बॉर्डर-गावस्कर चषक
बॉर्डर-गावस्कर चषक | |
---|---|
बॉर्डर-गावस्कर चषक | |
देश |
भारत ऑस्ट्रेलिया |
आयोजक |
भारतीय क्रिकेट नियामक मंडळ क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया |
प्रकार | कसोटी क्रिकेट |
प्रथम | १९९६–९७ (भारत) |
शेवटची | २०२२–२३ (भारत) |
पुढील | २०२४–२५ (ऑस्ट्रेलिया) |
स्पर्धा प्रकार | ५-सामन्यांची कसोटी मालिका |
संघ | २ |
यशस्वी संघ |
भारत (१० मालिका विजय आणि १वेळा चषक राखला) |
पात्रता | आयसीसी विश्व कसोटी अजिंक्यपद स्पर्धा |
सर्वाधिक धावा | सचिन तेंडुलकर (३,२६२)[१] |
सर्वाधिक बळी | नेथन ल्यॉन (११६)[२] |
बॉर्डर-गावस्कर चषक (BGT)[३]ही भारत आणि ऑस्ट्रेलिया यांच्यात खेळली जाणारी आंतरराष्ट्रीय कसोटी क्रिकेट स्पर्धा आहे. या मालिकेचे नाव प्रतिष्ठित माजी कर्णधार, ऑस्ट्रेलियाचे ॲलन बॉर्डर आणि भारताचे सुनील गावस्कर यांच्या नावावर ठेवण्यात आले आहे. ही स्पर्धा आंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समितीच्या भविष्यातील दौरा कार्यक्रमांचा वापर करून नियोजित कसोटी मालिकेद्वारे खेळली जाते. कसोटी मालिका जिंकणारा चषक जिंकतो. मालिका अनिर्णित राहिल्यास, आधीच्या मालिकेचा विजेता संघ चषक राखून ठेवतो. भारत-ऑस्ट्रेलिया स्पर्धेचे स्पर्धात्मक स्वरूप आणि दोन्ही संघांचे उच्च स्थान पाहता, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी ५ दिवसांच्या क्रिकेटमधील सर्वात प्रतिष्ठित द्विपक्षीय ट्रॉफी मानली जाते.
मार्च २०२३ पर्यंत, भारताने २०२३ मालिकेत ऑस्ट्रेलियाला २-१ ने पराभूत केल्यानंतर ट्रॉफी राखली.
१९९६ पासून चषकाच्या स्पर्धेत, भारतीय सचिन तेंडुलकर हा सर्वात यशस्वी फलंदाज आहे, ज्याने ६५ डावांत ३,२६२ धावा केल्या आहेत.[१] तर ऑस्ट्रेलियाचा नेथन ल्यॉन हा सर्वात यशस्वी गोलंदाज आहे, ज्याने २६ सामन्यांमध्ये ३२.४० च्या सरासरीने ११६ गडी बाद केले आहेत.[२]
पार्श्वभूमी
[संपादन]अनधिकृत कसोटी मालिका
[संपादन]भारत आणि ऑस्ट्रेलिया यांच्यातील पहिला क्रिकेट सामना म्हणजे चार अनधिकृत कसोटी सामन्यांची मालिका खेळण्यासाठी ऑस्ट्रेलियाने केलेला १९३५-३६ चा भारत दौरा. त्यानंतर १९४५-४६ मध्ये ऑस्ट्रेलियाच्या सर्व्हिसेस क्रिकेट संघाने भारताचा दौरा केला होता.
हंगाम | प्रवासी संघ | यजमान संघ | अनधिकृत कसोटी सामने | ऑस्ट्रेलिया | भारत | अनिर्णित | निकाल |
---|---|---|---|---|---|---|---|
१९३५-३६ | ऑस्ट्रेलिया | भारत | ४
|
२
|
२
|
०
|
अनिर्णित |
१९४५-४६ | ऑस्ट्रेलिया सर्व्हिसेस | भारत | ३
|
०
|
१
|
२
|
भारत |
चषकासाठी खेळल्या न गेलेल्या कसोटी मालिका आणि एकमेव सामने
[संपादन]भारताचा १९४७-४८ चा ऑस्ट्रेलिया दौरा हा स्वातंत्र्य मिळाल्यानंतरचा पहिला दौरा होता आणि ज्यामध्ये दोन्ही संघांमधील पहिला कसोटी सामना आणि पहिल्या मालिकेचा समावेश होता. दौरे अनियमितपणे आयोजित करण्यात आले होते आणि त्यांच्यामध्ये खूप अंतर होते. २०२३ विश्व कसोटी अजिंक्यपद स्पर्धेच्या अंतिम सामन्यामध्ये ऑस्ट्रेलिया आणि भारत आमनेसामने आले, जी १९९१-९२ नंतरची अशी पहिलीच कसोटी होती जी दोन संघांमधील बॉर्डर-गावस्कर चषकासाठी लढवली गेली नव्हती.[४]
हंगाम | यजमान संघ | कसोटी सामने | ऑस्ट्रेलिया | भारत | अनिर्णित | बरोबरी | निकाल | |||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
१९४७-४८ | ऑस्ट्रेलिया | ५
|
४
|
०
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९५६-५७ | भारत | ३
|
२
|
०
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९५९-६० | भारत | ५
|
२
|
१
|
२
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९६४-६५ | भारत | ३
|
१
|
१
|
१
|
०
|
अनिर्णित | |||
१९६७-६८ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
४
|
०
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९६९-७० | भारत | ५
|
३
|
१
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९७७-७८ | ऑस्ट्रेलिया | ५
|
३
|
२
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
१९७९-८० | भारत | ६
|
०
|
२
|
४
|
०
|
भारत | |||
१९८०-८१ | ऑस्ट्रेलिया | ३
|
१
|
१
|
१
|
०
|
अनिर्णित | |||
१९८५-८६ | ऑस्ट्रेलिया | ३
|
०
|
०
|
३
|
०
|
अनिर्णित | |||
१९८६-८७ | भारत | ३
|
०
|
०
|
२
|
१
|
अनिर्णित | |||
१९९१-९२ | ऑस्ट्रेलिया | ५
|
४
|
०
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
२०२३ | इंग्लंड | १
|
१
|
०
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | |||
एकूण | ५१
|
२५
|
८
|
१७
|
१
|
- |
कसोटी मालिकांची यादी
[संपादन]खालील तक्त्यामध्ये बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी सुरू झाल्यानंतरच्या सामन्यांच्या मालिकेची यादी आहे.
