मध्य प्रदेशचे मुख्यमंत्री
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मध्य प्रदेशचे मुख्यमंत्री
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री Chief Minister of The State of Madhya Pradesh | |
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![]() मध्य प्रदेशची राजमुद्रा | |
![]() भारतीय ध्वजचिन्ह | |
शैली | राज्यसरकार प्रमुख |
सदस्यता | मध्य प्रदेश विधानसभा |
वरिष्ठ अधिकारी | मध्य प्रदेशचे राज्यपाल |
निवास | भोपाळ |
मुख्यालय | मुख्यमंत्री सचिवालय, विधानभवन, भोपाळ |
नियुक्ती कर्ता | मध्य प्रदेशचे राज्यपाल |
कालावधी | ५ वर्ष |
निर्मिती | १ नोव्हेंबर १९५६ |
पहिले पदधारक | रविशंकर शुक्ला |
उपाधिकारी | मध्य प्रदेशचे उपमुख्यमंत्री |

मध्य प्रदेशचे मुख्यमंत्री हे भारताच्या मध्य प्रदेश राज्याचे सरकारप्रमुख आहे. भारतीय संविधानानुसार राज्यप्रमुख जरी राज्यपाल असले तरी राज्याची सर्व सुत्रे व निर्णयक्षमता मुख्यमंत्र्यांच्या व त्याच्या मंत्रीमंडळाच्या हातात असते. मध्य प्रदेश विधानसभा निवडणुकीमध्ये सर्वाधिक जागा मिळवणाऱ्या राजकीय पक्षाला किंवा युतीला मध्य प्रदेशचे राज्यपाल सरकारस्थापनेसाठी आमंत्रित करतात. त्या पक्षाच्या विधिमंडळ समितीद्वारे मुख्यमंत्र्याची निवड केली जाते. बहुमत सिद्ध करून मुख्यमंत्री आपल्या पदावर पाच वर्षे राहू शकतात.
१ नोव्हेंबर १९५६ रोजच्या मध्य प्रदेश राज्याच्या निर्मितीपासून आजवर १९ नेते मुख्यमंत्रीपदावर राहिले आहेत. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यांनी सर्वाधिक काळ हे पद सांभाळले आहे. १३ डिसेंबर २०२३ पासून मोहन यादव हे पदस्थ आहे.
यादी
[संपादन]विंध्य प्रदेशच्या मुख्यमंत्र्यांची यादी (१९४८-१९५६)
[संपादन]क्र | नाव | चित्र | पदावरील काळ | कार्यकाळ | निवडणूक | पक्ष | ||
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विंध्य प्रदेश राज्य (१९४७-१९५६) (१९४८ साली बुंदेलखंड आणि बाघेलखंड संस्थानांचे विलीनीकरण करत एकत्रित विंध्य प्रदेश राज्याची विधीमंडळासह स्थापना.) | ||||||||
१ | अवधेश प्रसाद सिंह (१८८८-१९६७) (मतदारसंघ: अनिर्वाचित) |
१५ ऑगस्ट १९४७ | १५ एप्रिल १९४९ | १ वर्ष, २४३ दिवस | — (अंतरिम मंत्रीमंडळ) |
अपक्ष | ||
२ | एस.एन. मेहता (मतदारसंघ: अनिर्वाचित) |
१५ एप्रिल १९४९ | ३१ मार्च १९५२ | २ वर्षे, ३५१ दिवस | — (अंतरिम मंत्रीमंडळ) |
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस | ||
३ | शंभूनाथ शुक्ला (१९०३-१९७८) (मतदारसंघ: अमरपूर) |
३१ मार्च १९५२ | ३१ ऑक्टोबर १९५६ | ४ वर्षे, २१४ दिवस | १९५२ | |||
३१ ऑक्टोबर १९५६ रोजी राज्य पुनर्रचना अधिनियम, १९५६ द्वारे विंध्य प्रदेश राज्य तत्कालीन मध्य प्रदेशात विलीन करण्यात आले व विंध्य प्रदेश विधानसभा विसर्जित करून तिचे सदस्य मध्य प्रदेश विधानसभेचे सदस्य झाले. |
मध्य भारतच्या मुख्यमंत्र्यांची यादी (१९४८-१९५६)
[संपादन]क्र | नाव | चित्र | पदावरील काळ | कार्यकाळ | निवडणूक | पक्ष | ||
