बॉर्डर-गावस्कर चषक
बॉर्डर-गावस्कर चषक | |
---|---|
बॉर्डर-गावस्कर चषक | |
देश |
भारत ऑस्ट्रेलिया |
आयोजक |
भारतीय क्रिकेट नियामक मंडळ क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया |
प्रकार | कसोटी क्रिकेट |
प्रथम | १९९६–९७ (भारत) |
शेवटची | २०२२–२३ (भारत) |
पुढील | २०२४–२५ (ऑस्ट्रेलिया) |
स्पर्धा प्रकार | ५-सामन्यांची कसोटी मालिका |
संघ | २ |
यशस्वी संघ |
भारत (१० मालिका विजय आणि १वेळा चषक राखला) |
पात्रता | आयसीसी विश्व कसोटी अजिंक्यपद स्पर्धा |
सर्वाधिक धावा | सचिन तेंडुलकर (३,२६२)[१] |
सर्वाधिक बळी | नेथन ल्यॉन (११६)[२] |
बॉर्डर-गावस्कर चषक (BGT)[३]ही भारत आणि ऑस्ट्रेलिया यांच्यात खेळली जाणारी आंतरराष्ट्रीय कसोटी क्रिकेट स्पर्धा आहे. या मालिकेचे नाव प्रतिष्ठित माजी कर्णधार, ऑस्ट्रेलियाचे ॲलन बॉर्डर आणि भारताचे सुनील गावस्कर यांच्या नावावर ठेवण्यात आले आहे. ही स्पर्धा आंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समितीच्या भविष्यातील दौरा कार्यक्रमांचा वापर करून नियोजित कसोटी मालिकेद्वारे खेळली जाते. कसोटी मालिका जिंकणारा चषक जिंकतो. मालिका अनिर्णित राहिल्यास, आधीच्या मालिकेचा विजेता संघ चषक राखून ठेवतो. भारत-ऑस्ट्रेलिया स्पर्धेचे स्पर्धात्मक स्वरूप आणि दोन्ही संघांचे उच्च स्थान पाहता, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी ५ दिवसांच्या क्रिकेटमधील सर्वात प्रतिष्ठित द्विपक्षीय ट्रॉफी मानली जाते.
मार्च २०२३ पर्यंत, भारताने २०२३ मालिकेत ऑस्ट्रेलियाला २-१ ने पराभूत केल्यानंतर ट्रॉफी राखली.
१९९६ पासून चषकाच्या स्पर्धेत, भारतीय सचिन तेंडुलकर हा सर्वात यशस्वी फलंदाज आहे, ज्याने ६५ डावांत ३,२६२ धावा केल्या आहेत.[१] तर ऑस्ट्रेलियाचा नेथन ल्यॉन हा सर्वात यशस्वी गोलंदाज आहे, ज्याने २६ सामन्यांमध्ये ३२.४० च्या सरासरीने ११६ गडी बाद केले आहेत.[२]
पार्श्वभूमी
[संपादन]अनधिकृत कसोटी मालिका
[संपादन]भारत आणि ऑस्ट्रेलिया यांच्यातील पहिला क्रिकेट सामना म्हणजे चार अनधिकृत कसोटी सामन्यांची मालिका खेळण्यासाठी ऑस्ट्रेलियाने केलेला १९३५-३६ चा भारत दौरा. त्यानंतर १९४५-४६ मध्ये ऑस्ट्रेलियाच्या सर्व्हिसेस क्रिकेट संघाने भारताचा दौरा केला होता.
हंगाम | प्रवासी संघ | यजमान संघ | अनधिकृत कसोटी सामने | ऑस्ट्रेलिया | भारत | अनिर्णित | निकाल |
---|---|---|---|---|---|---|---|
१९३५-३६ | ऑस्ट्रेलिया | भारत | ४
|
२
|
२
|
०
|
अनिर्णित |
१९४५-४६ | ऑस्ट्रेलिया सर्व्हिसेस | भारत | ३
|
०
|
१
|
२
|
भारत |
चषकासाठी खेळल्या न गेलेल्या कसोटी मालिका आणि एकमेव सामने
[संपादन]भारताचा १९४७-४८ चा ऑस्ट्रेलिया दौरा हा स्वातंत्र्य मिळाल्यानंतरचा पहिला दौरा होता आणि ज्यामध्ये दोन्ही संघांमधील पहिला कसोटी सामना आणि पहिल्या मालिकेचा समावेश होता. दौरे अनियमितपणे आयोजित करण्यात आले होते आणि त्यांच्यामध्ये खूप अंतर होते. २०२३ विश्व कसोटी अजिंक्यपद स्पर्धेच्या अंतिम सामन्यामध्ये ऑस्ट्रेलिया आणि भारत आमनेसामने आले, जी १९९१-९२ नंतरची अशी पहिलीच कसोटी होती जी दोन संघांमधील बॉर्डर-गावस्कर चषकासाठी लढवली गेली नव्हती.[४]
हंगाम | यजमान संघ | कसोटी सामने | ऑस्ट्रेलिया | भारत | अनिर्णित | बरोबरी | निकाल | |||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
१९४७-४८ | ऑस्ट्रेलिया | ५
|
४
|
०
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९५६-५७ | भारत | ३
|
२
|
०
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९५९-६० | भारत | ५
|
२
|
१
|
२
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९६४-६५ | भारत | ३
|
१
|
१
|
१
|
०
|
अनिर्णित | |||
१९६७-६८ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
४
|
०
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९६९-७० | भारत | ५
|
३
|
१
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९७७-७८ | ऑस्ट्रेलिया | ५
|
३
|
२
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९७९-८० | भारत | ६
|
०
|
२
|
४
|
०
|
भारत | |||
१९८०-८१ | ऑस्ट्रेलिया | ३
|
१
|
१
|
१
|
०
|
अनिर्णित | |||
१९८५-८६ | ऑस्ट्रेलिया | ३
|
०
|
०
|
३
|
०
|
अनिर्णित | |||
१९८६-८७ | भारत | ३
|
०
|
०
|
२
|
१
|
अनिर्णित | |||
१९९१-९२ | ऑस्ट्रेलिया | ५
|
४
|
०
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
२०२३ | इंग्लंड | १
|
१
|
०
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
एकूण | ५१
|
२५
|
८
|
१७
|
१
|
- |
कसोटी मालिकांची यादी
[संपादन]खालील तक्त्यामध्ये बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी सुरू झाल्यानंतरच्या सामन्यांच्या मालिकेची यादी आहे.
हंगाम | यजमान | कसोटी | ऑस्ट्रेलिया | भारत | अनिर्णित | बरोबरी | निकाल | धारक | मालिकावीर |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
१९९६–९७ | भारत | १
|
०
|
१
|
०
|
०
|
भारत | भारत | नयन मोंगिया |
१९९७–९८ | भारत | ३
|
१
|
२
|
०
|
०
|
भारत | भारत | सचिन तेंडुलकर |
१९९९–२००० | ऑस्ट्रेलिया | ३
|
३
|
०
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | सचिन तेंडुलकर |
२००१ | भारत | ३
|
१
|
२
|
०
|
०
|
भारत | भारत | हरभजन सिंग |
२००३–०४ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
१
|
१
|
२
|
०
|
अनिर्णित | भारत | राहुल द्रविड |
२००४–०५ | भारत | ४
|
२
|
१
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | डेमियन मार्टिन |
२००७–०८ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
२
|
१
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | ब्रेट ली |
२००८–०९ | भारत | ४
|
०
|
२
|
२
|
०
|
भारत | भारत | इशांत शर्मा |
२०१०–११ | भारत | २
|
०
|
२
|
०
|
०
|
भारत | भारत | सचिन तेंडुलकर |
२०११–१२ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
४
|
०
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | मायकेल क्लार्क |
२०१२–१३ | भारत | ४
|
०
|
४
|
०
|
०
|
भारत | भारत | रविचंद्रन आश्विन |
२०१४–१५ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
२
|
०
|
२
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | स्टीव स्मिथ |
२०१६–१७ | भारत | ४
|
१
|
२
|
१
|
०
|
भारत | भारत | रवींद्र जडेजा |
२०१८–१९ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
१
|
२
|
१
|
०
|
भारत | भारत | चेतेश्वर पुजारा |
२०२०–२१ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
१
|
२
|
१
|
०
|
भारत | भारत | पॅट कमिन्स |
२०२२–२३ | भारत | ४
|
१
|
२
|
१
|
०
|
भारत | भारत | रवींद्र जडेजा रविचंद्रन आश्विन |
२०२४–२५ | ऑस्ट्रेलिया | ५
|
|||||||
एकूण | ५६
|
२०
|
२४
|
१२
|
०
|
- |
मालिका सारांश
[संपादन]बॉर्डर-गावस्कर चषक हा कसोटी क्रिकेटमधील प्रमुख द्विपक्षीय चषकांपैकी एक आहे. २०२२-२३ मालिकेपर्यंत, भारतात आयोजित ९ पैकी ८ मालिका भारताने जिंकल्या, तर ऑस्ट्रेलियाने ऑस्ट्रेलियात झालेल्या ७ पैकी ४ मालिका जिंकल्या आहेत. ह्यामुळे दोन्ही संघांना घरच्या मैदानावर पराभूत करणे कठीण असल्याची ख्याती आहे. ह्याच कारणामुळे ऑस्ट्रेलियाने (२००४-०५) तर भारताने (२०१८-१९ व २०२०-२१) मायदेशाबाहेर मिळवलेल्या विजयांनी क्रिकेटच्या लोककथा म्हणता येतील अशामध्ये स्थान मिळवले आहे. दोन्ही संघांनी जवळजवळ सारख्याच संख्येने कसोटी सामने आणि मालिका जिंकल्या आहेत आणि चषक वारंवार ह्या संघाकडून त्यासंघाकडे जात आहे. २०००-०१ आणि २००७-०८ या दोन्हीमध्ये भारताने ऑस्ट्रेलियाची सलग १६ कसोटी विजयांची मालिका संपवली यावरूनही या मालिकेतील स्पर्धात्मकता दिसून येते. २०००-०१ या मालिकेचा त्यांचा कर्णधार स्टीव्ह वॉ याने ऑस्ट्रेलियासाठी "फायनल फ्रंटियर" म्हणून उल्लेख केला होता कारण भारतात जिंकणे कठीण होते आणि दोन्ही बाजूंनी खूपच अटीतटीची लढत झाली होती.
भारतात आयोजित मालिका
[संपादन]वर्ष | कसोटी | भारताचे विजय | ऑस्ट्रेलियाचे विजय | अनिर्णित | बरोबरी | निकाल |
---|---|---|---|---|---|---|
१९५६-५७ | ३ | ० | २ | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९५९-६० | ५ | १ | २ | २ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९६४-६५ | ३ | १ | १ | १ | ० | अनिर्णित |
१९६९-७० | ५ | १ | ३ | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९७९-८० | ६ | २ | ० | ४ | ० | भारत |
१९८६-८७ | ३ | ० | ० | २ | १ | अनिर्णित |
१९९६-९७ | १ | १ | ० | ० | ० | भारत |
१९९७-९८ | ३ | २ | १ | ० | ० | भारत |
२०००-०१ | ३ | २ | १ | ० | ० | भारत |
२००४-०५ | ४ | १ | २ | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२००८-०९ | ४ | २ | ० | २ | ० | भारत |
२०१०-११ | २ | २ | ० | ० | ० | भारत |
२०१२-१३ | ४ | ४ | ० | ० | ० | भारत |
२०१६-१७ | ४ | २ | १ | १ | ० | भारत |
२०२२-२३ | ४ | २ | १ | १ | ० | भारत |
एकूण | ५४ | २३ | १४ | १६ | १ | |
एकूण % |
४३% | २६% | ३०% | २% |
ऑस्ट्रेलियामध्ये आयोजित मालिका
[संपादन]वर्ष | कसोटी | ऑस्ट्रेलियाचे विजय | भारताचे विजय | अनिर्णित | बरोबरी | निकाल |
---|---|---|---|---|---|---|
१९४७-४८ | ५ | ४ | ० | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९६७-६८ | ४ | ४ | ० | ० | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९७७-७८ | ५ | ३ | २ | ० | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९८०-८१ | ३ | १ | १ | १ | ० | अनिर्णित |
१९८५-८६ | ३ | ० | ० | ३ | ० | अनिर्णित |
१९९१-९२ | ५ | ४ | ० | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९९९-२००० | ३ | ३ | ० | ० | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२००३-०४ | ४ | १ | १ | २ | ० | अनिर्णित |
२००७-०८ | ४ | २ | १ | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२०११-१२ | ४ | ४ | ० | ० | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२०१४-१५ | ४ | २ | ० | २ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२०१८-१९ | ४ | १ | २ | १ | ० | भारत |
२०२०-२१ | ४ | १ | २ | १ | ० | भारत |
एकूण | ५२ | ३० | ०९ | १३ | ० | |
एकूण % |
५८% | १७% | २६% | ०% |
१९९६–९७ एकल कसोटी
[संपादन]१९९६-९७ एकल कसोटी ही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी अंतर्गत खेळली गेलेली पहिली कसोटी होती. कर्णधार म्हणून सचिन तेंडुलकरची सुद्धा ही पहिलीच मालिका होती. दिल्लीतील फिरोजशाह कोटला मैदानावर खेळल्या गेलेल्या या मालिकेत फक्त एका सामन्याचा समावेश होता.
१० ते १४ ऑक्टोबर १९९६ या कालावधीत खेळला गेलेला हा सामना फक्त चार दिवस चालला, ज्यात भारताने ऑस्ट्रेलियाचा सात गडी राखून पराभव केला.
