"मधु मंगेश कर्णिक" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ ५४: | ओळ ५४: | ||
! width="20%"| प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
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|अबीर गुलाल||व्यक्तिचित्रे || || |
|अबीर गुलाल||व्यक्तिचित्रे ||हर्ष प्रकाशन|| |
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|आधुनिक मराठी काव्यसंपदा||संपादित लेख||[[कोमसाप|| |
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|कॅलिफोर्नियात कोकण||कथासंग्रह || || |
|कॅलिफोर्नियात कोकण||कथासंग्रह || || |
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|कमळण||कथासंग्रह || || |
|कमळण||कथासंग्रह ||माणिक प्रकाशन|| |
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|[[करूळचा मुलगा]]||आत्मचरित्र ||मौज प्रकाशन||२०१२ |
|[[करूळचा मुलगा]]||आत्मचरित्र ||मौज प्रकाशन||२०१२ |
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|कातळ||कादंबरी||||१९८६ |
|कातळ||कादंबरी||मॅजेस्टिक||१९८६ |
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|काळवीट||कथासंग्रह || || |
|काळवीट||कथासंग्रह || || |
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ओळ ७३: | ओळ ७५: | ||
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|कोकणी गं वस्ती|| कथासंग्रह || ||१९५९ |
|कोकणी गं वस्ती|| कथासंग्रह || ||१९५९ |
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|कोवळा सूर्य||कथासंग्रह ||अनघा प्रकाशन (ठाणे)|| १९७३ |
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|गावठाण||ललित लेखसंग्रह || || |
|गावठाण||ललित लेखसंग्रह || || |
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ओळ ८०: | ओळ ८४: | ||
|चटकचांदणी ||कथासंग्रह || || १९८५ |
|चटकचांदणी ||कथासंग्रह || || १९८५ |
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|जगन नाथ आणि कंपनी||बालकथा संग्रह ||मॅजेस्टिक || |
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|जिवाभावाचा गोवा||ललित लेखसंग्रह || || |
|जिवाभावाचा गोवा||ललित लेखसंग्रह ||अनघा प्रकाशन(ठाणे)|| |
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|जिवाभावाचा गोवा||ललित लेखसंग्रह ||प्रतिमा प्रकाशन|| |
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|जुईली ||कादंबरी || || |
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|जुईली||कथासंग्रह ||मॅजेस्टिक|| १९८५ |
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|जैतापूरची बत्ती||वैचारिक|| || |
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|झुंबर ||कथासंग्रह || || १९६९ |
|झुंबर ||कथासंग्रह || || १९६९ |
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ओळ ९३: | ओळ १०१: | ||
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|दरवळ||कथासंग्रह || || |
|दरवळ||कथासंग्रह || || |
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|दशावतारी मालवणी मुलूख||स्थलवर्णन|| || |
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|दाखल ||कथासंग्रह || || १९८३ |
|दाखल ||कथासंग्रह || || १९८३ |
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ओळ ९८: | ओळ १०८: | ||
|दूत पर्जन्याचा||चरित्र|| || |
|दूत पर्जन्याचा||चरित्र|| || |
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|देवकी|| |
|देवकी||कादंबरी||मॅजेस्टिक||१९६२ |
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|नारळपाणी||पर्यटन||हर्ष प्रकाशन|| |
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|निरभ्र||कादंबरी||नवचैतन्य|| |
|निरभ्र||कादंबरी||नवचैतन्य|| |
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ओळ १०४: | ओळ ११६: | ||
|नैर्ऋत्येकडील वारा||ललित लेखसंग्रह || || |
|नैर्ऋत्येकडील वारा||ललित लेखसंग्रह || || |
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|पांघरूण||कादंबरी|||| |
|पांघरूण||कादंबरी||मॅजेस्टिक|| |
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|पारधी||कथासंग्रह || || |