हंगाम | यजमान | कसोटी | ऑस्ट्रेलिया | भारत | अनिर्णित | बरोबरी | निकाल | धारक | मालिकावीर |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
१९९६–९७ | भारत | १
|
०
|
१
|
०
|
०
|
भारत | भारत | नयन मोंगिया |
१९९७–९८ | भारत | ३
|
१
|
२
|
०
|
०
|
भारत | भारत | सचिन तेंडुलकर |
१९९९–२००० | ऑस्ट्रेलिया | ३
|
३
|
०
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | सचिन तेंडुलकर |
२००१ | भारत | ३
|
१
|
२
|
०
|
०
|
भारत | भारत | हरभजन सिंग |
२००३–०४ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
१
|
१
|
२
|
०
|
अनिर्णित | भारत | राहुल द्रविड |
२००४–०५ | भारत | ४
|
२
|
१
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | डेमियन मार्टिन |
२००७–०८ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
२
|
१
|
१
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | ब्रेट ली |
२००८–०९ | भारत | ४
|
०
|
२
|
२
|
०
|
भारत | भारत | इशांत शर्मा |
२०१०–११ | भारत | २
|
०
|
२
|
०
|
०
|
भारत | भारत | सचिन तेंडुलकर |
२०११–१२ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
४
|
०
|
०
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | मायकेल क्लार्क |
२०१२–१३ | भारत | ४
|
०
|
४
|
०
|
०
|
भारत | भारत | रविचंद्रन आश्विन |
२०१४–१५ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
२
|
०
|
२
|
०
|
ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया | स्टीव स्मिथ |
२०१६–१७ | भारत | ४
|
१
|
२
|
१
|
०
|
भारत | भारत | रवींद्र जडेजा |
२०१८–१९ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
१
|
२
|
१
|
०
|
भारत | भारत | चेतेश्वर पुजारा |
२०२०–२१ | ऑस्ट्रेलिया | ४
|
१
|
२
|
१
|
०
|
भारत | भारत | पॅट कमिन्स |
२०२२–२३ | भारत | ४
|
१
|
२
|
१
|
०
|
भारत | भारत | रवींद्र जडेजा रविचंद्रन आश्विन |
२०२४–२५ | ऑस्ट्रेलिया | ५
|
|||||||
एकूण | ५६
|
२०
|
२४
|
१२
|
०
|
- |
मालिका सारांश
[संपादन]बॉर्डर-गावस्कर चषक हा कसोटी क्रिकेटमधील प्रमुख द्विपक्षीय चषकांपैकी एक आहे. २०२२-२३ मालिकेपर्यंत, भारतात आयोजित ९ पैकी ८ मालिका भारताने जिंकल्या, तर ऑस्ट्रेलियाने ऑस्ट्रेलियात झालेल्या ७ पैकी ४ मालिका जिंकल्या आहेत. ह्यामुळे दोन्ही संघांना घरच्या मैदानावर पराभूत करणे कठीण असल्याची ख्याती आहे. ह्याच कारणामुळे ऑस्ट्रेलियाने (२००४-०५) तर भारताने (२०१८-१९ व २०२०-२१) मायदेशाबाहेर मिळवलेल्या विजयांनी क्रिकेटच्या लोककथा म्हणता येतील अशामध्ये स्थान मिळवले आहे. दोन्ही संघांनी जवळजवळ सारख्याच संख्येने कसोटी सामने आणि मालिका जिंकल्या आहेत आणि चषक वारंवार ह्या संघाकडून त्यासंघाकडे जात आहे. २०००-०१ आणि २००७-०८ या दोन्हीमध्ये भारताने ऑस्ट्रेलियाची सलग १६ कसोटी विजयांची मालिका संपवली यावरूनही या मालिकेतील स्पर्धात्मकता दिसून येते. २०००-०१ या मालिकेचा त्यांचा कर्णधार स्टीव्ह वॉ याने ऑस्ट्रेलियासाठी "फायनल फ्रंटियर" म्हणून उल्लेख केला होता कारण भारतात जिंकणे कठीण होते आणि दोन्ही बाजूंनी खूपच अटीतटीची लढत झाली होती.