ऑस्ट्रेलियाने नाणेफेक जिंकून फलंदाजीचा निर्णय घेतला. परंतु अनिल कुंबळेच्या नेतृत्वाखालील भारतीय फिरकीपटूंनी त्यांना १८२ धावांत गुंडाळले. मायकेल स्लेटरने सर्वाधिक ४४ धावा केल्या. प्रत्युत्तरात भारताने ३६१ धावा केल्या, त्यात नयन मोंगियाच्या कारकिर्दीतील सर्वोत्तम १५२ धावांचे योगदान होते. ऑस्ट्रेलियाच्या दुसऱ्या डावात स्टीव्ह वॉने ६७ धावा करून संघाला २३४ धावांपर्यंत मजल मारून दिली. त्यानंतर चौथ्या डावात भारताने विजयासाठीचे ५६ धावांचे आव्हान ३ गाड्यांच्या मोबदल्यात सहज पूर्ण केले.
१९९७-९८ मालिका
[संपादन]ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट संघ फेब्रुवारी-मार्च १९९८ मध्ये भारतात १९६९-७० दौऱ्यानंतर पहिला विजय मिळवण्याच्या उद्देशाने भारतात गेला.[५] चेन्नईतील पहिल्या कसोटीत पहिल्या डावात ऑस्ट्रलियाला ७१ धावांची आघाडी मिळाल्यानंतर, भारताच्या दुसऱ्या डावांत सचिन तेंडुलकरच्या १९१ चेंडूतील १५५ धावांच्या खेळीमुळे भारताने ऑस्ट्रलियाला चवथ्या डावात विजयासाठी ३४८ धावांचे आव्हान दिले. परंतु अनिल कुंबळे, वेंकटपथी राजू आणि राजेश चौहान यांच्या फिरकी त्रिकूटाने ऑस्ट्रेलियाच्या संघाला केवळ १६८ धावांवर सर्वबाद केले आणि भारताला १७९ धावांनी विजय मिळवून दिला.[६] कोलकाता येथील दुसऱ्या कसोटीत भारताचा फलंदाज मोहम्मद अझरुद्दीनने भारताच्या एकमेव डावात आणखी एक वर्चस्वपूर्ण कामगिरी केली. त्याच्या नाबाद १६३ धावांमुळे ५ बाद ६३३ धावांवर डाव घोषित केला आणि त्यानंतर ऑस्ट्रलियाला दुसऱ्या डावात १८१ धावांमध्ये सर्वबाद करून सामना एका डाव आणि २१९ धावांनी जिंकला आणि बॉर्डर-गावस्कर करंडक भारतात राखला.[७]
बंगळुरू येथील अंतिम कसोटीत सचिन तेंडुलकरने मालिकेतील दुसरे शतक झळकावले. प्रत्युत्तरात, मार्क वॉने नाबाद १५३ धावा करून ऑस्ट्रेलियन संघाचे मालिकेतील पहिले शतक झळकावले. मार्क टेलरच्या शतकाच्या बळावर ऑस्ट्रेलियाने भारताने दिलेल्या १९४ धावांच्या आव्हानाचा यशस्वी पाठलाग करायचा केला आणि त्यांनी या मालिकेतून दिलासादायक विजय मिळवला. भारताच्या बाजूने मालिका २-१ ने संपुष्टात आली.[८] दौऱ्याच्या शेवटी, शेन वॉर्नने प्रसिद्धपणे सांगितले की तेंडुलकरने त्याच्यावर षटकार मारल्याची भयानक स्वप्ने त्याला पडतात आणि त्याच्या तोडीचा फलंदाज फक्त ब्रॅडमन आहे.[९]
१९९९-२००० मालिका
[संपादन]पहिल्या-वहिल्या बॉर्डर गावस्कर चषक मालिकेला सुरुवात होण्यापूर्वी, मायदेशात पाकिस्तानविरुद्ध ३-० असा विजय मिळविणाऱ्या ऑस्ट्रेलियाचे पारडे जड होते.[१०] ॲडलेड येथील पहिल्या कसोटीत, कर्णधार स्टीव्ह वॉचे पहिल्या डावातील शतक तर दुसऱ्या डावात डॅमियन फ्लेमिंगच्या पाच विकेट्समुळे भारतीय संघ ११० धावांत झाला आणि ऑस्ट्रेलियाला २८५ धावांनी विजय मिळाला.[११] पहिल्या डावातील सचिनच्या शतकानंतरही ऑस्ट्रेलियाने मेलबर्नमधील दुसरी कसोटी १८० धावांनी जिंकली. या कसोटीत ऑस्ट्रेलियचा गोलंदाज ब्रेट लीचेही पदार्पण झाले, ज्याने पुढे जाऊन ७२ कसोटी सामन्यांमध्ये ऑस्ट्रेलियाचे प्रतिनिधित्व केले.[१२]
सिडनी येथील अंतिम कसोटीत ऑस्ट्रेलियाने एक डाव आणि १४१ धावांनी आणखी एक विजय मिळवला. जस्टिन लँगर (२२३) आणि रिकी पाँटिंग (१४१*) यांच्या शतकांमुळे ऑस्ट्रेलियाने त्यांच्या एकमेव डावात ५ बाद ५५२ धावा केल्या. पहिला डावात भारताचा डाव १५० धावांवर आटोपल्याने दुसऱ्या डावात १९८ चेंडूत १६७ धावा करणाऱ्या व्ही.व्ही.एस. लक्ष्मणच्या प्रयत्न तोकडे पडले. ग्लेन मॅकग्राने या सामन्यात सर्वाधिक १० बळी घेतले.[१३]
२०००-०१ मालिका
[संपादन]२०००-०१ मालिका २७ फेब्रुवारी ते २२ मार्च २००१ दरम्यान खेळविली गेली. या मालिकेत मुंबई, कोलकाता आणि चेन्नई येथे खेळल्या गेलेल्या तीन कसोटींचा समावेश होता. भारताने मालिका २-१ ने जिंकली.
पहिला कसोटी सामना मुंबईत २७ फेब्रुवारी-१ मार्च २००१ रोजी खेळला गेला. ऑस्ट्रेलियाने सुरुवातीपासूनच वर्चस्व गाजवल्यामुळे सामना केवळ तीन दिवसांत संपला, फलंदाजीला उतरवून ऑस्ट्रेलियाने भारताचा डाव केवळ १७६ धावांवर संपवला. ग्लेन मॅकग्राने १९ धावांत ३ तर शेन वॉर्नने ४७ धावांत ४ गाडी बाद केले. भारताकडून सचिन तेंडुलकरने सर्वाधिक ७६ धावा केल्या. मॅथ्यू हेडन (११९) आणि ॲडम गिलख्रिस्ट (१२२) यांच्या शतकांच्या जोरावर ऑस्ट्रेलियाने पहिल्या डावात ३४९ धावा केल्या. हरभजन सिंगने १२१ धावत ४ गाडी बाद केले. भारताचा दुसरा डाव त्यांच्या पहिल्या डावापेक्षा अगदी थोडासा बरा होता, सचिनने पुन्हा एकदा, २१९ चेंडूंमध्ये सर्वाधिक ६५ धावा केल्या. विजया मिळालेले अवघे ४७ धावांचे आव्हान ऑस्ट्रेलियाच्या सलामीवीरांनी केवळ ७ षटकांमध्ये पार केले आणि ऑस्ट्रेलियाला १० गडी राखून विजय मिळवून दिला आणि मालिकेत १-० अशी आघाडी ऑस्ट्रलियाला प्राप्त झाली.
११ ते १५ मार्च दम्यान कोलकाता येथील ईडन गार्डन्सवर झालेली दुसरी कसोटी, क्रिकेटमधील सर्वात रोमांचक सामन्यांपैकी एक म्हणून ओळखली जाते. नाणेफेक जिंकून फलंदाजीस उतरलेल्या ऑस्ट्रेलियाने, पहिल्या डावात सर्वबाद ४४५ धावा केल्या, कर्णधार स्टीव्ह वॉने ११० धावांचे योगदान दिले. हरभजन सिंगने हॅट्ट्रिकसह १२३ धावांत ७ गडी बाद केले, ही भारतीय क्रिकेटच्या ६९ वर्षांच्या इतिहासातील भारतीय गोलंदाजातर्फे पहिली कसोटी हॅट्ट्रिक होती.[१४] त्यानंतर फलंदाजीतील भारताचे खराब प्रदर्शन सुरूच राहिले, भारतीय संघ केवळ १७१ धावांवर बाद झाला, मॅकग्राने अवघ्या १८ धावा देऊन ४ गडी बाद केले. ऑस्ट्रेलियाने फॉलोऑन लागू केला आणि तिसऱ्या दिवसअखेर भारताने ४ बाद २५४ धावा केल्या, तरीही ऑस्ट्रेलियाला पुन्हा फलंदाजी करण्यास भाग पाडण्यासाठी भारत २० धावांनी मागे होता. अनेक प्रेक्षक, समालोचक आणि अगदी खेळाडूंच्या मते हा सामना आणि मालिका भारताने गमावल्यासारखीच होती.
परंतु चौथ्या दिवशी सामन्याला एक अनपेक्षित कलाटणी मिळाली. व्ही.व्ही.एस. लक्ष्मण आणि राहुल द्रविड यांनी ऑस्ट्रलियाच्या गोलंदाजांना कोणतीही संधी न देता आणि ऑस्ट्रलियाच्या क्षेत्ररक्षकांची दमछाक करत संपूर्ण दिवस फलंदाजी केली. वॉने भागीदारी तोडण्यासाठी नऊ वेगवेगळ्या गोलंदाजांना वापरून पाहिले. लक्ष्मण आणि द्रविडने ३७६ धावा जोडल्या आणि भारताला ४ बाद ५८९ धावांपर्यंत नेले आणि सामन्यांमध्ये एक चांगली आघाडी घेतली. दरम्यान, लक्ष्मणने सुनील गावस्करच्या २३६ धावांना मागे टाकत भारतासाठी एक नवीन वैयक्तिक उच्च धावसंख्येचा विक्रम प्रस्थापित केला.[१५] लक्ष्मण अखेर शेवटच्या दिवशी २८१ धावांवर बाद झाला. द्रविडने १८० धावा केल्या आणि भारताने ५ व्या दिवशी ७ बाद ६५७ धावसंख्येवर डाव घोषित केला, आणि ऑस्ट्रेलियासमोर विजयासाठी ३८४ जवळजवळ अशक्यप्राय लक्ष्य ठेवले. ह्यामुळे उलटलेल्या दडपणाखाली ऑस्ट्रेलियाचा संघ लगेच ढासळला नाही; चहापानाच्या वेळेपर्यंत, त्यांच्या अंतिम डावामध्ये ३ बाद १६१ धाव झाल्या होत्या आणि सामना अनिर्णितावस्थेकडे झुकला होता. परंतु त्यानंतर, ऑस्ट्रेलियन संघाने ३१ चेंडूंत ८ धावांवर ५ गडी गमावले, आधी हरभजनने एकाच षटकात दोन गडी बाद केले आणि त्यांनतर तेंडुलकरने तीन विकेट घेतल्या. ऑस्ट्रेलियाचा संघ २१२ धावांवर बाद झाला. हरभजनने भारतीय गोलंदाजीच्या आक्रमणाचे नेतृत्व करताना ७३ धावा देऊन ६ फलंदाजांना तंबूत आठवले. भारताने अगदी पराभवाच्या गर्तेतून पुनरागमन केले आणि १७१ धावांनी शानदार विजय नोंदवून मालिकेत १-१ अशी बरोबरी साधली. फॉलोऑन मिळाल्यानंतर कसोटी सामना जिंकणारा भारतीय संघ इतिहासातील फक्त तिसरा होता.[१६]
तिसरा कसोटी सामना १८ मार्च रोजी चेन्नई येथे सुरू झाला आणि हा निर्णायक खूप अटीतटीचा ठरेल अशा मोठ्या अपेक्षा होत्या. ऑस्ट्रेलियाने तिसऱ्यांदा नाणेफेक जिंकून फलंदाजीचा निर्णय घेतला. वैयक्तिकी एकूण २०३ धावा करणाऱ्या हेडनने पहिला संपूर्ण दिवस खेळून काढला, परंतु ऑस्ट्रेलियाच्या उर्वरित संघाने एकूण ३९१ च्या धावसंख्येमध्ये फार थोडे योगदान दिले. हरभजन सिंगने पुन्हा एकदा फिरकीची जादू दाखवत १३३ धावांमध्ये ७ फलंदाजांना बाद केले. तेंडुलकरच्या १२६ धावांच्या जोरावर भारताने पहिल्या डावात ५०१ धावा केल्या. १३१ धावांच्या महत्त्वपूर्ण आघाडीसहित चौथा दिवस ऑस्ट्रेलियाच्या ७ बाद २४१ धावांवर संपला. ५ व्या दिवशी, हरभजनने पुन्हा ऑस्ट्रेलियाचे शेपूट गुंडाळले, त्याने ८४ धावांत ८ गडी बाद केले. संपूर्ण मालिकेमध्ये त्याने ३२ विकेट्स घेतल्या. ऑस्ट्रेलियाचा डाव २६४ धावांवर आटोपला. भारतासमोर शेवटच्या डावात १५५ धावांचे लक्ष्य होते आणि ते करण्यासाठी भरपूर वेळ होता. ऑस्ट्रेलियाचे गोलंदाज त्यांना त्याआधी बाद करू शकतील का, हाच प्रश्न होता. ४२ षटकांमध्ये, भारताने सतत विकेट गमावल्या, आणि एकवेळ भारताची अवस्था ७ बाद १३५ धाव अशी होती. विजयापासून संघ फक्त २० धावा दूर होता, परंतु त्याआधीच शेवटचे फलंदाज गमावण्याचा धोका होता. ८ वा गडी १५१ धावांवर बाद झाला, विजयासाठी ४ धावा शिल्लक होत्या आणि यष्टीरक्षक समीर दिघे आणि हरभजन सिंग यांच्यावर लक्ष्य पार करण्याची जबाबदारी होती. हरभजनसिंगने विजयी धावा काढल्या आणि अप्रतिम पुनरागमन करणाऱ्या भारतासाठी मालिका विजयावर शिक्कामोर्तब केले. भारताच्या मालिका विजयाचे महत्त्व अशासाठी होते की ऑस्ट्रेलियाला सलग ३० वर्षांहून अधिक काळ भारतात एकही मालिका जिंकता आली नाही.