|पारधी||कथासंग्रह || || |
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ओळ ११०: | ओळ १२२: | ||
|पुण्याई|| ||दिलीप|| |
|पुण्याई|| ||दिलीप|| |
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|भाकरी आणि फूल||कादंबरी|||| |
|भाकरी आणि फूल||कादंबरी||शब्दालय प्रकाशन|| |
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|भुईचाफा ||कथासंग्रह || || १९६४ |
|भुईचाफा ||कथासंग्रह || || १९६४ |
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ओळ १२०: | ओळ १३२: | ||
|मातीचा वास||वेचक लेखन|| || |
|मातीचा वास||वेचक लेखन|| || |
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|माहीमची खाडी || कादंबरी || |
|माहीमची खाडी || कादंबरी ||मॅजेस्टिक|| १९६९ |
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|मुलुख||ललित लेखसंग्रह || || |
|मुलुख||ललित लेखसंग्रह || || |
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|राजा थिबा||कादंबरी ||अनघा प्रकाशन || |
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|लामणदिवा ||कथासंग्रह || || १९८३ |
|लामणदिवा ||कथासंग्रह || || १९८३ |
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ओळ १३४: | ओळ १४८: | ||
|विहंगम|| ||||२००१ |
|विहंगम|| ||||२००१ |
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|शब्दांनो मागुते व्हा||काव्य|||| |
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|संधिकाल||कादंबरी||||२००१ |
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|संधिकाल||कादंबरी||मॅजेस्टिक||२००१ |
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|सूर्यफूल||कादंबरी|||| |
|सनद/सूर्यफूल||कादंबरी||मॅजेस्टिक||१९८६ |
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|सृष्टी आणि दृष्टी|||||| |
|सृष्टी आणि दृष्टी||व्यक्तिचित्रण, लेख, समीक्षा||मौज प्रकाशन|| |
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|सोबत|| |
|सोबत||काव्यात्मक गद्य||मॅजेस्टिक|| |
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|स्मृतिजागर||वेचक लेखन || || |
|स्मृतिजागर||वेचक लेखन ||हर्ष प्रकाशन|| |
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|ह्रदयंगम||वेचक लेखन||अनघा प्रकाशन|| |
|ह्रदयंगम||वेचक लेखन||अनघा प्रकाशन|| |
१९:२९, २४ मे २०१३ ची आवृत्ती
मधु मंगेश कर्णिक (एप्रिल २८, १९३१ : करूळ, (कणकवली तालुका, सिंधुदुर्ग जिल्हा), महाराष्ट्र - हयात) हे मराठी कथाकार, कादंबरीकार, कवी, संवाद लेखक आहेत. ’कोकणी गं वस्ती’ हा त्यांचा पहिला कथासंग्रह आहे.
त्यांच्या पत्नीचे नाव शुभदा(माहेरचे शशी कुलकर्णी) असून मुलांची नावे तन्मय, अनुप ही आहेत. हे दोघे पुत्र आपापल्या व्यवसायात यशस्वी आहेत. मुलगी अनुजा देशपांडे दूरदर्शनवरील एक अधिकारी आहे.
पूर्वेतिहास
मधु मंगेश कर्णिकांचे कर्णिकांचे घराणे मूळचे कोकणातील आरस या गावचे. त्यांच्या पूर्वजांनी स्वकर्तृत्वावर पेशव्यांकडून कर्णिक ही सनद मिळविली. त्यांनीच अडीचशे वर्षांपूर्वी करूळ गाव वसविले. इंग्रज सरकारने त्यांना खोती दिली. अशा या कर्णिकांच्या घरात २८ एप्रिल १९३३ या दिवशी मंगेशदादा व अन्नपूर्णाबाई यांच्या पोटी मधूचा जन्म झाला. मधु मंगेश कर्णिकांचे आई-वडील अकाली गेले.
इ.स. १९५४साली त्यांचा प्रेमविवाह झाला.
जीवन
मधु मंगेश कर्णिक यांचे मॅट्रिकपर्यंतचे शिक्षण कणकवली येथे झाले. त्यानंतर काही काळ त्यांनी महाराष्ट्र राज्य परिवहन खात्यात(एस्टीत) नोकरी केली. गोवा सरकारच्या प्रसिद्धी खात्यात तीन-साडेतीन वर्षे माहिती अधिकारी म्हणून, आणि नंतर मुंबई येथे सरकारच्या जनसंपर्काधिकारी या पदावरही त्यांनी काम केले. ते महाराष्ट्राच्या मुख्यमंत्र्यांचे प्रसिद्धी अधिकारी होते व महाराष्ट्र लघुउद्योग विकास महामंडळाचे महाव्यवस्थापकही होते. अशी विविध पदे भूषवून त्यांनी वयाच्या पन्नाशीत, १९८३ साली नोकरीला रामराम ठोकला आणि लेखन व साहित्यिक कार्यासाठी स्वतःला समर्पित केले. असे असून २००६ साली ते महाराष्ट्र राज्य साक्षरता आणि संस्कृती विभागाचे अध्यक्ष झाले.