भारतात आयोजित मालिका
[संपादन]वर्ष | कसोटी | भारताचे विजय | ऑस्ट्रेलियाचे विजय | अनिर्णित | बरोबरी | निकाल |
---|---|---|---|---|---|---|
१९५६-५७ | ३ | ० | २ | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९५९-६० | ५ | १ | २ | २ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९६४-६५ | ३ | १ | १ | १ | ० | अनिर्णित |
१९६९-७० | ५ | १ | ३ | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९७९-८० | ६ | २ | ० | ४ | ० | भारत |
१९८६-८७ | ३ | ० | ० | २ | १ | अनिर्णित |
१९९६-९७ | १ | १ | ० | ० | ० | भारत |
१९९७-९८ | ३ | २ | १ | ० | ० | भारत |
२०००-०१ | ३ | २ | १ | ० | ० | भारत |
२००४-०५ | ४ | १ | २ | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२००८-०९ | ४ | २ | ० | २ | ० | भारत |
२०१०-११ | २ | २ | ० | ० | ० | भारत |
२०१२-१३ | ४ | ४ | ० | ० | ० | भारत |
२०१६-१७ | ४ | २ | १ | १ | ० | भारत |
२०२२-२३ | ४ | २ | १ | १ | ० | भारत |
एकूण | ५४ | २३ | १४ | १६ | १ | |
एकूण % |
४३% | २६% | ३०% | २% |
ऑस्ट्रेलियामध्ये आयोजित मालिका
[संपादन]वर्ष | कसोटी | ऑस्ट्रेलियाचे विजय | भारताचे विजय | अनिर्णित | बरोबरी | निकाल |
---|---|---|---|---|---|---|
१९४७-४८ | ५ | ४ | ० | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९६७-६८ | ४ | ४ | ० | ० | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९७७-७८ | ५ | ३ | २ | ० | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९८०-८१ | ३ | १ | १ | १ | ० | अनिर्णित |
१९८५-८६ | ३ | ० | ० | ३ | ० | अनिर्णित |
१९९१-९२ | ५ | ४ | ० | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
१९९९-२००० | ३ | ३ | ० | ० | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२००३-०४ | ४ | १ | १ | २ | ० | अनिर्णित |
२००७-०८ | ४ | २ | १ | १ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२०११-१२ | ४ | ४ | ० | ० | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२०१४-१५ | ४ | २ | ० | २ | ० | ऑस्ट्रेलिया |
२०१८-१९ | ४ | १ | २ | १ | ० | भारत |
२०२०-२१ | ४ | १ | २ | १ | ० | भारत |
एकूण | ५२ | ३० | ०९ | १३ | ० | |
एकूण % |
५८% | १७% | २६% | ०% |
१९९६–९७ एकल कसोटी
[संपादन]१९९६-९७ एकल कसोटी ही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी अंतर्गत खेळली गेलेली पहिली कसोटी होती. कर्णधार म्हणून सचिन तेंडुलकरची सुद्धा ही पहिलीच मालिका होती. दिल्लीतील फिरोजशाह कोटला मैदानावर खेळल्या गेलेल्या या मालिकेत फक्त एका सामन्याचा समावेश होता.
१० ते १४ ऑक्टोबर १९९६ या कालावधीत खेळला गेलेला हा सामना फक्त चार दिवस चालला, ज्यात भारताने ऑस्ट्रेलियाचा सात गडी राखून पराभव केला.
ऑस्ट्रेलियाने नाणेफेक जिंकून फलंदाजीचा निर्णय घेतला. परंतु अनिल कुंबळेच्या नेतृत्वाखालील भारतीय फिरकीपटूंनी त्यांना १८२ धावांत गुंडाळले. मायकेल स्लेटरने सर्वाधिक ४४ धावा केल्या. प्रत्युत्तरात भारताने ३६१ धावा केल्या, त्यात नयन मोंगियाच्या कारकिर्दीतील सर्वोत्तम १५२ धावांचे योगदान होते. ऑस्ट्रेलियाच्या दुसऱ्या डावात स्टीव्ह वॉने ६७ धावा करून संघाला २३४ धावांपर्यंत मजल मारून दिली. त्यानंतर चौथ्या डावात भारताने विजयासाठीचे ५६ धावांचे आव्हान ३ गाड्यांच्या मोबदल्यात सहज पूर्ण केले.