२००३-०४ मालिका
[संपादन]भारतीय क्रिकेट संघाने नोव्हेंबर २००३ ते फेब्रुवारी २०४ दरम्यान ऑस्ट्रेलियाचा दौरा केला. या दौऱ्यात चार कसोटी सामन्यांच्या मालिकेचा समावेश होता, जी ४ डिसेंबर २००३ रोजी सुरू झाली आणि ६ जानेवारी २००४ रोजी ब्रिस्बेन, ॲडलेड, मेलबर्न आणि सिडनी येथील कसोटी सामन्यांसह संपली. कसोटी मालिका १-१ अशी बरोबरीत सुटली आणि भारताने बॉर्डर-गावस्कर चषक राखून ठेवला.[१७]
या दौऱ्यापूर्वी भारताची मायदेशाबाहेरील कसोटी सामन्यांमधील कामगिरी फारच खराब होती. भारताने एकूण १७६ पैकी फक्त १८ कसोटी जिंकल्या होत्या. भारताचा १९९९-२००० मधील ऑस्ट्रेलिया दौऱ्यात ३-०असा पराभव झाला होता आणि १९८१ पासून भारताने ऑस्ट्रेलियात एकही कसोटी सामना जिंकलेला नव्हता.
पहिला कसोटी सामना ४ ते ८ डिसेंबर दरम्यान ब्रिस्बेन येथे खेळला गेला. पावसाचा व्यत्यय असलेल्या सामन्यात जस्टिन लँगरने शतकी खेळी करत ऑस्ट्रेलियाला चांगली सुरुवात करून दिली. वरच्या फळीतील चारपैकी उर्वरित तीन फलंदाजांच्या (हेडन (४७), पाँटिंग (५४) आणि मार्टिन (४२)) धावांनी पहिल्या दिवसाचा खेळ संपला तेव्हा ऑस्ट्रेलियाने अवघे दोन गडी गमावून २६२ धावा केल्या. दुसऱ्या दिवशी फक्त १८ षटकांचाच खेळ होऊ शकला आली, त्यामध्ये भारतीय गोलंदाजांनी केवळ ६१ धावांच्या मोबदल्यात ऑस्ट्रेलियाचे सात गडी बाद करण्यात यश मिळविले. तिसऱ्या दिवशी पुन्हा पावसाचा व्यत्यय आला आणि केवळ सहा षटके टाकली गेली, दिवसाअखेरीस भारताची धावसंख्या बिनबाद ११ अशी होती. भारताने चौथ्या दिवसाची सुरुवात चांगली केली, परंतु नंतर तीन गडी झटपट गमावल्यामुळे संघाची अवस्था ३ बाद ६२ अशी. ह्यानंतर सौरव गांगुली (१४४) आणि व्हीव्हीएस लक्ष्मण (७५) यांनी भारताला ४०९ धावांपर्यंतची मजल मारून दिली आणि पहिल्या डावात संघाने ८६ धावांची आघाडी घेतली. शेवटचा दिवस सुरू झाला तेव्हा फक्त पहिला डाव पूर्ण झाला होता आणि सामना अनिर्णित होण्याच्या मार्गावर होता. मात्र, अव्वल पाच फलंदाजांपैकी चार फलंदाजांनी अर्धशतके केल्याने ऑस्ट्रेलियाने झटपट धावा केल्या. मॅथ्यू हेडनने ९८ चेंडूत ९९ धावा केल्या, ऑस्ट्रेलियाने २८४ धावा घोषित केला. त्यानंतर भारताला मिळालेल्या १९९ धावांच्या आव्हानाचा पाठलाग करताना २ बाद ७३ धावा केल्या, तेव्हा दोन्ही संघांच्या संमतीने खेळ थांबवण्यात आला होता. सौरव गांगुली सामनावीर ठरला.[१८]
दुसरा सामना १२ ते १६ डिसेंबर दरम्यान ॲडलेड ओव्हलवर खेळवला गेला. ऑस्ट्रेलियाने नाणेफेक जिंकून फलंदाजीचा निर्णय घेतला. रिकी पॉन्टिंगने २४२ धावा केल्या, तर सायमन कॅटिच आणि जेसन गिलेस्पी यांच्या योगदानामुळे ऑस्ट्रेलियाच्या पहिल्या डावात ५५६ धावा झाल्या. यापैकी पहिल्याच दिवशी ४०० धावा झाल्या. भारताने त्यांच्या पहिल्या डावाची सुरुवात चांगली केली, परंतु चार झटपट विकेट घेतल्याने ते ४ बाद ८५ असे अडचणीत आले होते. परंतु २००१ मधील ईडन गार्डन्सचे नायक द्रविड आणि लक्ष्मण यांनी ३०३ धावांची मोठी भागीदारी केली आणि लक्ष्मण १४८ धावांवर बाद होण्यापूर्वी भारताला ३८८ पर्यंत पोहोचवले. द्रविडने तळाच्या फलंदाजांना साथीला घेत धावसंख्या ५२३ धावांपर्यंत पोहोचवली. तो २३३ धावा करून सर्वात शेवटी बाद झाला.
चौथ्या दिवशी उपाहाराच्या काही वेळ पूर्वी ऑस्ट्रेलियाच्या पहिल्या डावात ३३ धावांच्या आघाडीसोबत दुसरा डाव सुरू झाला. पण विकेट्स नियमितपणे पडत होत्या, ज्यात अजित आगरकरने सहा फलंदाजांना माघारी पाठवले. फक्त खालच्या मधल्या फळीने थोडासा प्रतिकार केला. ऑस्ट्रेलियाचा डाव १९६ धावांवर आटोपला. भारताने विजयासाठी २३० धावांचा पाठलाग करताना त्यांचा दुसरा डाव सुरू केला. ॲडम गिलख्रिस्टने बाद केलेल्या पहिल्या डावातील हिरो राहुल द्रविडने नाबाद ७२ धावा केल्या आणि भारताने चार गडी राखून विजयी धावा केल्या. फेब्रुवारी १९८१ नंतर ऑस्ट्रेलियात भारताचा हा पहिला विजय होता. राहुल द्रविड सामनावीर ठरला. भारताने मालिकेत १-० ने आघाडी घेतली[१९]
तिसरा कसोटी सामना मेलबर्न येथे खेळला जाणारा पारंपारिक बॉक्सिंग डे कसोटी सामना होता. वीरेंद्र सेहवागने १९५ धावा केल्यामुळे भारताची सुरुवात चांगली झाली आणि पहिला दिवस ४ बाद ३२९ असा संपला. पण दुसऱ्या दिवशी पहिल्या सत्रात विकेट झटपट पडल्या आणि भारताचा डाव ३६६ धावांवर आटोपला. ऑस्ट्रेलियाने पहिल्या डावात हेडन (१३६) आणि पाँटिंग (२५७) यांच्या शतकांच्या जोरावर ५५८ धावा केल्या. पाँटिंगचे हे सलग दुसरे द्विशतक ठरले. अनिल कुंबळेने सहा गडी बाद केले.
भारताने दुसरा डाव १९२ धावांच्या पिछाडीसह सुरू केला. द्रविड (९२) आणि सौरव गांगुली (७३) हे दोघेच पन्नाशी ओलांडू शकले आणि भारताचा डाव २८६ धावांवर संपुष्टात आला. यामुळे ऑस्ट्रेलियाला केवळ ९५ धावांचे लक्ष्य मिळाले, जे त्यांनी केवळ एक गडी गमावून पूर्ण केले आणि मालिकेत १-१ बरोबरी केली. रिकी पॉन्टिंग त्याच्या २५७ धावांसाठी सामनावीर ठरला.[२०]
चौथी आणि शेवटची कसोटी ही सिडनी येथील नवीन वर्षाची कसोटी होती, स्टीव्ह वॉचा शेवटचा कसोटी सामना म्हणूनही उल्लेखनीय होता.
भारताने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजीचा निर्णय घेतला. सेहवाग (७२) आणि चोप्रा (४५) यांनी १२३ धावांची सलामी दिली. या दौऱ्यावर फलंदाजीत यश न मिळालेल्या सचिन तेंडुलकरवर लक्ष वेधले गेले. त्याने प्रत्युत्तर देत नाबाद २४१ धावा केल्या आणि लक्ष्मण (१७८) सोबत चौथ्या विकेटसाठी ३५३ धावांची भागीदारी केली. यष्टीरक्षक पार्थिव पटेलच्या ५० चेंडूंतील ११ चौकारांसह ६२ धावांच्या तडाखेबाज खेळीमुळे भारताने ७ बाद ७०५ धावांवर डाव घोषित केला. ही भारताची आतापर्यंतची सर्वोच्च कसोटी धावसंख्या होती. हेडन आणि लँगर यांनी १४७ धावांची सलामी दिल्याने ऑस्ट्रेलियाची सुरुवात चांगली झाली. त्यानंतर ७ बाद ३५० अशा काहीश्या अडचणीनंतर, कॅटिच आणि गिलेस्पी यांनी आठव्या विकेटसाठी ११७ धावांची भागीदारी करून ऑस्ट्रेलियाला ४७४ धावांची मजल मारून दिली. अनिल कुंबळेने १४१ धावांच्या मोबदल्यात ८ गडी बाद केले.
भारताने दुसरा डाव २३१ धावांची आघाडी घेऊन चालू केला आणि निकालासाठी झटपट धावा आवश्यक होत्या. सेहवाग (४७), द्रविड (९१*) आणि तेंडुलकर (६०*) या सर्वांच्या योगदानामुळे, भारताने ४३ षटकांत २११ धावा केल्या आणि ऑस्ट्रेलियाला विजयासाठी ४४३ धावांचे आव्हान दिले. चौथ्या दिवसअखेर चार षटकांमध्ये एकही गडी बाद झाला नाही आणि कसोटी वाचवण्यासाठी ऑस्ट्रेलियाला शेवटचा दिवस खेळावा लागणार होता, तर भारताला विजयासाठी १० विकेट्सची गरज होती. ऑस्ट्रेलियन फलंदाजीने दबावाखाली चांगला प्रतिसाद दिला. लँगर, पाँटिंग आणि मार्टिन यांनी चाळीशी पार केली. परंतु एकापेक्षा जास्त सत्र बाकी असताना ऑस्ट्रेलियाची धावसंख्या होती ४ बाद १९६, ज्यावेळी सामना कोणत्याही बाजूला झुकू शकला असता. मात्र शेवटची कसोटी खेळणारा स्टीव्ह वॉ आणि सायमन कॅटिचने सामना भारताच्या आवाक्याबाहेर ठेवला. वॉने ८० धावा केल्या आणि कॅटिच ७७ धावांवर नाबाद राहीला. कुंबळेने आणखी ४ गडी बाद करूनही सामना अनिर्णित राहिला. त्याला सामन्यात एकूण १२ बळी मिळाले. सपाट विकेटवर कुंबळेचे प्रयत्न वाखाणण्याजोगे असूनही, सचिन तेंडुलकर सामन्यात त्याच्या नाबाद २४१ आणि ६० धावांसाठी सामनावीर ठरला.[२१] आणि मालिकेत १-१ अशी बरोबरी राखली गेला.
चार सामन्यात ६१९ धावा करणारा राहुल द्रविड मालिकावीर ठरला. ऑस्ट्रेलियामध्ये खेळल्या गेलेल्या सर्वोत्कृष्ट मालिकेपैकी एक म्हणून या मालिकेचे वर्णन करण्यात आले.[१]
२००४-०५ मालिका
[संपादन]ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट संघाने ६ ऑक्टोबर ते ५ नोव्हेंबर २००४ दरम्यान चार कसोटी सामन्यांच्या मालिकेसाठी भारताचा दौरा केला. या मालिकेत बंगळुरू, चेन्नई, नागपूर आणि मुंबई येथे सामने खेळले गेले. ऑस्ट्रेलियाने मालिका २-१ ने जिंकली.
शेन वॉर्न आणि ग्लेन मॅकग्रा यांचा हा शेवटचा भारत दौरा होता. भारतात कसोटी सामन्यांची मालिका जिंकून ऑस्ट्रेलियाचा ३५ वर्षांचा दुष्काळ संपवण्याच्या इच्छेने ते आले होते. या मालिकेपूर्वी भारताने श्रीलंका आणि नेदरलँड्सच्या दौऱ्यांमध्ये आणि आयसीसी चॅम्पियन्स ट्रॉफीमध्ये खराब कामगिरी केली होती.
बंगळुरू येथे खेळली गेलेली पहिली कसोटी ऑस्ट्रेलियाने सफाईदारपणे जिंकली. भारतीय फलंदाजी दोनदा कोलमडली आणि त्यातून त्यांना एकदासुद्धा ऑस्ट्रलियाचा सामना करता येईल असे वाटत नव्हते. मायकेल क्लार्कने आपला पहिला कसोटी सामना खेळताना १५१ धावा करून ऑस्ट्रेलियाला आघाडीवर नेले. हरभजन सिंगने सामन्यात आणखी एकदा १० गडी बाद केले (५-१४६ आणि ६-७८). त्याशिवाय अनिल कुंबळेने त्याची ४००वी विकेट घेतली आणि असा पराक्रम करणारा दुसरा भारतीय गोलंदाज ठरला.[२२] क्लार्कला सामनावीर म्हणून गौरविण्यात आले.
