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'''{{लेखनाव}}''' ([[नोव्हेंबर ५]], [[इ.स. १९३२|१९३२]] - हयात) हे [[मराठी]] वन्यजीवअभ्यासक, लेखक आहेत. (जन्म ५ नोव्हेंबर की १२?) |
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वनाधिकारी म्हणून दीर्घकाळ |
वनाधिकारी म्हणून दीर्घकाळ नोकरी. ६५वर्षे जंगलात काढणारे चितमपल्ली, जंगलातील प्राणिजीवन आणि त्याचे बारकावे रेखाटणारे अतिशय ओघवत्या शैलीतील लेखन करतात. त्यांचे वाचनही प्रचंड आहे आणि त्यांना पुस्तकांचीही आवड आहे. पक्षितज्ज्ञ डॉ. सलीम अली, लेखक व्यंकटेश माडगूळकर यांच्याशी स्नेह. |
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२१:०५, ७ मार्च २०१३ ची आवृत्ती
मारुती चितमपल्ली | |
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जन्म नाव | मारुती चितमपल्ली |
जन्म |
नोव्हेंबर ५, १९३२ सोलापूर |
राष्ट्रीयत्व | भारतीय |
कार्यक्षेत्र | वन्यजीवाभ्यास, लेखन |
भाषा | मराठी |
साहित्य प्रकार | निसर्गाविषयी, ललित, तसेच माहितीपूर्ण लेखन |
विषय | निसर्ग, वन्यजीवन |
चळवळ | वन्यजीवन संवर्धन |
प्रसिद्ध साहित्यकृती | पक्षी जाय दिगंतरा |
प्रभाव | मराठी साहित्यात निसर्ग विषयक लिखाणाची सुरुवात |
पुरस्कार | इ.स.१९७९?? साहित्य संमेलनाचे अध्यक्षपद |
मारुती चितमपल्ली (नोव्हेंबर ५, १९३२ - हयात) हे मराठी वन्यजीवअभ्यासक, लेखक आहेत. (जन्म ५ नोव्हेंबर की १२?)
वनाधिकारी म्हणून दीर्घकाळ नोकरी. ६५वर्षे जंगलात काढणारे चितमपल्ली, जंगलातील प्राणिजीवन आणि त्याचे बारकावे रेखाटणारे अतिशय ओघवत्या शैलीतील लेखन करतात. त्यांचे वाचनही प्रचंड आहे आणि त्यांना पुस्तकांचीही आवड आहे. पक्षितज्ज्ञ डॉ. सलीम अली, लेखक व्यंकटेश माडगूळकर यांच्याशी स्नेह.
ग्रंथ संपदा:
- पक्षी जाय दिगंतरा, (१९८३)
- जंगलाचं देणं, (१९८५),(महाराष्ट्र राज्य साहित्य पुरस्कार प्राप्त-१९८९), (विदर्भ साहित्य संघ पुरस्कार-१९९१)
- रानवाटा, (१९९१), (महाराष्ट्र राज्य साहित्य पुरस्कार प्राप्त-१९९३),(भैरुरतन दमाणी साहित्य पुरस्कार-१९९१), (मृण्मयी साहित्य पुरस्कार-१९९१)
- शब्दांचं धन, (१९९३)
- मृगपक्षीशास्त्र, (१९९३)
- रातवा, (महाराष्ट्र राज्य साहित्य पुरस्कार प्राप्त-१९९४)
- घरट्यापलीकडे, (१९९५)
- सुवर्णगरुड, (२०००)
- निळावंती, (२००२)
- आनंददायी बगळे (संस्कृत साहित्यातील काही पक्षी), (२००२)
- पक्षिकोश, (२००२)
- चकवाचांदण: एक वनोपनिषद , (आत्मवृत्त)
- चैत्रपालवी, (२००४)
- चित्रग्रीव - एका कबुतराची कथा
- केशराचा पाऊस ,