाचा जवळून अभ्यास केला. त्यांनी त्यांचे पुष्कळसे लिखाण या अनुभवातूनच लिहिले आहे.[ संदर्भ हवा ]
गिरिजाघर, देवकुमार, चांदण्याचं झाड, चंद्रलिंपी, चक्रवेद, स्वप्नात चंद्र ज्याच्या, आभाळमाया, आत्मभाग, झपाटलेला इ. त्यांच्या कादंबऱ्याही लोकप्रिय आहेत. गाभाऱ्यातील माणसं, जगावेगळी माणसं, कलावंत, साहित्य सहवास ही त्यांची व्यक्तिचित्रणात्मक पुस्तके आहेत. त्यांनी बालसाहित्यावरही बरेच लेखन केले आहे. त्यांच्यातील लेखिका ही शृंगारिक तशीच गंभीर आणि अंतर्मुखही दिसते. तसेच त्या उत्कृष्ट कथाकथनही करीत असत.
त्यांचे अलीकडे प्रकाशित झालेले "जन्मठेप" हे पुस्तक त्यांनी ६ वर्षे येरवडा तुरुंगातील कैद्यांवर संशोधन करून लिहिले आहे.[ संदर्भ हवा ]
प्रकाशित साहित्य
नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
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अनिकेत | दिलीपराज प्रकाशन | ||
असं का झालं | |||
आकाशवेध | |||
आत्मभान | दिलीपराज | १९९० | |
आभाळ भरून आलंय | दिलीपराज | १९९३ | |
इटुकल्या पिटुकल्या गोष्टी (बालसाहित्य) | |||
इथं दिवा लावायला हवा | सुयोग | १९९६ | |
ओंजळीतलं पसायदान | |||
कण कण क्षण क्षण | |||
कथाजागर | |||
कवडसे | दिलीपराज प्रकाशन | ||
कुमारांच्या साहित्यकथा (बालसाहित्य) | |||
गाभाऱ्यातली माणसं | दिलीपराज | १९९२ | |
गिरकी | सुनंदा प्रकाशन | १९७७ | |
गिरिजाघर | १९७४ | ||
गिरिजाताईंच्या गोष्टी भाग १ ते १० (बालसाहित्य) | |||
चक्रवेध | राधेय प्रकाशन | १९७७ | |
चटक मटक | |||
चंदनाच्या झाडा | साहित्य वसंत | १९७८ | |
चिमणचारा | |||
छान छान गोष्टी (बालसाहित्य) | |||
जगावेगळी माणसं | इंद्रायणी साहित्य | १९७९ | |
जन्मठेप | |||
झपाटलेला | |||
झंप्या दि ग्रेट (बालसाहित्य) | |||
तरी जगावसं वाटतं | मनमोहिनी प्रकाशन | १९७५ | |
तुम्हालाही आवडेल की वाचायाला ! | |||
तू सावित्री हो व इतर कथा (बालसाहित्य) | |||
दर्शन | हेमचंद्र प्रकाशन | १९८० | |
दीपस्तंभ | दिलीपराज प्रकाशन | ||
देवकुमार | |||
नक्षत्रवेल | |||
पश्चिमगंध | दिलीपराज प्रकाशन | ||
पूर्ण पुरुष | दिलीपराज प्रकाशन | ||
प्रकाशाची दारे | |||
प्रियजन | ह. ना. आपटे सहकार्याधारित प्रकाशन | २००० | |
फुलं फुलवणारा म्हातारा आणि इतर गोष्टी | |||
मनबोली | |||
म. ज्योतिबा फुले (चरित्र) | |||
माझं कुंकू सावित्रीचं आहे | सुनंदा प्रकाशन | १९७० | |
माझ्या आयुष्याची गोष्ट | ह. ना. आपटे सहकार्याधारित प्रकाशन | २००१ | |
माहेरचा आहेर | १९६८ | ||
मृत्युपत्र | |||
यात्रिक | साहित्य चिंतामणी | १९७४ | |
राखेतली पाखरं | १९७७ | ||
लागेबांधे | |||
लेली | |||
श्री ब्रह्मचैतन्य गोंदवलेकर महाराज | |||
सगळं काही तिच्याबदद्दल | |||
संत गाडगेबाबा | |||
सर्वोत्कृष्ट गिरिजा कीर | |||
२६ वर्षांनंतर | |||
सासरच्या उंबरठ्यावर | |||
साहित्य सहवास | दिलीपराज प्रकाशन | १९९७ |