मालिकेत १-० ने पिछाडीवर गेल्याने, भारताने १४ ते १८ ऑक्टोबर २००४ दरम्यान चेन्नई येथे खेळल्या गेलेल्या दुसऱ्या कसोटी सामन्याची सुरुवात सकारात्मक पद्धतीने केली. त्यांनी ऑस्ट्रेलियाचा पहिला डाव अवघ्या २३५ धावांवर संपविण्यात यश मिळविले. तत्पूर्वी, जस्टिन लँगर (७१) आणि मॅथ्यू हेडन (५८) यांनी ऑस्ट्रेलियाच्या डावाची धमाकेदार सुरुवात केली होती. त्यांनी सलामीच्या विकेटसाठी १३६ धावांचे योगदान दिले. या कसोटीतही ऑस्ट्रेलिया वर्चस्व गाजवेल असे वाटत असताना अनिल कुंबळेने सातत्यपूर्ण गोलंदाजीची प्रदर्शन केले, ज्यात त्याने १७.३ षटकांत केवळ ४८ धावा देत ७ गडी बाद केले. ऑस्ट्रेलियाचा डाव ३ बाद १८९ वरून २३५ धावांवर संपला. प्रत्युत्तरात भारताने ३७६ धावा करून १४१ धावांची आघाडी घेतली. वीरेंद्र सेहवागने शानदार १५५ धावा केल्या, मोहम्मद कैफने पुनरागमन करताना ६४ धावा केल्या आणि त्याला युवा पार्थिव पटेलने (५४) चांगली साथ दिली. शेन वॉर्नने १२५ धावांत ६ गडी बाद केले आणि कसोटी क्रिकेटमध्ये ५३७ बळींसह मुथय्या मुरलीधरनला मागे टाकले (त्याच वर्षी जानेवारीत वॉर्नच्या निवृत्तीनंतर जवळपास एक वर्षानंतर डिसेंबर २००७ मध्ये मुरलीधरनने वॉर्नला पुन्हा मागे टाकले). दुसऱ्या डावात ऑस्ट्रेलियन डावाची आघाडीची फळी पुन्हा कोलमडली, पण नंतर डेमियन मार्टिनने निर्णायक वेळी शतक (१०४) झळकावले आणि परिणामी ऑस्ट्रेलियन संघाने त्यांच्या दुसऱ्या डावात ३६९ धावा केल्या आणि विजयासाठी भारतासमोर २२९ धावांचे लक्ष्य ठेवले. भारताला सामना जिंकण्याची चांगली संधी होती, परंतु शेवटच्या दिवशी पावसामुळे खेळ होऊ शकला नाही, त्यामुळे सामना अनिर्णित राहिला. अनिल कुंबळेने १३३ धावांत ६ गडी बाद केले आणि त्याला सामनावीराचा पुरस्कार देण्यात आला.
या मालिकेतील तिसरा कसोटी सामना २६ ते ३० ऑक्टोबर दरम्यान नागपूर येथील विदर्भ क्रिकेट असोसिएशन मैदानावर खेळवण्यात आला. ऑस्ट्रेलियाने चार दिवसांत सामना आणि मालिका जिंकली. ऑस्ट्रेलियाने त्यांच्या पहिल्या डावात ३९८ धावा केल्या, डेमियन मार्टिनने ११४ धावा केल्या आणि मायकेल क्लार्कने ९१ धावा केल्या. याउलट, भारताने पहिल्या डावात खूपच खराब खेळ केला आणि त्यांच्या एकाही आघाडीच्या फलंदाजाला यश मिळाले नाही. ५० पेक्षा जास्त धावा करणारा एकमेव फलंदाज मोहम्मद कैफ (५५) होता. दुखापतीतून परतलेल्या सचिन तेंडुलकरने अवघ्या ८ धावा केल्या. भारताने एकूण सर्वबाद १८५ धावा केल्या ज्या फॉलोऑनपासून १४ कमी होत्या. ऑस्ट्रेलियाने फॉलोऑन नाकारला आणि त्यांचा दुसरा डाव सुरू करून भारतासमोर ५०० पेक्षा जास्त धावांचे लक्ष्य ठेवले. भारताचा दुसरा डाव पुन्हा एकदा २०० धावांवर आटोपला. आघाडीच्या एकाही फलंदाजाला मोठी धावसंख्या उभारता आली नाही. सेहवाग आणि पटेल यांनी काही आशा निर्माण केल्या पण ते ऑस्ट्रेलियाच्या मेट्रोनॉमिक बॉलिंगला बळी पडले. तिसरी कसोटी ऑस्ट्रेलियाने ३४२ धावांनी जिंकली. मार्टिनला सामनावीर म्हणून गौरविण्यात आले. ऑस्ट्रेलियाने भारतामध्ये ३५ वर्षांपासून यशासाठी प्रयत्न केल्यानंतर ही कसोटी मालिका जिंकली, ह्या पराक्रमला स्टीव्ह वॉने ‘फायनल फ्रंटियर’ म्हणून संबोधले आहे.
चौथा आणि अंतिम कसोटी सामना ३-७ नोव्हेंबर २००४ दरम्यान वानखेडे स्टेडियम, मुंबई येथे खेळला गेला. आधीच मालिका गमावल्यामुळे भारताने संघात बदल केले. पटेल, आकाश चोप्रा, अजित आगरकर आणि युवराज सिंग यांना संघामधून वगळण्यात आले. पहिल्या दिवसाचा खेळ पावसाने जवळजवळ पूर्णपणे वाया गेला, फक्त ११ षटके टाकली गेली. भारताने नाणेफेक जिंकून फलंदाजीचा निर्णय घेतला होता. पहिल्याच दिवशी २ गडी गमावून डावाची सुरुवात खराब झाली. दुसऱ्या दिवशी भारताचा डाव १०४ धावांच्या दुस-या सर्वात कमी धावसंख्येवर आटोपला, डावात सर्वात जास्त ३१ धावा राहुल द्रविडने केल्या. ऑस्ट्रेलियाकडून जेसन गिलेस्पी (४-४९) हा मुख्य बळी घेणारा गोलंदाज होता. ऑस्ट्रेलियाचा पहिला डावही फार काळ टिकला नाही, कारण त्याच दिवशी मार्टिन (५५) याने सर्वाधिक धावा केल्या होत्या. मुरली कार्तिक (४-४४) आणि अनिल कुंबळे (५-९०) हे मुख्य बळी घेणारे गोलंदाज ठरले. दुसऱ्या दिवसाचा खेळ संपला तेव्हा एकूण १८ गडी बाद झाले. व्ही.व्ही.एस. लक्ष्मण (६९) आणि सचिन तेंडुलकर (५५) ह्यांच्या महत्त्वपूर्ण खेळीसह भारताने त्यांच्या दुसऱ्या डावात २०५ धावा केल्या. मायकेल क्लार्कने (६-९) २३ धावांच्या आत भारताचे शेपटीचा गुंडाळले. विजयासाठी १०७ धावांचा पाठलाग करताना, ऑस्ट्रेलियाने त्यांच्या दुसऱ्या डावात सातत्याने विकेट गमावल्या आणि त्यांचा डाव ९३ धावांत गुंडाळला गेला. भारताने १३ धावांनी विजय मिळवला. हरभजन सिंग (५–२९) आणि मुरली कार्तिक (३–३२) यांनी सर्वाधिक बळी घेतले. मुरली कार्तिकला सामनावीर घोषित करण्यात आले. ही कसोटी आतापर्यंत खेळल्या गेलेल्या सर्वात लहान कसोटी सामन्यांपैकी एक होती, जी केवळ २ पूर्ण दिवस टिकली. या सामन्यासाठी तयार करण्यात आलेल्या खेळपट्टीवर नंतर रिकी पाँटिंगने बरीच टीका केली होती.[२३]
डेमियन मार्टिनला मालिकावीर म्हणून निवडण्यात आले.
२००७–०८ मालिका
[संपादन]भारतीय क्रिकेट संघाने डिसेंबर २००७ ते मार्च २००८ दरम्यान ऑस्ट्रेलियाचा दौरा केला. निवृत्तीपूर्वी भारताचा माजी कर्णधार सौरव गांगुलीचा हा शेवटचा ऑस्ट्रेलिया दौरा होता. या दौऱ्यात चार कसोटी सामन्यांच्या मालिकेचा समावेश होता. मालिका २६ डिसेंबर २००७ रोजी सुरू होऊन आणि २८ जानेवारी २००८ रोजी समारोप झाला, सामने मेलबर्न, सिडनी, पर्थ आणि ॲडलेड येथे खेळविले गेले. ऑस्ट्रेलियाने मालिका २-१ अशी जिंकली.
मेलबर्नमधील पहिली कसोटी ऑस्ट्रेलियाने चार दिवसांत ३३७ धावांनी जिंकली. मॅथ्यू हेडनच्या १२४ धावांच्या जोरावर ऑस्ट्रेलियाने पहिल्या डावात ३४३ धावा केल्या. प्रत्युत्तरात क्लार्क आणि लीने प्रत्येकी ४ विकेट घेऊन भारताचा डाव १९६ धावांवर गुंडाळला. शेवटच्या डावात भारतासमोर विजयासाठी ४९९ धावांचे लक्ष्य ठेवण्यात आले होते. ज्यासाठी त्यांनी कधीही प्रयत्न केले नाही.
ऑस्ट्रेलियाने सिडनीतील दुसरी कसोटी पाचव्या दिवशी १२२ धावांनी जिंकली. फक्त नऊ मिनिटे शिल्लक असताना - मायकेल क्लार्कने ३ बळी घेतले जे कदाचित सामन्यातील शेवटून दुसरे षटक होते ह्या सामन्यानंतर पंचगिरीवर जोरदार टीका झाली, भारताचा असा विश्वास होता की त्यांच्या पराभवामध्ये चुकीच्या निर्णयांचा खूप मोठा वाटा होता. "कोणत्याही संघाला पंचांच्या नियुक्तीवर आक्षेप घेण्याचा अधिकार नाही", ह्या आधीच्या कराराच्या विरोधात जात सामन्यानंतर भारतीय संघाने तिसऱ्या कसोटीसाठी पंचांपैकी एकाची बदली करण्याचा प्रयत्न केला[२४]
भारताने पर्थमधील तिसऱ्या कसोटीत लढत देऊन ७२ धावांनी विजय मिळवला. या सामन्यासाठी भारतीय संघात दोन बदल करण्यात आले होते, युवराज सिंग आणि हरभजन सिंग यांना डावलून विरेंद्र सेहवाग आणि इरफान पठाण यांना परत बोलावण्यात आले होते. ऑस्ट्रेलियानेही आपल्या संघात दोन बदल केले आहेत. जखमी मॅथ्यू हेडनच्या जागी ख्रिस रॉजर्सला ऑस्ट्रेलियासाठी ३९९वा कसोटी खेळाडू बनवण्यात आले. ब्रॅड हॉगच्या जागी शॉन टेटला चार-वेगवान गोलंदाजांसह चढाई करण्याच्या सामरिक कारणास्तव आणण्यात आले.
भारताने नाणेफेक जिंकून फलंदाजीचा निर्णय घेतला आणि या बदलांचा त्वरित परिणाम होणार होता. जाफर आणि सेहवागने या दौऱ्यातील पहिली अर्धशतकी सलामी दिली. सलामीच्या जबाबदारीतून मुक्त झालेला द्रविड, आता त्याच्या आधीच्या जोमात दिसला आणि शतकाच्या काहीच धावा दूर असताना वैयक्तिक ९३ धावांवर तो बाद झाला. भारताने ३३० धावांपर्यंत मजल मारली.
पठाणला संघात पुन्हा बोलावणे यशस्वी झाले. त्याने दोन्ही ऑस्ट्रेलियाच्या सलामीवीरांना बाद परत पाठवले. भारतीय वेगवान आक्रमणाच्या स्विंग गोलंदाजीशी झुंजत असताना ऑस्ट्रेलियाची आघाडीची फळी कोलमडली. एक वेळ ऑस्ट्रलियाची अवस्था ५ बाद ६३ अशी होती. सायमंड्स आणि गिलख्रिस्ट यांच्यातील शतकी भागीदारीमुळे ऑस्ट्रेलियाला २१२ धावांपर्यंत मजल मारता आली, आणि भारताला ११८ धावांची आघाडी मिळाली.
भारताच्या दुसऱ्या डावात, सेहवागने आपली योग्यता पुन्हा सिद्ध केली, त्याने ६१ चेंडूत ४३ धावा करून आघाडीच्या फलंदाजीला वेग दिला. जाफर बाद झाल्यावर, पठाण नाईट-वॉचमन म्हणून आला आणि त्याने ४६ धावा केल्या, जी लक्ष्मणच्या ७९ धावांनंतर डावातील दुसरी सर्वोच्च वैयक्तिक धावसंख्या होती. अखेरीस भारताचा डाव २९४ धावांवर संपुष्टात आला, आणि ऑस्ट्रेलियासमोर विजयासाठी ४१३ धावांचे आव्हान ठेवले गेले.
ऑस्ट्रेलियाचा शेवटचा डाव ३४० धावांवर संपुष्टात आला, जो त्यांच्या लक्ष्यापासून ७३ धावांनी तोकडा पडला. आणि भारताने पुन्हा एकदा ऑस्ट्रेलियाची सलग १६ कसोटी विजयाची शृंखला तोडली. पठाणने पुन्हा ऑस्ट्रेलियाच्या दोन सलामीवीरांना बाद केले, तर सेहवागने गिलख्रिस्ट आणि ली यांना बाद करून उपयुक्त योगदान सिद्ध केले. ऑस्ट्रेलियाचे संघातील बदल अयशस्वी ठरले, रॉजर्सने ४ आणि १५ धावा केल्या आणि टेटला सामन्यात एकही गाडी बाद करता आला नाही. पाँटिंगने, चॅनल ९ ला दिलेल्या सामन्यानंतरच्या मुलाखतीत, पराभवाचा दोष पहिल्या डावातील खराब फलंदाजीच्या कामगिरीवर ठेवला, तर कुंबळेने त्याच्या संघाच्या योगदानाचे आणि त्याच्या तरुण वेगवान आक्रमणाचे कौतुक केले.