१९९७-९८ मालिका
[संपादन]ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट संघ फेब्रुवारी-मार्च १९९८ मध्ये भारतात १९६९-७० दौऱ्यानंतर पहिला विजय मिळवण्याच्या उद्देशाने भारतात गेला.[५] चेन्नईतील पहिल्या कसोटीत पहिल्या डावात ऑस्ट्रलियाला ७१ धावांची आघाडी मिळाल्यानंतर, भारताच्या दुसऱ्या डावांत सचिन तेंडुलकरच्या १९१ चेंडूतील १५५ धावांच्या खेळीमुळे भारताने ऑस्ट्रलियाला चवथ्या डावात विजयासाठी ३४८ धावांचे आव्हान दिले. परंतु अनिल कुंबळे, वेंकटपथी राजू आणि राजेश चौहान यांच्या फिरकी त्रिकूटाने ऑस्ट्रेलियाच्या संघाला केवळ १६८ धावांवर सर्वबाद केले आणि भारताला १७९ धावांनी विजय मिळवून दिला.[६] कोलकाता येथील दुसऱ्या कसोटीत भारताचा फलंदाज मोहम्मद अझरुद्दीनने भारताच्या एकमेव डावात आणखी एक वर्चस्वपूर्ण कामगिरी केली. त्याच्या नाबाद १६३ धावांमुळे ५ बाद ६३३ धावांवर डाव घोषित केला आणि त्यानंतर ऑस्ट्रलियाला दुसऱ्या डावात १८१ धावांमध्ये सर्वबाद करून सामना एका डाव आणि २१९ धावांनी जिंकला आणि बॉर्डर-गावस्कर करंडक भारतात राखला.[७]
बंगळुरू येथील अंतिम कसोटीत सचिन तेंडुलकरने मालिकेतील दुसरे शतक झळकावले. प्रत्युत्तरात, मार्क वॉने नाबाद १५३ धावा करून ऑस्ट्रेलियन संघाचे मालिकेतील पहिले शतक झळकावले. मार्क टेलरच्या शतकाच्या बळावर ऑस्ट्रेलियाने भारताने दिलेल्या १९४ धावांच्या आव्हानाचा यशस्वी पाठलाग करायचा केला आणि त्यांनी या मालिकेतून दिलासादायक विजय मिळवला. भारताच्या बाजूने मालिका २-१ ने संपुष्टात आली.[८] दौऱ्याच्या शेवटी, शेन वॉर्नने प्रसिद्धपणे सांगितले की तेंडुलकरने त्याच्यावर षटकार मारल्याची भयानक स्वप्ने त्याला पडतात आणि त्याच्या तोडीचा फलंदाज फक्त ब्रॅडमन आहे.[९]
१९९९-२००० मालिका
[संपादन]पहिल्या-वहिल्या बॉर्डर गावस्कर चषक मालिकेला सुरुवात होण्यापूर्वी, मायदेशात पाकिस्तानविरुद्ध ३-० असा विजय मिळविणाऱ्या ऑस्ट्रेलियाचे पारडे जड होते.[१०] ॲडलेड येथील पहिल्या कसोटीत, कर्णधार स्टीव्ह वॉचे पहिल्या डावातील शतक तर दुसऱ्या डावात डॅमियन फ्लेमिंगच्या पाच विकेट्समुळे भारतीय संघ ११० धावांत झाला आणि ऑस्ट्रेलियाला २८५ धावांनी विजय मिळाला.[११] पहिल्या डावातील सचिनच्या शतकानंतरही ऑस्ट्रेलियाने मेलबर्नमधील दुसरी कसोटी १८० धावांनी जिंकली. या कसोटीत ऑस्ट्रेलियचा गोलंदाज ब्रेट लीचेही पदार्पण झाले, ज्याने पुढे जाऊन ७२ कसोटी सामन्यांमध्ये ऑस्ट्रेलियाचे प्रतिनिधित्व केले.[१२]
सिडनी येथील अंतिम कसोटीत ऑस्ट्रेलियाने एक डाव आणि १४१ धावांनी आणखी एक विजय मिळवला. जस्टिन लँगर (२२३) आणि रिकी पाँटिंग (१४१*) यांच्या शतकांमुळे ऑस्ट्रेलियाने त्यांच्या एकमेव डावात ५ बाद ५५२ धावा केल्या. पहिला डावात भारताचा डाव १५० धावांवर आटोपल्याने दुसऱ्या डावात १९८ चेंडूत १६७ धावा करणाऱ्या व्ही.व्ही.एस. लक्ष्मणच्या प्रयत्न तोकडे पडले. ग्लेन मॅकग्राने या सामन्यात सर्वाधिक १० बळी घेतले.[१३]
२०००-०१ मालिका
[संपादन]२०००-०१ मालिका २७ फेब्रुवारी ते २२ मार्च २००१ दरम्यान खेळविली गेली. या मालिकेत मुंबई, कोलकाता आणि चेन्नई येथे खेळल्या गेलेल्या तीन कसोटींचा समावेश होता. भारताने मालिका २-१ ने जिंकली.
