"द्वारकानाथ माधव पितळे" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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'''द्वारकानाथ माधव पितळे''', ऊर्फ '''नाथमाधव''', ([[एप्रिल ३]], [[इ.स. १८८२]]; [[मुंबई]], [[ब्रिटिश भारत]] - [[जून २१]], [[इ.स. १९२८]]; मुंबई, ब्रिटिश भारत) हे [[मराठी भाषा|मराठी]] कादंबरीकार होते. |
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केवळ ४६ वर्षाच्या आयुष्यातील मोठा काळ |
केवळ ४६ वर्षाच्या आयुष्यातील मोठा काळ नाथमाधवांनी शिवाजीवरील संशोधनात घालवला. ऐतिहासिक साहित्याबरोबरच आपल्या लिखाणातून त्यांनी नेहेमीच बालविवाहातून निर्माण होणार्या समस्या वाचकांपुढे मांडल्या. ते स्त्री शिक्षणाचे व पुनर्विवाहाचे पुरस्कर्ते होते. नाथमाधव हे एक उत्तम शिकारी होते. |
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| विमलेची ग्रहदशा || कादंबरी || || इ.स. १९१७ |
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| स्वराज्याचा कारभार || कादंबरी || || इ.स. १९२३ |
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| स्वराज्याचा श्रीगणेशा || कादंबरी || || इ.स. १९२१ |
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| स्वराज्यातील संकट || कादंबरी || || इ.स. १९२३ |
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| स्वराज्याची |
| स्वराज्याची स्थापना || कादंबरी || || इ.स. १९२२ |
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| स्वराज्याची घटना || कादंबरी || || इ.स. १९२५ (२री आवृत्ती) |
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| स्वराज्यातील दुफळी || कादंबरी || || इ.स. १९२८ |
| स्वराज्यातील दुफळी || कादंबरी || || इ.स. १९२८ |
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| स्वराज्याचे परिवर्तन || कादंबरी || || इ.स. १९२५ |
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| हेमचंद्र रोहिणी || कादंबरी || || इ.स. १९०९ |
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२१:२५, ११ ऑगस्ट २०१६ ची आवृत्ती
द्वारकानाथ माधव पितळे | |
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नाथमाधव | |
जन्म नाव | द्वारकानाथ माधव पितळे |
टोपणनाव | नाथमाधव |
जन्म |
एप्रिल ३, इ.स. १८८२ मुंबई, ब्रिटिश भारत |
मृत्यू |
जून २१, इ.स. १९२८ मुंबई, ब्रिटिश भारत |
कार्यक्षेत्र | साहित्य |
भाषा | मराठी |
साहित्य प्रकार | कादंबरी |
द्वारकानाथ माधव पितळे, ऊर्फ नाथमाधव, (एप्रिल ३, इ.स. १८८२; मुंबई, ब्रिटिश भारत - जून २१, इ.स. १९२८; मुंबई, ब्रिटिश भारत) हे मराठी कादंबरीकार होते.
केवळ ४६ वर्षाच्या आयुष्यातील मोठा काळ नाथमाधवांनी शिवाजीवरील संशोधनात घालवला. ऐतिहासिक साहित्याबरोबरच आपल्या लिखाणातून त्यांनी नेहेमीच बालविवाहातून निर्माण होणार्या समस्या वाचकांपुढे मांडल्या. ते स्त्री शिक्षणाचे व पुनर्विवाहाचे पुरस्कर्ते होते. नाथमाधव हे एक उत्तम शिकारी होते.
जीवन
द्वारकानाथ माधव पितळे यांचा जन्म एप्रिल ३, इ.स. १८८२ रोजी मुंबईत झाला. त्यांचे शिक्षण मुंबईत झाले. मॅट्रिक परीक्षेत अनुत्तीर्ण झाल्यावर [१] पितळ्यांनी कुलाब्यातल्या तोफांचे गाडे बनवण्याच्या कारखान्यात नोकरी धरली. नोकरी करत असताना त्यांना शिकारीची आवड निर्माण झाली. इ.स. १९०५ सालच्या मे महिन्यात सिंहगडाच्या परिसरात शिकारीस गेले असताना, टेहळणी करता करता ते कड्यावरून खाली कोसळले [२]. या अपघातामुळे त्यांचा कमरेखालील भाग लुळा पडला. रुग्णालयात चैद्यकीय उपचार घेत असताना त्यांना वाचनाची गोडी लागली. या काळात त्यांनी इंग्लिश व मराठी भाषांतील अनेक ग्रंथ वाचून काढले [१]. या वाङमयाभिरुचीतून पुढे त्यांना लिहिण्याची प्रेरणा मिळाली.
पितळ्यांची पहिली कादंबरी, प्रेमवेडा, ही इ.स. १९०८ साली प्रकाशित झाली.
कारकीर्द
प्रकाशित साहित्य
नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
---|---|---|---|
ग्रहदशेचा फेरा | कादंबरी | इ.स. | |
डॉक्टर (३ भाग) | कादंबरी | इ.स. १९१८-२० | |
देशमुखवाडी | कादंबरी | इ.स. १९१६ | |
दोन भावंडे | कादंबरी | इ.स. | |
प्रेमवेडा | कादंबरी | इ.स. १९०८ | |
भविष्य प्रचिती | कादंबरी | इ.स. | |
मालती माधव | कादंबरी | इ.स. | |
रायक्लब अथवा सोनेरी टोळी | कादंबरी | इ.स. १९१५ (पूर्वार्ध) इ.स. १९२४(उत्तरार्ध) | |
विमलेची ग्रहदशा | कादंबरी | इ.स. १९१७ | |
विहंगवृंद | कादंबरी | इ.स. | |
वीरधवल | कादंबरी | इ.स. १९१३ | |
शरयू | कादंबरी | इ.स. | |
सापत्नभाव | कादंबरी | इ.स. | |
सावळ्या तांडेल | कादंबरी | इ.स. १९०९ | |
सुहासिनी | कादंबरी | इ.स. | |
स्वयंसेवक | कादंबरी | इ.स. | |
स्वराज्याचा कारभार | कादंबरी | इ.स. १९२३ | |
स्वराज्याचा श्रीगणेशा | कादंबरी | इ.स. १९२१ | |
स्वराज्यातील संकट | कादंबरी | इ.स. १९२३ | |
स्वराज्याची स्थापना | कादंबरी | इ.स. १९२२ | |
स्वराज्याची घटना | कादंबरी | इ.स. १९२५ (२री आवृत्ती) | |
स्वराज्यातील दुफळी | कादंबरी | इ.स. १९२८ | |
स्वराज्याचे परिवर्तन | कादंबरी | इ.स. १९२५ | |
हेमचंद्र रोहिणी | कादंबरी | इ.स. १९०९ |
संदर्भ व नोंदी
- ^ a b गुप्ते, चारुशीला. मराठी विश्वकोश http://www.marathivishwakosh.in/khandas/khand8/index.php?option=com_content&view=article&id=9470&Itemid=2. Missing or empty
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(सहाय्य) - ^ साळगावकर, जयंत. http://maharashtratimes.indiatimes.com/articleshow/msid-6510077.cms. २२ जून, इ.स. २०१० रोजी पाहिले.
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मधील दिनांक मूल्ये तपासा (सहाय्य); Missing or empty|title=
(सहाय्य)
बाह्य दुवे
- गुप्ते, चारुशीला. मराठी विश्वकोश http://www.marathivishwakosh.in/khandas/khand8/index.php?option=com_content&view=article&id=9470&Itemid=2. Missing or empty
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(सहाय्य)
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