सामान्यतः, ऑस्ट्रेलियामध्ये, त्यांच्या वर्चस्वाच्या काळात, मालिकेतील अंतिम सामन्यांना तितकेसे महत्व नसे. परंतु पर्थमधील भारताच्या दमदार कामगिरीमुळे, ॲडलेड येथे लोकांना पाहण्यासाठी चांगला अंतिम सामना मिळू शकला. भारताने पुन्हा एकदा नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजीचा निर्णय घेतला. भारताने एक बदल केला, वसीम जाफरच्या जागी हरभजन सिंगला परत आणले. ऑस्ट्रेलियाने दोन बदल केले, ख्रिस रॉजर्सच्या जागी दुखापतीतून सावरल्यानंतर हेडन परतला आणि अनियमित टेटच्या जागी ब्रॅड हॉगला नियुक्त केले गेले. ही कसोटी यष्टीरक्षक ॲडम गिलख्रिस्टची शेवटची कसोटी होती.
डावाची सुरुवात करताना पठाण लवकर आऊट झाल्याने भारताची पिछेहाट झाली. सचिन तेंडुलकरच्या ३९व्या शतकाच्या महत्त्वपूर्ण योगदानामुळे पहिल्या दिवशी समतोल साधत भारताने एकूण ५ बाद ३०९ धावा केल्या. सचिनने पहिल्या दिवशी नाबाद १२४ धावा केल्या. दुसऱ्या दिवशी सचिन आणि धोनी लवकर बाद झाले, पण कुंबळेची जिद्दी खेळी आणि हरभजनच्या आक्रमक खेळीने भारताला ५०० च्या पुढे नेले. कुंबळेचे शतक चुकणे दुर्दैवी होते आणि तो आऊट होणारा शेवटचा माणूस होता. ऑस्ट्रेलियाने सावध खेळ करत दुसऱ्या दिवशी एकही विकेट गमावली नाही. ऑस्ट्रेलियाने दिवसाच्या शेवटी बिनबाद ६२ धावा केल्या होत्या.
ऑस्ट्रेलियाच्या सलामीवीरांनी वर्चस्व राखले आणि १५९ धावांची सलामी दिली. एका टप्प्यावर ऑस्ट्रेलियाची स्थिती ३ बाद २४१ अशी होती. अखेर ऑस्ट्रेलियाचा डाव ५६३ धावांत आटोपला. कसोटी सामना वाचवण्यासाठी भारताचे प्रयत्न यशस्वी झाले, पण भारताने पुन्हा एकदा पठाणला डावात लवकर गमावले. भारताचा चौथा दिवस १ बाद ४५ असा संपला.
सेहवागने १५१ धावा केल्या. इतर फलंदाज स्वस्तात बाद झाले तरी त्याच्या खेळीने भारत कसोटी सामना हरणार नाही याची खात्री करून दिली. कुंबळेने भारताचा डाव ७ बाद २६९ धावसंख्येवर घोषित केला आणि सामना अनिर्णित म्हणून लवकर संपला. सचिनला सामनावीराचा पुरस्कार देण्यात आला.
२००८-०९ मालिका
[संपादन]२००८-०९ हंगामातील पहिली कसोटी एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, बंगलोर येथे खेळली गेली. ऑस्ट्रेलियाने प्रथम फलंदाजी करताना रिकी पाँटिंग आणि मायकेल हसीच्या शतकाच्या जोरावर ४३० धावा केल्या. भारताचा वेगवान गोलंदाज झहीर खानने पाच गडी बाद केले. झहीर खान आणि हरभजन सिंगच्या अर्धशतकांच्या जोरावर भारताने ऑस्ट्रलियाला ३६० धावांचे प्रत्युत्तर दिले. ऑस्ट्रेलियाने आपला दुसरा डाव ६ बाद २२८ धावांवर घोषित केला आणि शेवटच्या दिवशी भारतासमोर विजयासाठी २९९ धावांचे लक्ष्य ठेवले आणि ७७ धावांवर ३ गडी बाद झाल्यानंतर भारताच्या फलंदाजांनी सावध खेळ करून सामना अनिर्णित ठेवला. सामन्यातील अष्टपैलू कामगिरीबद्दल झहीर खानला सामनावीराचा पुरस्कार देण्यात आला.
पंजाबमधील मोहाली येथील पीसीए स्टेडिअमवर दुसरा कसोटी सामना खेळला गेला. भारतीयांनी क्लिनिकल अष्टपैलू कामगिरीच्या जोरावर ऑस्ट्रेलियाला ५ व्या दिवशी विक्रमी ३२० धावांनी पराभूत करून ४ कसोटी सामन्यांच्या मालिकेत १-० ने आघाडी घेतली. डावाने झालेले विजय वगळता कसोटी सामन्यातील भारताचा हा सर्वात मोठा विजय ठरला.[२५] हा भारतासाठी एक ऐतिहासिक सामना होता ज्याने सचिन तेंडुलकर कसोटी सामन्याच्या इतिहासात सर्वाधिक धावा करणारा खेळाडू बनला आणि त्याने ११,९५३ धावांचा विक्रम मागे टाकला[२६] आणि कसोटी क्रिकेटच्या इतिहासात १२,००० धावा करणारा पहिला फलंदाज झाला. सौरव गांगुलीसाठीसुद्धा हा ऐतिहासिक दौरा ठरला, कारण त्याने कसोटी क्रिकेटमध्ये ७००० धावा पूर्ण करताना शतक झळकावले. महेंद्रसिंग धोनीला ९२ आणि ६८* धावांसाठी सामनावीराचा पुरस्कार देण्यात आला.
तिसरा कसोटी सामना दिल्लीतील फिरोजशाह कोटला येथे खेळला गेला. अनिल कुंबळेने दुखापतग्रस्त बोटांच्या त्रासामुळे कसोटी क्रिकेटमधून निवृत्ती जाहीर केली.[२७] या सामन्यात तो भारतीय संघाचा कर्णधार होता. सामना अनिर्णित राहिला आणि व्हीव्हीएस लक्ष्मणला सामनावीर घोषित करण्यात आले. भारताच्या पहिल्या डावात गौतम गंभीर आणि लक्ष्मण यांनी द्विशतके झळकावली.
नागपूरच्या विदर्भ क्रिकेट असोसिएशन स्टेडियमवर चौथी कसोटी खेळली गेली. भारताने १७२ धावांनी विजय मिळवून चार वर्षांच्या कालावधीनंतर प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी परत मिळवली.
पाचव्या दिवसाच्या वळणावर पाहुण्यांना विजयासाठी ३८२ धावांचे कठीण लक्ष्य दिल्यानंतर, भारताने चहापानाच्या अगदी आधी ऑस्ट्रेलियाचा डाव २०९ धावांवर गुंडाळला आणि चार सामन्यांची मालिका २-० च्या फरकाने जिंकली. शेवटच्या दिवशी खेळाच्या फक्त दोन सत्रात ऑस्ट्रलियाला बाद करून सौरव गांगुलीच्या सहकाऱ्यांनी त्याला निवृत्तीच्या कसोटीत एक उत्तम भेट दिली.
भारताचा वेगवान गोलंदाज इशांत शर्माला मालिकावीर घोषित करण्यात आले.
२०१०-११ मालिका
[संपादन]१ ते १३ ऑक्टोबर दरम्यान खेळवला गेलेले २ कसोटी सामन्यांची मालिका भारताने २-० ने जिंकली. सचिन तेंडुलकर सर्वात यशस्वी फलंदाज होता, त्याने चार डावात १३४.३३ च्या सरासरीने ४०३ धावा केल्या. त्याला मालिकावीर घोषित करण्यात आले. झहीर खानने दोन कसोटी सामन्यांमध्ये सर्वाधिक १२ बळी घेतले.[२८]
पहिली कसोटी १-५ ऑक्टोबर २०१० रोजी पंजाबमधील मोहाली येथील पीसीए स्टेडिअमवर खेळली गेली. भारताने ही कसोटी १ गडी राखून जिंकली. झहीर खानची सामनावीर म्हणून निवड करण्यात आली. ऑस्ट्रेलियाने पहिल्या डावात ४२८ धावा केल्या होत्या. सलामीवीर शेन वॉटसनने शतक झळकावले आणि यष्टिरक्षक टीम पेनने ९२ धावांची खेळी केली. प्रत्युत्तरात सचिन तेंडुलकरने ९८ आणि सुरेश रैनाने केलेल्या ८६ धावांच्या जोरावर भारताने पहिल्या डावात ४०५ धावा केल्या. भारतीय गोलंदाजांनी दुसऱ्या डावात ऑस्ट्रेलियाला १९२ धावांत गुंडाळले. भारतासमोर विजयासाठी २१६ धावांचे लक्ष्य होते. चौथ्या दिवशी संध्याकाळी बेन हिल्फेनहौसने गंभीर, सेहवाग आणि रैना ह्या महत्त्वाच्या फलंदाजांना बाद केले. चौथ्या दिवसअखेर धावफलकावर भारताच्या ४ बाद ५५ धावा लागल्या होत्या आणि सचिन नाईट वॉचमन झहीर खानसोबत खेळत होता. ऑस्ट्रेलियाने ५व्या दिवसाची सुरुवात चांगली करताना झहीर खानला माघारी पाठवले. पाठीच्या दुखापतीमुळे क्रमवारीत उशीरा खेळणारा व्हीव्हीएस लक्ष्मण सहाव्या विकेटसाठी तेंडुलकरच्या जोडीला आला. त्यांनी धावगतीमध्ये लक्षणीय सुधारणा केली. मात्र, तेंडुलकर ३८ धावांवर बाद झाला. त्याच्यापाठोपाठ महेंद्रसिंग धोनी व्हीव्हीएस लक्ष्मणसाठी रनर म्हणून उतरलेल्या रैनासोबत झालेल्या गोंधळामुळे धावबाद झाला. आणि भारताची अवस्था ७ बाद १२२ अशी झाली. त्यामागोमाग दोन चेंडूं खेळून हरभजन सिंग सुद्धा बाद झाला. भारतासाठी कसोटी संपल्यात जमा होती. भारत फक्त १२४/८ धावसंख्येवर होता आणि उरलेले फलंदाज होते दुखापतीने त्रस्त व्हीव्हीएस लक्ष्मण आणि इशांत शर्मा मैदानावर होते आणि पाठोपाठ प्रज्ञान ओझा होता. उपाहारापर्यंत फक्त दोन गडी शिल्लक असताना भारताला विजयासाठी ९२ धावांची गरज होती. भारताचा पराभव स्पष्ट दिसत होता.
दुपारच्या जेवणानंतरचे सत्र हे कसोटी इतिहासातील सर्वात नाट्यमय सत्रांपैकी एक होते. व्हीव्हीएस लक्ष्मणने उपाहारानंतरच्या बहुतेक सत्रात इशांत शर्मासह आपली सर्वोत्तम खेळी खेळली. इशांतकडे स्ट्राईक आल्यावर इशांतने दगडी भिंत बनून उर्वरित षटक खेळून काढत होता. अधूनमधून चौकार (प्रामुख्याने शर्माकडून) आणि प्रत्येक षटकातील सुरुवातीच्या एकेरीमुळे भारताला हळूहळू, पण निश्चितपणे त्यांच्या लक्ष्याच्या दिशेने वाटचाल होती. कायमस्वरूपी वाटणाऱ्या मध्ये, भारत १२४/८ ते १७०, १८० आणि १९०/८ पर्यंत रेंगाळला. शेवटी २०५ धावसंख्येवर बेन हिल्फेनहॉसने इशांतला पायचीत केले परंतु रिप्लेमध्ये चेंडू लेग साइडला जात असल्याचे दिसले.[२९] भारतासाठी शेवटचा फलंदाज प्रग्यान ओझा, लक्ष्मणसोबत क्रीजवर आला. मिचेल जॉन्सनच्या षटकामध्ये आणखी काही नाट्यमय घटना घडल्या. ओझा स्पष्टपणे पायचीत होता, परंतु मैदानावरील अंपायर बिली बाउडेन यांनी अपील फेटाळले.[३०] त्याचवेळी ओझाने एकेरी धाव चोरण्याचा प्रयत्न केला आणि बदली क्षेत्ररक्षक स्टीव स्मिथने चेंडू यष्ट्यांवर फेकला. पण ऑस्ट्रेलियाच्या दुर्दैवाने, त्याच्या थ्रोला पाठिंबा देणारे क्षेत्ररक्षक नव्हते आणि चेंडू ओव्हरथ्रोने सीमापार गेला[३१] म्हणजे भारताला आता विजयासाठी फक्त २ धावांची गरज होती.
यावेळी, तिन्ही निकाल शक्य होते (भारताचा विजय, ऑस्ट्रेलियाचा विजय किंवा बरोबरी). त्यानंतर मिचेल जॉन्सनचा लेग साइडला आलेला चेंडू आणि ओझाने हुशारीने यष्टिरक्षकापासून दूर ढकलला. भारतीय फलंदाजांनी दोन धावा घेत सामना जिंकला होता. व्हीव्हीएस लक्ष्मणने दुसऱ्या डावात नाबाद ७३ धावा करून सर्वाधिक धावा केल्या आणि ऑस्ट्रेलियाविरुद्ध पुन्हा एकदा स्वतःला सिद्ध केले आणि कोलकाता २००१, ॲडलेड २००३ प्रमाणेच ह्या पराभवाचे शानदार विजयात रूपांतर केले.
या विजयामुळे, भारताने २००८-०९ ची मालिका २-० ने जिंकल्यामुळे पुढचा कसोटी सामना गमावला तरीही बॉर्डर गावस्कर चषक भारताकडे राहणार होता.