पहिला कसोटी सामना मुंबईत २७ फेब्रुवारी-१ मार्च २००१ रोजी खेळला गेला. ऑस्ट्रेलियाने सुरुवातीपासूनच वर्चस्व गाजवल्यामुळे सामना केवळ तीन दिवसांत संपला, फलंदाजीला उतरवून ऑस्ट्रेलियाने भारताचा डाव केवळ १७६ धावांवर संपवला. ग्लेन मॅकग्राने १९ धावांत ३ तर शेन वॉर्नने ४७ धावांत ४ गाडी बाद केले. भारताकडून सचिन तेंडुलकरने सर्वाधिक ७६ धावा केल्या. मॅथ्यू हेडन (११९) आणि ॲडम गिलख्रिस्ट (१२२) यांच्या शतकांच्या जोरावर ऑस्ट्रेलियाने पहिल्या डावात ३४९ धावा केल्या. हरभजन सिंगने १२१ धावत ४ गाडी बाद केले. भारताचा दुसरा डाव त्यांच्या पहिल्या डावापेक्षा अगदी थोडासा बरा होता, सचिनने पुन्हा एकदा, २१९ चेंडूंमध्ये सर्वाधिक ६५ धावा केल्या. विजया मिळालेले अवघे ४७ धावांचे आव्हान ऑस्ट्रेलियाच्या सलामीवीरांनी केवळ ७ षटकांमध्ये पार केले आणि ऑस्ट्रेलियाला १० गडी राखून विजय मिळवून दिला आणि मालिकेत १-० अशी आघाडी ऑस्ट्रलियाला प्राप्त झाली.
११ ते १५ मार्च दम्यान कोलकाता येथील ईडन गार्डन्सवर झालेली दुसरी कसोटी, क्रिकेटमधील सर्वात रोमांचक सामन्यांपैकी एक म्हणून ओळखली जाते. नाणेफेक जिंकून फलंदाजीस उतरलेल्या ऑस्ट्रेलियाने, पहिल्या डावात सर्वबाद ४४५ धावा केल्या, कर्णधार स्टीव्ह वॉने ११० धावांचे योगदान दिले. हरभजन सिंगने हॅट्ट्रिकसह १२३ धावांत ७ गडी बाद केले, ही भारतीय क्रिकेटच्या ६९ वर्षांच्या इतिहासातील भारतीय गोलंदाजातर्फे पहिली कसोटी हॅट्ट्रिक होती.[१४] त्यानंतर फलंदाजीतील भारताचे खराब प्रदर्शन सुरूच राहिले, भारतीय सांग केवळ १७१ धावांवर बाद झाला, मॅकग्राने अवघ्या १८ धावा देऊन ४ गडी बाद केले. ऑस्ट्रेलियाने फॉलोऑन लागू केला आणि तिसऱ्या दिवसअखेर भारताने ४ बाद २५४ धावा केल्या होत्या, तरीही ऑस्ट्रेलियाला पुन्हा फलंदाजी करण्यास भाग पाडण्यासाठी भारत २० धावांनी मागे होता. अनेक प्रेक्षक, समालोचक आणि अगदी खेळाडूंच्या मते हा सामना आणि मालिका भारताने गमावल्यासारखीच होती.
परंतु चौथ्या दिवशी सामन्याला एक अनपेक्षित कलाटणी मिळाली. व्ही.व्ही.एस. लक्ष्मण आणि राहुल द्रविड यांनी ऑस्ट्रलियाच्या गोलंदाजांना कोणतीही संधी न देता आणि ऑस्ट्रलियाच्या क्षेत्ररक्षकांची दमछाक करत संपूर्ण दिवस फलंदाजी केली. वॉने भागीदारी तोडण्यासाठी नऊ वेगवेगळ्या गोलंदाजांना वापरून पाहिले. लक्ष्मण आणि द्रविडने ३७६ धावा जोडल्या आणि भारताला ४ बाद ५८९ धावांपर्यंत नेले आणि सामन्यांमध्ये एक चांगली आघाडी घेतली. दरम्यान, लक्ष्मणने सुनील गावस्करच्या २३६ धावांना मागे टाकत भारतासाठी एक नवीन वैयक्तिक उच्च धावसंख्येचा विक्रम प्रस्थापित केला.[१५] लक्ष्मण अखेर शेवटच्या दिवशी २८१ धावांवर बाद झाला. द्रविडने १८० धावा केल्या आणि भारताने ५ व्या दिवशी ७ बाद ६५७ धावसंख्येवर डाव घोषित केला, आणि ऑस्ट्रेलियासमोर विजयासाठी ३८४ जवळजवळ अशक्यप्राय लक्ष्य ठेवले. ह्यामुळे उलटलेल्या दडपणाखाली ऑस्ट्रेलियाचा संघ लगेच ढासळला नाही; चहापानाच्या वेळेपर्यंत, त्यांच्या अंतिम डावामध्ये ३ बाद १६१ धाव झाल्या होत्या आणि सामना अनिर्णितावस्थेकडे झुकला होता. परंतु