मधु मंगेश कर्णिक यांनी एक काच कारखानाही काढला होता, पण तो त्यांना यशस्वीरीत्या चालवता आला नाही.
ते महाराष्ट्र राज्य साहित्य संस्कृती मंडळाचे अध्यक्ष होते व राज्य मराठी विकास संस्थेचे अतिरिक्त संचालक आहेत. याशिवाय कोकण कला अकादमी, नाथ पै वनराई ट्रस्ट यांचे संस्थापकही आहेत. त्यांनी ‘करूळ पंचक्रोशी शिक्षण प्रसार मंडळ’ स्थापन केले आणि त्या मंडळाचे करूळ ज्ञानप्रबोधिनी हायस्कूलही सुरू केले. तेथे ते मुलांच्यात रमतात.
कोकण मराठी साहित्य परिषदेच्या स्थापनेत त्याचा सिंहाचा वाटा होता.
मधु मंगेश कर्णिक यांची पहिली कथा - कृष्णाची राधा - ही रत्नाकर मासिकातून प्रसिद्ध झाली. तेव्हा ते मॅट्रिकच्या वर्गात होते. त्यांच्या कोल्हापुरातील वास्तव्यात खऱ्या अर्थाने कर्णिकांच्या लेखनाची सुरुवात झाली. त्यांच्या 'लोकसत्ते' त लिहिलेल्या कथांना प्रसिद्धी आणि मानधनही मिळाले. त्यानंतर 'धनुर्धारी', ' विविधवृत्त' यां साप्ताहिकांमधूनही त्यांच्या कथा प्रकाशित होऊ लागल्या.
त्यानंतर मधु मंगेश कर्णिक मुंबईला आले. '३४ सुंदरलाल चाळ’ हा त्यांचा पत्ता होता
त्यांनी पतितपावन व निर्माल्य या चित्रपटांसाठी संवाद व गीते लिहिली, आकाशवाणीसाठी अनेक नभोनाट्ये व श्रुतिका लिहिल्या; आलमगीर, गोमंतक, पुढारी, साधना, तरुण-भारत (सांज), मनोहर या नियतकालिकांतून स्तंभलेखनही केले.
इ.स.१९५० ते १९६५ या काळात मधु मंगेश कर्णिकांनी खूप कथा लिहिल्या. 'सत्यकथे' त कथा प्रसिद्ध झाल्यापासून तर त्यांच्या अंगी एवढे बळ संचारले की, ते दर दिवाळीला पंधरावीस तरी कथा लिहू लागले.
कोकणातील मालगुंड येथे केशवसुतांचे सुंदर स्मारक उभारण्यासाठी मधु मंगेश कर्णिक यांनी अपार कष्ट घेतले आणि स्वत:चे अवघे ‘गुडविल’त्याकामी लावले. महाराष्ट्रातल्या पंचाहत्तर नामवंत कवींची माहिती, फोटो आणि एक उत्कृष्ट कविता असे या स्मारकाचे स्वरूप आहे. पंचाहत्तर लाख रुपयांचे हे देखणे संकुल आहे. महाराष्ट्रातील अवश्य भेट द्यावी अशी जी साहित्यिक-सांस्कृतिक ठिकाणे आहेत, त्यांतही मालगुंडचा नंबर वरचा लागेल. त्यामुळे गणपतीपुळयाला आलेला प्रवासी तिथे येतोच.
मधु मंगेश कर्णिक यांचे लेखन असलेल्या दूरदर्शन मालिका
- जुईली
- भाकरी आणि फूल
- रानमाणूस
- सांगाती
आत्मचरित्र
मधु मंगेश कर्णिक यांनी करूळचा मुलगा या शीर्षकनावाचे आत्मचरित्र लिहिले आहे.
पुरस्कार/मानसन्मान
- १९९० साली रत्नागिरीत झालेल्या ६४व्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष.
- ग.दि.माडगुळकर प्रतिष्ठानचा गदिमा पुरस्कार (२०१०)
- दमाणी पुरस्कार
- लाभसेटवार पुरस्कार (पाच लाख रुपये)
- पद्मश्री विखेपाटील साहित्य जीवनगौरव पुरस्कार (२००९)
- शिवाय अनेक राज्य पुरस्कार, पाठयपुस्तकात लेख असेही सन्मान त्यांना लाभले आहेत.