दुसरी कसोटी बेंगळुरू येथील एम. चिन्नास्वामी स्टेडियमवर ९-१३ ऑक्टोबर रोजी खेळली गेली. ऑस्ट्रेलियाने केलेल्या ४७८ धावांच्या प्रत्युत्तरात मुरली विजय (१३९) आणि सचिन तेंडुलकर (२१४) यांनी तिसऱ्या गद्यासाठी केलेल्या ३०८ धावांच्या भागीदारीच्या जोरावर भारताने चौथ्या दिवसाच्या जेवणापर्यंत ४९५ धावा करून १७ धावांची निसटती आघाडी मिळविली. ५८ धावांच्या सलामीनंतर प्रज्ञान ओझा आणि हरभजन सिंग ह्या भारतीय फिरकी गोलंदाजांनी ऑस्ट्रेलियाच्या डावाला खिंडार पाडले. त्यानंतर श्रीशांत आणि झहीर खानने त्यांना साथ देत ऑस्ट्रेलियाचा डाव २२३ धावांवर संपवला. मिळालेल्या २०७ धावांच्या आव्हानाचा सामना भारतीय फलंदाजांनी सहज करत ऑस्ट्रेलियावर ७ गडी राखून विजय मिळवला. सामनावीर म्हणून सचिन तेंडुलकरची निवड करण्यात आली. ह्या सामन्यादरम्यान तेंडुलकर हा कसोटी क्रिकेटमध्ये १४,००० धावा पार करणारा पहिला फलंदाज ठरला.[३२]
२०११–१२ मालिका
[संपादन]मेलबर्न क्रिकेट मैदानावरील पहिली कसोटी ऑस्ट्रेलियाने ४ दिवसात १२२ धावांनी जिंकली. ऑस्ट्रेलियाने पहिल्या डावात ३३३ धावा केल्या आणि नवोदित एड कोवानने सर्वाधिक ६८ धावा केल्या. प्रत्युत्तरात भारताचा डाव ३ बाद २१४ वरून २८२ धावांवर आटोपला. बेन हिल्फेनहौसने दुखापतीतून कसोटी क्रिकेटमध्ये परतल्यावर ५ बळी घेतले. रिकी पाँटिंग आणि मायकेल हसीने ऑस्ट्रेलियाच्या दुसऱ्या डावातील एकूण २४० धावांपैकी ११५ धावांची भागीदारी रचली आणि भारतासमोर विजयासाठी २९२ धावांचे लक्ष्य ठेवले होते. परंतु ऑस्ट्रेलियच्या वेगवान गोलंदाजांच्या नियमित विकेट्समुळे संपूर्ण भारतीय संघ १६९ धावांवर बाद झाला. केवळ तिसरा सामना खेळणाऱ्या जेम्स पॅटिन्सनला १८*, २/५५, ३७* आणि ४/५३ अशा आकड्यांमुळे सामनावीराच्या पुरस्काराने गौरविण्यात आले.
सिडनी क्रिकेट मैदानावर नाणेफेक जिंकून फलंदाजीला उतरलेल्या भारताचा पहिला डाव १९१ धावांवर कोसळून दुसऱ्या कसोटीला सुरुवात झाली. ऑस्ट्रेलियाच्या ६५९/४ धावांच्या प्रत्युत्तरात मायकेल क्लार्कने त्रिशतक (३२९*), मायकेल हसीने १५०* आणि रिकी पाँटिंगने १३४ धावा केल्या. ह्यानंतर दुसऱ्या डावात भारतीय संघ ४०० धावांवर सर्वबाद झाला. ऑस्ट्रेलियाने कसोटी १ डाव आणि ६८ धावांनी जिंकली.
तिसऱ्या कसोटीची सुरुवात भारताने प्रथम फलंदाजी करताना केली, परंतु पहिल्या डावात केवळ १६१ धावाच करू शकला. ऑस्ट्रेलियन संघाने ३६९ धावा केल्या, ज्यात डेव्हिड वॉर्नरचे ६९ चेंडूतील सलामीवीरातर्फे सर्वात जलद शतक होते. दुसऱ्या डावात भारतीय संघाचा डाव १७१ धावांत आटोपला आणि ऑस्ट्रेलियाने हा सामना एक डाव आणि ३७ धावांनी जिंकला. ऑस्ट्रेलियाने मालिकेत ३-० अशी आघाडी घेतली आणि त्याचबरोबर बॉर्डर-गावस्कर चषक पुन्हा जिंकला.
तिसऱ्या कसोटीमध्ये षटकांची गती कमी राखल्यामुळे भारतीय कर्णधार महेंद्रसिंग धोनीला एका सामन्याच्या बंदीच्या नामुष्कीचा सामोरे जावे लागले, त्यामुळे चौथ्या कसोटीमध्ये त्याच्याजागी वृद्धिमान साहाची निवड करण्यात आली आणि कर्णधारपद वीरेंद्र सेहवागला देण्यात आले.[३३]
चौथ्या कसोटीची सुरुवात ऑस्ट्रेलियाने प्रथम फलंदाजी करताना केली आणि मायकेल क्लार्क आणि रिकी पाँटिंग या दोघांनी द्विशतके झळकावून डाव ७ बाद ६०४ धावांवर घोषित केला. सामन्याच्या पहिल्या दिवशी रिकी पाँटिंगने कसोटी क्रिकेटमध्ये १३,००० धावांचा टप्पा गाठला.[३४] विराट कोहलीने पहिले कसोटी शतक[३५] झळकावल्यामुळे भारत पहिल्या डावात २७२ धावा करू शकला. ऑस्ट्रेलियाने फॉलोऑन लागू केला नाही, फलंदाजी ५ बाद १६७ धावसंख्येवर घोषित करून भारतासमोर ५०० धावांचे लक्ष्य ठेवले. भारताचा डाव विजयी लक्ष्यापासून २९८ धावा दूर, २०१ धावांवर आटोपला. पीटर सिडल सामनावीर तर मायकेल क्लार्क मालिकावीर ठरला.
२०१२-१३ मालिका
[संपादन]मालिकेतील पहिल्या सामन्यात ऑस्ट्रेलियाने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी करत पहिल्या डावात ३८० धावा केल्या होत्या. डावात त्यांची सुरुवात चांगली झाली होती पण रविचंद्रन अश्विनने ऑस्ट्रेलियाची आघाडीची फलंदाजी कापून ७ गाडी बाद करत त्यांना रोखले. पहिले दोन गाडी १२ धावांवर गमावून भारताच्या पहिल्या डावाची सुरुवात डळमळीत झाली होती. परंतू, सचिन तेंडुलकर आणि चेतेश्वर पुजाराने धावसंख्या १०० च्या वर नेली. पुजाराला गमावल्यानंतर भारताची स्थिती पुन्हा खराब झाली होती पण कोहलीने शतक केले आणि दुसऱ्या दिवसाच्या शेवटी नाबाद राहिला. महेंद्रसिंग धोनीने शानदार २२४ धावा करून भारताला १९२ धावांची मजबूत आघाडी मिळवून दिली. आपल्या दुसऱ्या डावात ऑस्ट्रेलियन संघाने भारतीय फिरकीपटूंसमोर झटपट विकेट गमावल्या. एका वेळी, त्यांची धावसंख्या ९ बाद १८० होती, तथापि, मोईझेस हेन्रिक्सच्या ८१* धावांनी संघाची एकूण धावसंख्या २४१ वर नेली. भारताने ५० धावांचे माफक लक्ष्य दोन गडी गमावून पूर्ण केले आणि सामना जिंकला. पहिल्या डावात २२४ धावा केल्याबद्दल महेंद्रसिंग धोनीला सामनावीर म्हणून गौरवण्यात आले.
दुसऱ्या कसोटीत, ऑस्ट्रेलियाची फलंदाजी कोलमडली आणि कर्णधार मायकेल क्लार्कने भारताला दिवसाची उरलेली तीन षटके खेळू देण्याच्या आशेने २३७/९ वर डाव घोषित करण्याचा आश्चर्यकारक निर्णय घेतला. पण तीन षटकांअखेर भारताची स्थिती ५-० अशी होती. भारताने दुसऱ्या दिवशी वीरेंद्र सेहवागला लवकर गमावले पण मुरली विजय आणि चेतेश्वर पुजारा यांच्यातील अप्रतिम भागीदारीमुळे भारताने एकूण ५०० धावा ओलांडल्या. पुजाराने २०४ धावा केल्या तर विजयने १६७ धावा केल्या. त्या दोघांतील ३७० धावांची भागीदारी ही भारताची दुसऱ्या गड्यासाठी सर्वोत्कृष्ट आणि एकूण चौथी सर्वोत्कृष्ट भागीदारी होती.[३६] दुसऱ्या डावात ऑस्ट्रेलियाची फलंदाजी अवघ्या १३१ धावांवर कोसळली आणि भारताने एक डाव आणि १३५ धावांनी सामना जिंकून मालिकेत २-० अशी आघाडी मिळवली. चेतेश्वर पुजाराला त्याच्या २०४ धावांसाठी सामनावीर घोषित करण्यात आले.
चंदिगढ येथील तिसऱ्या कसोटीचा पहिला दिवस पावसाने वाहून गेला. यावेळी ऑस्ट्रेलियाने एड कोवान आणि डेव्हिड वॉर्नरच्या अर्धशतकांच्या जोरावर ४०० च्या वर धावा केल्या. स्टीव्हन स्मिथ आणि मिचेल स्टार्क शतकांपासून वंचित राहिले. स्टार्कने ९९ धावा केल्या आणि स्मिथ ९२ धावांवर बाद झाला. पण सेहवागऐवजी खेळायला आलेल्या शिखर धवनने पदार्पणातच विक्रमी १८७ धावा केल्या आणि पदार्पणात खेळताना तो भारतासाठी सर्वाधिक धावा करणारा खेळाडू ठरला.[३७] त्याशिवाय तो पदार्पणात सर्वात जलद शतक झळकावणारा फलंदाज आणि पदार्पणात ठरला.[३७] मुरली विजयनेही लागोपाठ शतके ठोकली आणि एकूण धावसंख्या ४९९ वर नेली. धवन आणि विजय यांनी दिलेली २८३ धावांची सलामी ही ऑस्ट्रेलियाविरुद्ध सर्वोत्तम सलामी होती.[३७] त्यानंतर गोलंदाजांच्या चांगल्या कामगिरीमुळे ऑस्ट्रेलियन संघाचा डाव २२३ धावांत संपुष्टात आला आणि अखेरच्या दिवशी भारताला १३३ धावांचे लक्ष्य मिळाले. ठराविक अंतराने गाडी बाद होत होते आणि त्याशिवाय वेळेची कमतरता होती यामुळे सामना भारत जिंकणार की अनिर्णित राहणार हे पाहणे रोमहर्षक बनले होते. पण जडेजा आणि धोनीने अधिक पडझड होऊ न देता ३-० ने मालिका जिंकली. पदार्पण करणारा शिखर धवन सामनावीर ठरला.
चौथ्या कसोटीत ऑसीजने २६२ धावा केल्या तेव्हा त्यांची लढाऊ मनोवृत्ती दिसली. त्यांनी भारताचा डाव २७२ धावांवर संपुष्टात आणून त्यांना १० धावांपेक्षा मोठी आघाडी घेऊ दिली नाही. पहिले दोन दिवस ऑस्ट्रेलियाच्या स्लेजिंगने भरले होते. दुसऱ्या दिवशी, असे म्हटले जात होते की सामना दोलायमान स्थितीत होता परंतु तिसऱ्या दिवशी ऑस्ट्रेलियाची सतत पडझड झाल्यामुळे पीटर सिडलने दोन्ही डावांत अर्धशतके ठोकूनही त्यांना चांगले लक्ष्य गाठता आले नाही. पीटर सिडलची कसोटी सामन्याच्या दोन्ही डावांत अर्धशतके हा ९व्या क्रमांकाच्या फलंदाजासाठी विक्रम होता.[३८] कोहलीच्या ४१, धोनीच्या नाबाद १२ आणि पुजाराच्या नाबाद ८२ धावांच्या योगदानाने त्याच दिवशी भारताचे १५५ धावांचे लक्ष्य सहज गाठले गेले. धोनीने विजयी धावा फटकावल्या आणि भारताने प्रथमच एका मालिकेत चार कसोटी सामने जिंकून इतिहास रचला.[३८] रवींद्र जडेजाला त्याच्या कारकिर्दीतील सर्वोत्कृष्ट ५-५८ कामगिरीबद्दल[३८] सामनावीर पुरस्काराने सन्मानित करण्यात आले आणि रविचंद्रन अश्विनला चार सामन्यांत २९ बळी घेतल्याबद्दल मालिकावीर म्हणून गौरवण्यात आले.
२०१४-१५ मालिका
[संपादन]मालिकेतील पहिल्या सामन्यात ऑस्ट्रेलियाने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी करताना पहिल्या डावात ७ बाद ५१७ धावसंख्येवर डाव घोषित केला. विराट कोहलीचे हे कसोटी कर्णधार म्हणून पदार्पण होते. डेव्हिड वॉर्नरच्या अवघ्या १६३ चेंडूत १४५ धावांच्या खेळीच्या जोरावर ऑस्ट्रेलियन फलंदाजांनी फटाक्यांची आतषबाजी करत डावाची सुरुवात केली. स्टीव्ह स्मिथने नाबाद १६२ धावांची खेळी खेळली. पावसामुळे दुसरा दिवस वाया गेला. तिसऱ्या दिवसादरम्यान, विराट कोहलीने ११५ धावा केल्या, भारतीय संघाने ४४४ धावा केल्या आणि ऑस्ट्रेलियाला ७३ धावांची आघाडी मिळाली. त्यानंतर ऑस्ट्रेलियाने त्यांच्या दुसऱ्या डावात ५ बाद २९० धावसंख्येवर डाव घोषित केला, डेव्हिड वॉर्नरने पुन्हा शतक झळकावले. कोहलीच्या आणखी एका शतकानंतरही भारताचा चौथा डाव ३१५ धावांवर आटोपला आणि ऑस्ट्रेलियाला ४८ धावांनी विजय मिळाला. नेथन ल्योनला त्याच्या १२ बळींसाठी सामनावीर घोषित करण्यात आले.