त्यानंतर, ऑस्ट्रेलियन संघाने ३१ चेंडूंत ८ धावांवर ५ गडी गमावले, आधी हरभजनने एकाच षटकात दोन गडी बाद केले आणि त्यांनतर तेंडुलकरने तीन विकेट घेतल्या. ऑस्ट्रेलियाचा संघ २१२ धावांवर बाद झाला. हरभजनने भारतीय गोलंदाजीच्या आक्रमणाचे नेतृत्व करताना ७३ धावा देऊन ६ फलंदाजांना तंबूत आठवले. भारताने अगदी पराभवाच्या गर्तेतून पुनरागमन केले आणि १७१ धावांनी शानदार विजय नोंदवून मालिकेत १-१ अशी बरोबरी साधली. फॉलोऑन मिळाल्यानंतर कसोटी सामना जिंकणारा भारतीय संघ इतिहासातील फक्त तिसरा होता.[१६]
तिसरा कसोटी सामना १८ मार्च रोजी चेन्नई येथे सुरू झाला आणि हा निर्णायक खूप अटीतटीचा ठरेल अशा मोठ्या अपेक्षा होत्या. ऑस्ट्रेलियाने तिसऱ्यांदा नाणेफेक जिंकून फलंदाजीचा निर्णय घेतला. वैयक्तिकी एकूण २०३ धावा करणाऱ्या हेडनने पहिला संपूर्ण दिवस खेळून काढला, परंतु ऑस्ट्रेलियाच्या उर्वरित संघाने एकूण ३९१ च्या धावसंख्येमध्ये फार थोडे योगदान दिले. हरभजन सिंगने पुन्हा एकदा फिरकीची जादू दाखवत १३३ धावांमध्ये ७ फलंदाजांना बाद केले. तेंडुलकरच्या १२६ धावांच्या जोरावर भारताने पहिल्या डावात ५०१ धावा केल्या. १३१ धावांच्या महत्त्वपूर्ण आघाडीसहित चौथा दिवस ऑस्ट्रेलियाच्या ७ बाद २४१ धावांवर संपला. ५ व्या दिवशी, हरभजनने पुन्हा ऑस्ट्रेलियाच्या शेपटाला गुंडाळले, त्याने ८४ धावांत ८ गडी बाद केले. संपूर्ण मालिकेमध्ये त्याने ३२ विकेट्स घेतल्या. ऑस्ट्रेलियाचा डाव २६४ धावांवर आटोपला. भारतासमोर शेवटच्या डावात १५५ धावांचे लक्ष्य होते आणि ते करण्यासाठी भरपूर वेळ होता. ऑस्ट्रेलियाचे गोलंदाज त्यांना त्याआधी बाद करू शकतील का, हाच प्रश्न होता. ४२ षटकांमध्ये, भारताने सतत विकेट गमावल्या, आणि एकवेळ भारताची अवस्था ७ बाद १३५ धाव अशी होती. विजयापासून संघ फक्त २० धावा दूर होता, परंतु त्याआधीच शेवटचे फलंदाज गमावण्याचा धोका होता. ८ वा गडी १५१ धावांवर बाद झाला, विजयासाठी ४ धावा शिल्लक होत्या आणि यष्टीरक्षक समीर दिघे आणि हरभजन सिंग यांच्यावर लक्ष्य पार करण्याची जबाबदारी होती. हरभजनसिंगने विजयी धावा काढल्या आणि अप्रतिम पुनरागमन करणाऱ्या भारतासाठी मालिका विजयावर शिक्कामोर्तब केले. भारताच्या मालिका विजयाचे महत्त्व अशासाठी होते की ऑस्ट्रेलियाला सलग ३० वर्षांहून अधिक काळ भारतात एकही मालिका जिंकता आली नाही.
२००३-०४ मालिका
[संपादन]भारतीय क्रिकेट संघाने नोव्हेंबर २००३ ते फेब्रुवारी २०४ दरम्यान ऑस्ट्रेलियाचा दौरा केला. या दौऱ्यात चार कसोटी सामन्यांच्या मालिकेचा समावेश होता, जी ४ डिसेंबर २००३ रोजी सुरू झाली आणि ६ जानेवारी २००४ रोजी ब्रिस्बेन, ॲडलेड, मेलबर्न आणि सिडनी येथील कसोटी सामन्यांसह संपली. कसोटी मालिका १-१ अशी बरोबरीत सुटली आणि भारताने बॉर्डर-गावस्कर चषक राखून ठेवला.[१७]
या दौऱ्यापूर्वी भारताची मायदेशाबाहेरील कसोटी सामन्यांमधील कामगिरी फारच खराब होती. भारताने एकूण १७६ पैकी फक्त १८ कसोटी जिंकल्या होत्या. भारताचा १९९९-२००० मधील ऑस्ट्रेलिया दौऱ्यात ३-०असा पराभव झाला होता आणि १९८१ पासून भारताने ऑस्ट्रेलियात एकही कसोटी सामना जिंकलेला नव्हता.