- महाराष्ट्राच्या सुवर्ण महोत्सवी वर्षानिमित्ताने १ मे २०१० रोजी दिल्लीत राष्ट्रपतींच्या हस्ते महाराष्ट्रातील नामवंतांचा सत्कार झाला. त्यांत मधु मंगेश कर्णिक हे एक सत्कारमूर्ती होते.
प्रकाशित साहित्य
नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
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अबीर गुलाल | व्यक्तिचित्रे | हर्ष प्रकाशन | |
आधुनिक मराठी काव्यसंपदा | संपादित लेख | [[कोमसाप | |
कॅलिफोर्नियात कोकण | कथासंग्रह | ||
कमळण | कथासंग्रह | माणिक प्रकाशन | |
करूळचा मुलगा | आत्मचरित्र | मौज प्रकाशन | २०१२ |
कातळ | कादंबरी | मॅजेस्टिक | १९८६ |
काळवीट | कथासंग्रह | ||
काळे कातळ तांबडी माती | कथासंग्रह | १९७८ | |
केला तुका झाला माका | नाटक | ||
केवडा | कथासंग्रह | १९७३ | |
कोकणी गं वस्ती | कथासंग्रह | १९५९ | |
कोवळा सूर्य | कथासंग्रह | अनघा प्रकाशन (ठाणे) | १९७३ |
गावठाण | ललित लेखसंग्रह | ||
गावाकडच्या गजाली | कथासंग्रह | ||
चटकचांदणी | कथासंग्रह | १९८५ | |
जगन नाथ आणि कंपनी | बालकथा संग्रह | मॅजेस्टिक | |
जिवाभावाचा गोवा | ललित लेखसंग्रह | अनघा प्रकाशन(ठाणे) | |
जिवाभावाचा गोवा | ललित लेखसंग्रह | प्रतिमा प्रकाशन | |
जुईली | कथासंग्रह | मॅजेस्टिक | १९८५ |
जैतापूरची बत्ती | वैचारिक | ||
झुंबर | कथासंग्रह | १९६९ | |
तहान | कथासंग्रह | १९६६ | |
तोरण | कथासंग्रह | १९६३ | |
दरवळ | कथासंग्रह | ||
दशावतारी मालवणी मुलूख | स्थलवर्णन | ||
दाखल | कथासंग्रह | १९८३ | |
दूत पर्जन्याचा | चरित्र | ||
देवकी | कादंबरी | मॅजेस्टिक | १९६२ |
नारळपाणी | पर्यटन | हर्ष प्रकाशन | |
निरभ्र | कादंबरी | नवचैतन्य | |
नैर्ऋत्येकडील वारा | ललित लेखसंग्रह | ||
पांघरूण | कादंबरी | मॅजेस्टिक | |
पारधी | कथासंग्रह | ||
पुण्याई | दिलीप | ||
भाकरी आणि फूल | कादंबरी | शब्दालय प्रकाशन | |
भुईचाफा | कथासंग्रह | १९६४ | |
भोवरा | अनघा प्रकाशन | ||
मनस्विनी | कथासंग्रह | ||
मातीचा वास | वेचक लेखन | ||
माहीमची खाडी | कादंबरी | मॅजेस्टिक | १९६९ |
मुलुख | ललित लेखसंग्रह | ||
राजा थिबा | कादंबरी | अनघा प्रकाशन | |
लागेबांधे | व्यक्तिचित्रे | मॅजेस्टिक | |
लामणदिवा | कथासंग्रह | १९८३ | |
वारूळ | कादंबरी | १९८८ | |
चिवार | नवचैतन्य | ||
विहंगम | २००१ | ||
शब्दांनो मागुते व्हा | काव्य | ||
शाळेबाहेरील सवंगडी | बालकथा संग्रह | मॅजेस्टिक | |
संधिकाल | कादंबरी | मॅजेस्टिक | २००१ |
सनद/सूर्यफूल | कादंबरी | मॅजेस्टिक | १९८६ |
सृष्टी आणि दृष्टी | व्यक्तिचित्रण, लेख, समीक्षा | मौज प्रकाशन | |
सोबत | काव्यात्मक गद्य | मॅजेस्टिक | |
स्मृतिजागर | वेचक लेखन | हर्ष प्रकाशन | |
ह्रदयंगम | वेचक लेखन | अनघा प्रकाशन |