दुसरा सामना पुन्हा ऑस्ट्रेलियाने जिंकून मालिकेत २-० अशी आघाडी घेतली. अंतिम दोन कसोटी अनिर्णित राहिल्या आणि ऑस्ट्रेलियाने मालिका २-० ने जिंकली आणि बॉर्डर-गावस्कर चषक परत मिळवली. तिसरा कसोटी सामना हा महेंद्रसिंग धोनीचा शेवटचा कसोटी सामना होता.[३९]
पहिली कसोटी ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटपटू फिलिप ह्युजेसला श्रद्धांजली मानली जात होती. ह्युजेसचा कॅप क्रमांक ४०८ लिहिलेली काळी पट्टी घालून श्रद्धांजली वाहण्यात आली. ६३ धावा केल्यानंतर फलंदाजांनी त्याला आदरांजली वाहिली. शेफिल्ड शील्ड गेममध्ये दक्षिण ऑस्ट्रेलियाकडून खेळताना बाउंसरने झटका दिल्याने ह्यूजचा मृत्यू झाला, जेव्हा तो दीर्घकालीन ऑस्ट्रेलियन कसोटी प्रतिनिधी म्हणून ओळखला जात होता.
२०१६-१७ मालिका
[संपादन]मालिकेतील पहिल्या सामन्यात ऑस्ट्रेलियाने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी केली. या मालिकेतील बॉर्डर-गावसकर चषकामध्ये प्रथमच डीआरएसचा वापर करण्यात आला,[४०][४१] परंतु हॉटस्पॉट तंत्रज्ञान वापरले गेले नाही.[४२] ऑस्ट्रेलिया पहिला कसोटी सामना पुण्यात खेळला. स्टीव ओ'कीफच्या १२ बळींच्या जोरावर ऑस्ट्रेलियाने सामना ३३३ धावांनी जिंकला.[४३]
बंगळुरू येथे झालेल्या दुसऱ्या कसोटी सामन्यात, नेथन ल्योनने भारताच्या पहिल्या डावात ५० धावांत ८ गडी बाद केले, पहिल्या दिवशीच्या खेळावर ऑस्ट्रेलियाचे वर्चस्व होते. पण सलामीवीर केएल राहुलची दोन अर्धशतके, चेतेश्वर पुजाराच्या ९२ धावा आणि रविचंद्रन अश्विनच्या सहा बळींच्या जोरावर भारताने दुसरा सामना ७५ धावांनी जिंकून मालिकेत १-१ अशी बरोबरी साधली.[४४]
तिसरी कसोटी अनिर्णित राहिली परंतु ह्या कसोटीमध्ये अनेक विक्रम मोडले गेले. हा ऑस्रेलियाचा ८००वा कसोटी सामना होता.[४५] ह्या सामन्यात स्टीव्ह स्मिथने ५,००० कसोटी धावा पूर्ण केल्या. तसे करणारा तो ऑस्ट्रेलियाचा सर्वात तरुण खेळाडू होता.[४६]. स्टीव्ह स्मिथ आणि ग्लेन मॅक्सवेल यांनी पहिल्या डावात १९१ धावांची भागीदारी केली. ही ऑस्ट्रेलियाची ५व्या गड्यासाठी भारतातील सर्वोत्कृष्ट भागीदारी आणि ५व्या गड्यासाठी पाहुण्या संघातर्फे भारतातील ४थी सर्वोत्कृष्ट भागीदारी होती.[४७]. चेतेश्वर पुजाराने (भा) ५२५ चेंडूंचा सामना करताना २०२ धावा केल्या, भारतीय फलंदाजातर्फे चेंडूचा विचार करता कसोटीमधील ही सर्वात मोठी खेळी होती.[४८]. तसेच पुजारा आणि वृद्धिमान साहा यांची १९९ धावांची भागीदारी ही भारताची ऑस्ट्रेलियाविरुद्ध सातव्या गड्यासाठी सर्वोच्च भागीदारी होती.[४८]
चौथी कसोटी ही अजिंक्य राहणेची कर्णधार म्हणून पहिलीच कसोटी होती.[४९] नाणेफेक जिंकून फलंदाजीला उतरलेल्या ऑस्ट्रेलियाने स्टीव्ह स्मिथच्या शतकाच्या जोरावर ३०० धावा उभारल्या. ह्या शतकामुळे स्टीव्ह स्मिथ हा भारतातील मालिकेमध्ये तीन शतके करणारा पहिला ऑस्ट्रेलियाचा पहिला फलंदाज ठरला.[५०] पदार्पण करणाऱ्या कुलदीप यादवने ६८ धावा देत सर्वाधिक ४ गडी बाद केले. प्रत्युत्तरात भारताने ३३२ धावा करून ३२ धावांची निसटती आघाडी मिळवली. दुसऱ्या डावाच्या सुरुवातीलाच उमेश यादवने ऑस्ट्रेलियाच्या फलंदाजीला खिंडार पाडले आणि त्यानंतर जडेजा आणि अश्विनच्या फिरकीसमोर ऑस्ट्रेलियाने १३७ धावांमध्ये शरणागती पत्करली. मिळालेले १०६ धावांचे माफक आव्हान भारताने २ गाड्यांच्या मोबदल्यात पार कडून मालिका २-१ ने खिशात टाकली. २५ बळी आणि १२७ धावा करणाऱ्या रवींद्र जडेजाला मालिकावीर घोषित करण्यात आले. हा भारताचा सातवा बॉर्डर-गावस्कर चषक होता.
२०१८-१९ मालिका
[संपादन]दक्षिण आफ्रिकेविरुद्ध केपटाऊनमधील ऑस्ट्रेलियन बॉल-टॅम्परिंग स्कँडल २०१८ मुळे ऑस्ट्रेलियाचे आघाडीच्या फळीतील फलंदाज डेव्हिड वॉर्नर, स्टीव्ह स्मिथ आणि कॅमेरॉन बॅनक्रॉफ्ट हे २०१८-१९ मालिकेमध्ये नव्हते.[५१]इशांत शर्माने मालिका सुरू होण्यापूर्वी सांगितले की, "सध्या आमच्यासाठी ही सर्वात मोठी संधी आहे". ऑस्ट्रेलियातील मालिका आणि चषक जिंकण्याची भारतासाठी ही सर्वोत्तम संधी असल्याचे ऑस्ट्रेलियन मीडियाने सुद्धा म्हटले.[५२][५३]
ॲडलेडमधील पहिल्या कसोटीत चेतेश्वर पुजाराने १२३ आणि ७१ धावा करत ऑस्ट्रेलियाला शेवटच्या डावात ३२२ धावांचे लक्ष्य दिले होते. ऑस्ट्रेलियाच्या तळाच्या फलंदाजांनी ५व्या दिवशी दिलेल्या लढाईनंतरही भारताने सामन्यात ३१ धावांनी विजय मिळवला. २००८ नंतरचा ऑस्ट्रेलियातील हा पहिलाच विजय होता.[५४][५५][५६]
दुसरी कसोटी पर्थ स्टेडियमवर झाली आणि ऑस्ट्रेलियाने १४६ धावांनी विजय मिळवून मालिकेत १-१ अशी बरोबरी साधली .[५७] नेथन ल्योनने दोन डावात आठ विकेट घेतल्याने त्याला सामनावीराचा पुरस्कार मिळाला. त्या सामन्यादरम्यान, विराट कोहलीने पहिल्या डावात १२३ धावा करून त्याचे २५ वे शतक झळकावले. दुसऱ्या डावात ल्योन आणि स्टार्कच्या गोलंदाजीमुले भारताची तळाची फलंदाजी कोलमडली आणि संघ केवळ १४० धावांवर कोसळला.[५८][५९]
मेलबर्नमधील तिसऱ्या कसोटीत भारताने पहिला डाव ४४३/७ धावांवर घोषित करण्यापूर्वी पुजाराने कसोटी मालिकेतील दुसरे शतक (१०६) झळकावले. ऑस्ट्रेलियाचा (१५१ आणि २६१) अखेर १३७ धावांनी पराभव झाला. जसप्रीत बुमराहने पहिल्या डावात ३३ धावांमध्ये ६ आणि दुसऱ्या डावात आणखी ३ गडी बाद केले, त्याला सामनावीर म्हणून सन्मानित केले गेले. या विजयासहित भारताने बॉर्डर-गावस्कर चषक राखला आणि ऑस्ट्रेलियात मालिका जिंकणारा पहिला भारतीय संघ म्हणून इतिहास रचला.[६०][६१]
सिडनी क्रिकेट मैदानावरील चौथी आणि शेवटची कसोटी अनिर्णित राहिली पण त्याआधी पुजाराने भारतासाठी त्यांच्या एकमेव डावात १९३ धावा केल्या, ऋषभ पंतने १५९ धावा केल्या. भारताने ऑस्ट्रेलियाचा डाव ३०० धावांवर गुंडाळला आणि पावसामुळे पुढील खेळ रद्द होण्यापूर्वी १९८८ नंतर प्रथमच ऑस्ट्रेलियाला फॉलोऑन करण्यासाठी भाग पाडले. [६२][६३] मालिकेत ५२१ धावा करणाऱ्या चेतेश्वर पुजाराला मालिकावीराचा पुरस्कार देण्यात आला.[६४]
२०२०–२१ मालिका
[संपादन]भारताने २०१८-१९ दरम्यान ऑस्ट्रेलियामध्ये २-१ आणि मायदेशात २०१७ मध्ये २-१ ने चषक जिंकल्यानंतर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी मिळविली आणि मालिकेमध्ये प्रवेश केला. ऑस्ट्रेलियाने याआधी २०१४मध्ये मायदेशात मालिका २-० अशी जिंकली होती.
ॲडलेडमधील पहिली कसोटी दिवस-रात्र कसोटी होती ज्यात भारताने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी करण्याचा निर्णय घेतला. कर्णधार विराट कोहलीच्या नेतृत्वाखाली भारताने पहिल्या डावात २४४ धावा केल्या. विराटने धावचीत होण्यापूर्वी ७४ धावा केल्या. प्रत्युत्तरात ऑस्ट्रेलियाचा डाव १९१ धावांवर आटोपला आणि भारताला ५३ धावांची आघाडी मिळाली. ऑस्ट्रेलियाचा कर्णधार टिम पेन या डावात सर्वाधिक धावा करणारा खेळाडू होता; त्याने ९९ चेंडूत ७३* धावा केल्या. दुसऱ्या डावात भारताने कसोटी क्रिकेटमधील त्यांची सर्वात कमी म्हणजेच ३६ इतकी धावसंख्या नोंदवली.[६५] २१ व्या शतकातील ही सर्वात नीचांकी कसोटी धावसंख्या होती. कोणताही फलंदाज दुहेरी आकडा गाठू शकला नाही असे कसोटी क्रिकेटमध्ये फक्त दुसऱ्यांदा घडले.[६६] या डावात पॅट कमिन्सच्या शॉर्ट बॉलवर मारलेल्या फटक्यामुळे मोहम्मद शमीच्या हाताला फ्रॅक्चर झाले आणि भारताने आणखी एका गोलंदाजाला मुकावे लागले. जॉश हेझलवूडने ५ षटकांत ५/८ अशी आकडेवारी नोंदवली. १९४७ पासून कसोटीत ऑस्ट्रेलियन गोलंदाजातर्फे हे बळींचे पंचक सर्वात किफायतशीर असे होते.[६७] ऑस्ट्रेलियाने ९० धावांच्या लक्ष्याचा यशस्वी पाठलाग केवळ २१ षटकांत केला. २/९३ अशा धावसंख्येसहित त्यांनी ८ गडी राखून विजय मिळवला. फलंदाजी आणि यष्टिरक्षणासाठी टिम पेनला सामनावीर म्हणून गौरवण्यात आले.[६८][६९]
दुसरी कसोटी, बॉक्सिंग डे कसोटी, मेलबर्नमधील मेलबर्न क्रिकेट मैदानावर झाली. त्या आणि त्यानंतर झालेल्या दोन कसोटींमध्ये भारताचा नियमित कर्णधार विराट कोहली पितृत्व रजा घेतली होती. कोहलीच्या अनुपस्थितीत उपकर्णधार अजिंक्य रहाणेने भारताचे नेतृत्व केले. ऑस्ट्रेलियचा कर्णधार टिम पेनने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी करण्याचा निर्णय घेतला.[७०] ऑस्ट्रेलियाचा पहिला डाव १९५ धावांवर आटोपला. प्रत्युत्तरात रहाणेच्या शतकामुळे भारताने ३२६ धावांपर्यंत मजल मारली आणि १३१ धावांची आघाडी घेतली. दुसऱ्या डावात ऑस्ट्रेलियाचा डाव २०० धावांत आटोपला आणि भारताला विजयासाठी ७० धावांचे लक्ष्य मिळाले. त्यांनी हे काम दोन गडी गमावून पूर्ण केले.[७१] पहिल्या डावातील शतकासाठी अजिंक्य रहाणेला सामनावीर म्हणून घोषित करण्यात आले आणि त्याने पहिले मुल्लाघ पदकही जिंकले.[७२]
तिसरी कसोटी सिडनी क्रिकेट मैदान, सिडनी येथे ७ जानेवारी २०२१ पासून सुरू झाली. ऑस्ट्रेलियाई कर्णधार टिम पेनने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी करण्याचा निर्णय घेतला.[७३] ऑस्ट्रेलियाने पहिल्या डावात एकूण ३३८ धावा केल्या, ज्यात स्टीव स्मिथचे शतक आणि मार्नस लॅबशॅन आणि नवोदित विल पुकोवस्की यांच्या अर्धशतकांचा समावेश होता. शुभमन गिल आणि चेतेश्वर पुजाराच्या जिद्दी अर्धशतकांच्या जोरावर भारताने प्रत्युत्तरात २४४ धावा केल्या, ऑस्ट्रेलियाला ९४ धावांची आघाडी मिळाली.[७४] दुसऱ्या डावात, कॅमेरॉन ग्रीनने ऑस्ट्रेलियासाठी सर्वाधिक धावा केल्या आणि त्यांनी ८७ षटकांनंतर ६ बाद ३१२ धावसंख्येवर डाव घोषित केला आणि भारताला विजयासाठी ४०७ धावांचे लक्ष्य दिले. विजयाची शक्यता फारच कमी दिसत होती, फक्त ऋषभ पंतने सर्वाधिक ९७ धावा केल्या आणि त्यानंतर चेतेश्वर पुजाराने ७७ धावा केल्या. रविचंद्रन आश्विन आणि हनुमा विहारी या दोघांनी २८९ चेंडू खेळात केलेल्या जिगरबाज खेळीमुळे भारताचा डाव ५/३३४ वर संपला आणि अखेर सामना अनिर्णित राहिला. स्टीव स्मिथला सामनावीर म्हणून गौरवण्यात आले.