पहिला कसोटी सामना ४ ते ८ डिसेंबर दरम्यान ब्रिस्बेन येथे खेळला गेला. पावसाचा व्यत्यय असलेल्या सामन्यात जस्टिन लँगरने शतकी खेळी करत ऑस्ट्रेलियाला चांगली सुरुवात करून दिली. वरच्या फळीतील चारपैकी उर्वरित तीन फलंदाजांच्या (हेडन (४७), पाँटिंग (५४) आणि मार्टिन (४२)) धावांनी पहिल्या दिवसाचा खेळ संपला तेव्हा ऑस्ट्रेलियाने अवघे दोन गडी गमावून २६२ धावा केल्या. दुसऱ्या दिवशी फक्त १८ षटकांचाच खेळ होऊ शकला आली, त्यामध्ये भारतीय गोलंदाजांनी केवळ ६१ धावांच्या मोबदल्यात ऑस्ट्रेलियाचे सात गडी बाद करण्यात यश मिळविले. तिसऱ्या दिवशी पुन्हा पावसाचा व्यत्यय आला आणि केवळ सहा षटके टाकली गेली, दिवसाअखेरीस भारताची धावसंख्या बिनबाद ११ अशी होती. भारताने चौथ्या दिवसाची सुरुवात चांगली केली, परंतु नंतर तीन गडी झटपट गमावल्यामुळे संघाची अवस्था ३ बाद ६२ अशी. ह्यानंतर सौरव गांगुली (१४४) आणि व्हीव्हीएस लक्ष्मण (७५) यांनी भारताला ४०९ धावांपर्यंतची मजल मारून दिली आणि पहिल्या डावात संघाने ८६ धावांची आघाडी घेतली. शेवटचा दिवस सुरू झाला तेव्हा फक्त पहिला डाव पूर्ण झाला होता आणि सामना अनिर्णित होण्याच्या मार्गावर होता. मात्र, अव्वल पाच फलंदाजांपैकी चार फलंदाजांनी अर्धशतके केल्याने ऑस्ट्रेलियाने झटपट धावा केल्या. मॅथ्यू हेडनने ९८ चेंडूत ९९ धावा केल्या, ऑस्ट्रेलियाने २८४ धावा घोषित केला. त्यानंतर भारताला मिळालेल्या १९९ धावांच्या आव्हानाचा पाठलाग करताना २ बाद ७३ धावा केल्या, तेव्हा दोन्ही संघांच्या संमतीने खेळ थांबवण्यात आला होता. सौरव गांगुली सामनावीर ठरला.[१८]
दुसरा सामना १२ ते १६ डिसेंबर दरम्यान ॲडलेड ओव्हलवर खेळवला गेला. ऑस्ट्रेलियाने नाणेफेक जिंकून फलंदाजीचा निर्णय घेतला. रिकी पॉन्टिंगने २४२ धावा केल्या, तर सायमन कॅटिच आणि जेसन गिलेस्पी यांच्या योगदानामुळे ऑस्ट्रेलियाच्या पहिल्या डावात ५५६ धावा झाल्या. यापैकी पहिल्याच दिवशी ४०० धावा झाल्या. भारताने त्यांच्या पहिल्या डावाची सुरुवात चांगली केली, परंतु चार झटपट विकेट घेतल्याने ते ४ बाद ८५ असे अडचणीत आले होते. परंतु २००१ मधील ईडन गार्डन्सचे नायक द्रविड आणि लक्ष्मण यांनी ३०३ धावांची मोठी भागीदारी केली आणि लक्ष्मण १४८ धावांवर बाद होण्यापूर्वी भारताला ३८८ पर्यंत पोहोचवले. द्रविडने तळाच्या फलंदाजांना साथीला घेत धावसंख्या ५२३ धावांपर्यंत पोहोचवली. तो २३३ धावा करून सर्वात शेवटी बाद झाला.
चौथ्या दिवशी उपाहाराच्या काही वेळ पूर्वी ऑस्ट्रेलियाच्या पहिल्या डावात ३३ धावांच्या आघाडीसोबत दुसरा डाव सुरू झाला. पण विकेट्स नियमितपणे पडत होत्या, ज्यात अजित आगरकरने सहा फलंदाजांना माघारी पाठवले. फक्त खालच्या मधल्या फळीने थोडासा प्रतिकार केला. ऑस्ट्रेलियाचा डाव १९६ धावांवर आटोपला. भारताने विजयासाठी २३० धावांचा पाठलाग करताना त्यांचा दुसरा डाव सुरू केला. ॲडम गिलख्रिस्टने बाद केलेल्या पहिल्या डावातील हिरो राहुल द्रविडने नाबाद ७२ धावा केल्या आणि भारताने चार गडी राखून विजयी धावा केल्या. फेब्रुवारी १९८१ नंतर ऑस्ट्रेलियात भारताचा हा पहिला विजय होता. राहुल द्रविड सामनावीर ठरला. भारताने मालिकेत १-० ने आघाडी घेतली[१९]
तिसरा कसोटी सामना मेलबर्न येथे खेळला जाणारा पारंपारिक बॉक्सिंग डे कसोटी सामना होता. वीरेंद्र सेहवागने १९५ धावा केल्यामुळे भारताची सुरुवात चांगली झाली आणि पहिला दिवस ४ बाद ३२९ असा संपला. पण दुसऱ्या दिवशी पहिल्या सत्रात विकेट झटपट पडल्या आणि भारताचा डाव ३६६ धावांवर आटोपला. ऑस्ट्रेलियाने पहिल्या डावात हेडन (१३६) आणि पाँटिंग (२५७) यांच्या शतकांच्या जोरावर ५५८ धावा केल्या. पाँटिंगचे हे सलग दुसरे द्विशतक ठरले. अनिल कुंबळेने सहा गडी बाद केले.