निर्णायक चौथी कसोटी ब्रिस्बेन येथील द गब्बा येथे खेळली गेली. गेल्या ३२ वर्षांत खेळल्या गेलेल्या ३१ हून अधिक सामन्यांमध्ये ऑस्ट्रेलियाच्या या मैदानावर अभेद्य कसोटी विक्रमामुळे क्रिकेट सर्किटमध्ये 'Gabbatoir' किंवा 'Fortress Gabba' म्हणून ओळखले जाते. त्याशिवाय आणखी काही खेळाडूंच्या दुखापतींमुळे भारत आधीच मागे ढकलला गेला होता; त्यामुळे भारतीय संघ ॲडलेडमधील पहिल्या कसोटीत खेळलेल्या अकरा खेळाडूंपैकी फक्त दोन खेळाडूंना कायम ठेवू शकला. या सामन्यापूर्वी भारताला गोलंदाजीची अशी फळी तयार करणे बंधनकारक झाले ज्यांचा एकत्रित अनुभव केवळ ४ कसोटी आणि (अर्धवेळ रोहित शर्माच्या दोन बळींसह) फक्त १३ बळी इतका होता. ऑस्ट्रेलियन खेळाडू नेथन ल्यॉनसाठी ही १००वी कसोटी होती आणि हा टप्पा गाठणारा तो ऑस्ट्रेलियाचा १३वा खेळाडू होता. ऑस्ट्रेलियाने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी करण्याचा निर्णय घेतला आणि मार्नस लॅबशॅनच्या शतकाच्या जोरावर पहिल्या डावात ३६९ धावा केल्या. भारताचा पहिला डाव ३३६ धावांवर संपुष्टात आल्याने ऑस्ट्रेलियाला ३३ धावांची निसटती आघाडी मिळाली. ऑस्ट्रेलियाचा दुसरा डाव २९४ धावांत आटोपल्याने भारताला विजयासाठी ३२८ धावांचे लक्ष्य मिळाले. गर्तेत असूनही, भारताने अंतिम दिवशी तीन षटके बाकी असताना लक्ष्याचा यशस्वी पाठलाग केला. डावाच्या शेवटी भारताची धावसंख्या होती ७ बाद ३२९. संघाने तीन गडी राखून विजय मिळवला आणि मालिका २-१ ने जिंकली.[७५] १९८८ नंतर ऑस्ट्रेलियाने द गब्बा येथे कसोटी सामना गमावण्याची ही पहिलीच वेळ होती,[७६] याआधीच अनिर्णित सामना २०१२मध्ये झाला होता. पॅट कमिन्सला मालिकावीर आणि ऋषभ पंतला नाबाद ८९ च्या विजयी खेळीची सामनावीर म्हणून घोषित करण्यात आले. आयसीसी, त्यांच्या जागतिक मतदान निकालांनुसार, या मालिकेला सर्वकालीन सर्वात महान कसोटी मालिका मानते.[७७]
२०२२-२३ मालिका
[संपादन]ऑक्टोबर-नोव्हेंबर २०२२ या कालावधीत होणारी चार सामन्यांची मालिका ऑक्टोबर २०२२ मध्ये ऑस्ट्रेलियामध्ये आयोजित टी-२० विश्वचषकामुळे हलवली गेली. आणि फेब्रुवारी २०२३ मध्ये खेळवली गेली.[७८]
पहिली कसोटी ९ फेब्रुवारी २०२३ रोजी नागपुरमध्ये सुरू झाली. ऑस्ट्रेलियन कर्णधार पॅट कमिन्सने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजीचा निर्णय घेतला. ऑस्ट्रेलियाचा पहिला डाव १७७ धावांत आटोपला. भारतीय फिरकी गोलंदाज रवींद्र जडेजाने पंचबळी घेत या डावात वर्चस्व गाजवले. दुसरीकडे भारतीयांनी ४०० धावांचा डोंगर उभा करून २२३ धावांची आघाडी घेतली. टॉड मर्फीने भारताच्या पहिल्या डावात पदार्पणात ७ गडी बाद केले.[७९] ऑस्ट्रेलियाचा संघ दुसऱ्या डावात सपशेल अपयशी ठरला. ऑस्ट्रेलियाला ९१ धावांवर बाद करून भारताने पहिली कसोटी एक डाव आणि १३२ धावांनी जिंकली. रवींद्र जडेजाला त्याच्या शानदार पुनरागमनासाठी सामनावीराचा पुरस्कार देण्यात आला.[८०]
दुसरी कसोटी १३ फेब्रुवारी २०२३ रोजी दिल्लीत सुरू झाली. पॅट कमिन्सने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजीचा निर्णय घेतला. पहिल्या डावात ऑस्ट्रेलियाने दमदार २६३ धावा केल्या. प्रत्युत्तरात भारताने अवघ्या १ धावांनी पिछाडीवर पडून २६२ धावा केल्या. कमी फरकाने आघाडीवर असलेल्या ऑस्ट्रेलियन संघाला दुसऱ्या डावात चांगली संधी होती, तथापि, त्यांचा डाव केवळ ११३ धावांत आटोपला. रवींद्र जडेजाने कारकिर्दीतील सर्वोत्तम कामगिरी करत ४२ धावांत ७ गडी बाद केले आणि भारताने ११४ धावांचे लक्ष्य ६ पार केले. रवींद्र जडेजाला त्याच्या उत्कृष्ट गोलंदाजी कामगिरीसाठी सामनावीराचा पुरस्कार देण्यात आला.[८१]
२८ फेब्रुवारी २०२३ रोजी तिसरी कसोटी इंदूर येथे सुरू झाली. ऑस्ट्रेलियन संघाचे काही खेळाडू वैयक्तिक कारणांमुळे मायदेशी परतले होते, विशेषतः पॅट कमिन्स (ऑस्ट्रेलियाचा कर्णधार). त्यामुळे तिसऱ्या कसोटीत स्टीव्ह स्मिथ संघाचे नेतृत्व करत होता. रोहित शर्माने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजी करण्याचा निर्णय घेतला. भारताचा डाव १०९ धावांत गुंडाळला गेला आणि मॅथ्यू कुन्हेमनने शानदार पाच बळी घेतले. प्रत्युत्तरात ऑस्ट्रेलियाने पहिल्या डावात १९७ धावा केल्या, त्यामधील ६० धावा उस्मान ख्वाजाने उभारल्या. ८८ धावांची आघाडी पार करत भारताने दुसऱ्या डावात १६३ धावा केल्या. आठ फलंदाजांना माघारी पाठविणारा नेथन ल्योन सामनावीर ठरला. ऑस्ट्रेलियाने केवळ एक गडी गमावून ७६ धावांच्या लक्ष्याचा पाठलाग केला आणि सामना जिंकला.[८२]
चौथी कसोटी ९ मार्च २०२३ रोजी अहमदाबादच्या नरेंद्र मोदी स्टेडियमवर सुरू झाली. भारताचे पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी ऑस्ट्रेलियाचे पंतप्रधान अँथनी अल्बानीज यांचे स्टेडियमवर यजमानपद भूषवले. दोन देशांमधील राजनैतिक आणि क्रिकेट संबंधांना ७५ वर्षे पूर्ण झाल्याबद्दल आदरांजली म्हणून या कार्यक्रमाचे आयोजन करण्यात आले होते. दोन्ही पंतप्रधानांनी स्टेडियममधील "हॉल ऑफ फेम" संग्रहालयाला भेट दिली.[८३]
ऑस्ट्रेलियन कर्णधार स्टीव्ह स्मिथ (पॅट कमिन्सच्या अनुपस्थितीत) याने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजीचा निर्णय घेतला. पहिल्या डावात उस्मान ख्वाजा आणि कॅमेरॉन ग्रीन यांनी अनुक्रमे १८० आणि ११४ धावा केल्या, परिणामी ऑस्ट्रेलियाने ४८० धावा केल्या आणि भारताकडून रविचंद्रन अश्विनने ६ गडी बाद केले. कसोटी सामन्याच्या दुसऱ्या दिवशी (तिसऱ्या सत्रात) भारत फलंदाजीला आला. पहिल्या डावात शुभमन गिल आणि विराट कोहली यांनी अनुक्रमे १२८ आणि १८६ धावा केल्या, ऑस्ट्रेलियासाठी नेथन ल्योन आणि मॅथ्यू कुन्हेमन यांनी मिळून ६ विकेट्स घेतल्या (प्रत्येकी ३). भारताने पहिल्या डावात ५७१ धावा केल्या आणि ९१ धावांची महत्वपूर्ण आघाडी घेतली. चौथ्या दिवशी दुसऱ्या डावात ऑस्ट्रेलिया फक्त ६ षटके खेळण्यासाठी मैदानात उतरला. सामन्याच्या शेवटच्या दिवशी ट्रॅव्हिस हेड आणि मार्नस लॅबशॅन यांनी ऑस्ट्रेलियासाठी अनुक्रमे ९० आणि ६३* धावा केल्या. दोन्ही कर्णधारांनी ७८व्या षटकाच्या सुरुवातीला सामना अनिर्णित राखण्याचा निर्णय घेतला. ऑस्ट्रेलियाने त्यांच्या दुसऱ्या डावात २ गडी गमावून १७५ धावा केल्या होत्या. भारताने २-१ ने मालिका जिंकली आणि बॉर्डर-गावस्कर चषक राखला. विराट कोहली १८६ धावा केल्याबद्दल सामनावीर ठरला तर रविचंद्रन अश्विन आणि रवींद्र जडेजा यांना अनुक्रमे ८६ धावा आणि २५ बळी, १३५ धावा आणि २२ बळींसाठी संयुक्तपणे मालिकेतील सर्वोत्तम खेळाडूचा पुरस्कार मिळाला.[८४]
२०२४-२५ मालिका
[संपादन]पाच कसोटी सामन्यांची मालिका ऑस्ट्रेलियामध्ये २२ नोव्हेंबर २०२४ ते ७ जानेवारी २०२५ दरम्यान खेळवली जाईल. सामने पर्थ, ॲडलेड, ब्रिस्बेन, मेलबर्न आणि सिडनी येथे खेळविले जातील. १९९२ नंतर भारत आणि ऑस्ट्रेलिया यांच्यातील पाच सामन्यांची ही पहिलीच कसोटी मालिका असेल.[८५] २०२३-२०२५ आयसीसी विश्व कसोटी अजिंक्यपद स्पर्धेच्या अंतिम फेरीमध्ये पोहोचण्याच्या दृष्टीने ही मालिका दोन्ही संघासाठी खूप महत्त्वाची असल्याने, सामने फारच चुरशीचे होण्याची शक्यता असेल.
आकडेवारी
[संपादन]सादर आकडेवारी ही आजवर बॉर्डर-गावस्कर चषकासाठी खेळल्या गेलेल्या एकूण कसोटी सामन्यांमधील, सर्वोत्कृष्ट फलंदाज तसेच गोलंदाजांची कामगिरी दर्शविते.
सर्वाधिक धावा
[संपादन]फलंदाज | कालावधी | सामने | डाव | नाबाद | धावा | सर्वोत्तम | सरासरी | १०० | ५० |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
सचिन तेंडुलकर | १९९६-२०१३ | ३४ | ६५ | ७ | ३२६२ | २४१* | ५६.२४ | ९ | १६ |
रिकी पाँटिंग | १९९६-२०१२ | २९ | ५१ | ४ | २५५५ | २५७ | ५७.७० | ८ | १२ |
व्हीव्हीएस लक्ष्मण | १९९८-२०१२ | २९ | ५४ | ५ | २४३४ | २८१ | ५४.३३ | ६ | १२ |
राहुल द्रविड | १९९६-२०१२ | ३२ | ६० | ६ | २१४३ | २३३ | ३९.४५ | २ | १३ |
विराट कोहली | २०११-२०२४ | २५ | ४४ | २ | २०८४ | १८६ | ४९.६१ | ९ | ५ |
स्रोत: ईएसपीएन क्रिकइन्फो
सर्वाधिक बळी
[संपादन]गोलंदाज | कालावधी | सामने | डाव | षटके | धावा | बळी | सर्वोत्तम | सरासरी | ५ बळी |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
नेथन ल्योन | २०११-२०२४ | २७ | ४९ | १२७३.४ | ३८७८ | ११८ | ८/५० | ३२.८६ | ९ |
रविचंद्रन अश्विन | २०११-२०२३ | २२ | ४२ | ११९३.५ | ३२३४ | ११४ | ७/१०३ | २८.३६ | ७ |
अनिल कुंबळे | १९९६-२००८ | २० | ३८ | १०८६.० | ३३६६ | १११ | ८/१४१ | ३०.३२ | १० |
हरभजन सिंग | १९९८-२०१३ | १८ | ३५ | ९६७.४ | २८४६ | ९५ | ८/८४ | २९.९५ | ७ |
रवींद्र जडेजा | २०१३-२०२३ | १६ | ३० | ६९४.१ | १६०३ | ८५ | ७/४२ | १८.८५ | ५ |
स्रोत: ईएसपीएन क्रिकइन्फो
संदर्भ आणि नोंदी
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