भारताने दुसरा डाव १९२ धावांच्या पिछाडीसह सुरू केला. द्रविड (९२) आणि सौरव गांगुली (७३) हे दोघेच पन्नाशी ओलांडू शकले आणि भारताचा डाव २८६ धावांवर संपुष्टात आला. यामुळे ऑस्ट्रेलियाला केवळ ९५ धावांचे लक्ष्य मिळाले, जे त्यांनी केवळ एक गडी गमावून पूर्ण केले आणि मालिकेत १-१ बरोबरी केली. रिकी पॉन्टिंग त्याच्या २५७ धावांसाठी सामनावीर ठरला.[२०]
चौथी आणि शेवटची कसोटी ही सिडनी येथील नवीन वर्षाची कसोटी होती, स्टीव्ह वॉचा शेवटचा कसोटी सामना म्हणूनही उल्लेखनीय होता.
भारताने नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजीचा निर्णय घेतला. सेहवाग (७२) आणि चोप्रा (४५) यांनी १२३ धावांची सलामी दिली. या दौऱ्यावर फलंदाजीत यश न मिळालेल्या सचिन तेंडुलकरवर लक्ष वेधले गेले. त्याने प्रत्युत्तर देत नाबाद २४१ धावा केल्या आणि लक्ष्मण (१७८) सोबत चौथ्या विकेटसाठी ३५३ धावांची भागीदारी केली. यष्टीरक्षक पार्थिव पटेलच्या ५० चेंडूंतील ११ चौकारांसह ६२ धावांच्या तडाखेबाज खेळीमुळे भारताने ७ बाद ७०५ धावांवर डाव घोषित केला. ही भारताची आतापर्यंतची सर्वोच्च कसोटी धावसंख्या होती. हेडन आणि लँगर यांनी १४७ धावांची सलामी दिल्याने ऑस्ट्रेलियाची सुरुवात चांगली झाली. त्यानंतर ७ बाद ३५० अशा काहीश्या अडचणीनंतर, कॅटिच आणि गिलेस्पी यांनी आठव्या विकेटसाठी ११७ धावांची भागीदारी करून ऑस्ट्रेलियाला ४७४ धावांची मजल मारून दिली. अनिल कुंबळेने १४१ धावांच्या मोबदल्यात ८ गडी बाद केले.
भारताने दुसरा डाव २३१ धावांची आघाडी घेऊन चालू केला आणि निकालासाठी झटपट धावा आवश्यक होत्या. सेहवाग (४७), द्रविड (९१*) आणि तेंडुलकर (६०*) या सर्वांच्या योगदानामुळे, भारताने ४३ षटकांत २११ धावा केल्या आणि ऑस्ट्रेलियाला विजयासाठी ४४३ धावांचे आव्हान दिले. चौथ्या दिवसअखेर चार षटकांमध्ये एकही गडी बाद झाला नाही आणि कसोटी वाचवण्यासाठी ऑस्ट्रेलियाला शेवटचा दिवस खेळावा लागणार होता, तर भारताला विजयासाठी १० विकेट्सची गरज होती. ऑस्ट्रेलियन फलंदाजीने दबावाखाली चांगला प्रतिसाद दिला. लँगर, पाँटिंग आणि मार्टिन यांनी चाळीशी पार केली. परंतु एकापेक्षा जास्त सत्र बाकी असताना ऑस्ट्रेलियाची धावसंख्या होती ४ बाद १९६, ज्यावेळी सामना कोणत्याही बाजूला झुकू शकला असता. मात्र शेवटची कसोटी खेळणारा स्टीव्ह वॉ आणि सायमन कॅटिचने सामना भारताच्या आवाक्याबाहेर ठेवला. वॉने ८० धावा केल्या आणि कॅटिच ७७ धावांवर नाबाद राहीला. कुंबळेने आणखी ४ गडी बाद करूनही सामना अनिर्णित राहिला. त्याला सामन्यात एकूण १२ बळी मिळाले. सपाट विकेटवर कुंबळेचे प्रयत्न वाखाणण्याजोगे असूनही, सचिन तेंडुलकर सामन्यात त्याच्या नाबाद २४१ आणि ६० धावांसाठी सामनावीर ठरला.[२१] आणि मालिकेत १-१ अशी बरोबरी राखली गेला.
चार सामन्यात ६१९ धावा करणारा राहुल द्रविड मालिकावीर ठरला. ऑस्ट्रेलियामध्ये खेळल्या गेलेल्या सर्वोत्कृष्ट मालिकेपैकी एक म्हणून या मालिकेचे वर्णन करण्यात आले.[१]
संदर्भ आणि नोंदी
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- ^ कौशिक, आदित्य. "बॉर्डर गावस्कर चषक २०२४: स्टार्कच्या मते भारत-ऑस्ट्रलिया कसोटी ॲशेसच्या तोडीची".
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