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मध्य भारत राज्य (१९४७-१९५६) (१९४७ साली इंदौर व ग्वाल्हेर संस्थानांचे विलीनीकरण करत एकत्रित मध्य भारत राज्याची विधीमंडळासह स्थापना.) | ||||||||
१ | लिलाधर जोशी (१९०७-मृ.अज्ञात) (मतदारसंघ: अनिर्वाचित) |
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१५ ऑगस्ट १९४७ | १ मे १९४९ | १ वर्ष, २५९ दिवस | — (अंतरिम मंत्रीमंडळ) |
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस | |
२ | गोपाळकृष्ण विजयवर्गीय (मतदारसंघ: अनिर्वाचित) |
१ मे १९४९ | १८ ऑक्टोबर १९५० | १ वर्ष, १७० दिवस | — (अंतरिम मंत्रीमंडळ) | |||
३ | तखतमल जैन (मतदारसंघ: अनिर्वाचित) |
१८ ऑक्टोबर १९५० | ३१ मार्च १९५२ | १ वर्ष, १६५ दिवस | — (अंतरिम मंत्रीमंडळ) | |||
४ | मिश्रीलाल बालचंद गंगवाल (१९०२-१९८१) (मतदारसंघ: बागली) |
३१ मार्च १९५२ | १६ एप्रिल १९५५ | ३ वर्षे, १६ दिवस | १९५२ | |||
(३) | तखतमल जैन (दुसरा कार्यकाळ) (मतदारसंघ: अनिर्वाचित) |
१६ एप्रिल १९५५ | ३१ ऑक्टोबर १९५६ | १ वर्ष, १९८ दिवस | — | |||
३१ ऑक्टोबर १९५६ रोजी राज्य पुनर्रचना अधिनियम, १९५६ द्वारे मध्य भारत राज्य तत्कालीन मध्य प्रदेशात विलीन करण्यात आले व मध्य भारत विधानसभा विसर्जित करून तिचे सदस्य मध्य प्रदेश विधानसभेचे सदस्य झाले. |
भोपाळच्या मुख्यमंत्र्यांची यादी (१९४८-१९५६)
[संपादन]क्र | नाव | चित्र | पदावरील काळ | कार्यकाळ | निवडणूक | पक्ष | ||
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भोपाळ राज्य (१९४९-१९५६) (१९४९ साली भोपाळ संस्थानाचे भारतात विलीनीकरण झाल्यावर विधीमंडळासह भोपाळ राज्याची स्थापना.) | ||||||||
१ | डॉ. शंकर दयाळ शर्मा (१९१८-१९९९) मतदारसंघ: अनिर्वाचित (१९५२ पर्यंत) बैरसिया (१९५२ पासून) |
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१ जून १९४९ | ३१ ऑक्टोबर १९५६ | ७ वर्षे, १५२ दिवस | — (अंतरिम मंत्रीमंडळ) ————————— १९५२ |
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस | |
३१ ऑक्टोबर १९५६ रोजी राज्य पुनर्रचना अधिनियम, १९५६ द्वारे भोपाळ राज्य तत्कालीन मध्य प्रदेशात विलीन करण्यात आले व भोपाळ विधानसभा विसर्जित करून तिचे सदस्य मध्य प्रदेश विधानसभेचे सदस्य झाले. |
मध्य प्रदेशच्या मुख्यमंत्र्यांची यादी (१९५२ पासून)
[संपादन]क्र | नाव | चित्र | पदावरील काळ | कार्यकाळ | निवडणूक | पक्ष | ||
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एकत्रित मध्य प्रदेश राज्य (१९५२-२०००) (१९५० साली मध्य प्रांत आणि वऱ्हाडचे विलीनीकरण करत विधीमंडळासह मध्य प्रदेश राज्याची स्थापना.) | ||||||||
१ | रविशंकर जगन्नाथ शुक्ला (१८७७-१९५६) मतदारसंघ: अनिर्वाचित (१९५२ पर्यंत) सराईपाली (१९५२ पासून) |
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२६ जानेवारी १९५० | ३१ ऑक्टोबर १९५६ | ६ वर्षे, २७९ दिवस | — (अंतरिम मंत्रीमंडळ) ————————— १९५२ |
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस | |
राज्य पुनर्ररचना : ३१ ऑक्टोबर १९५६ रोजी राज्य पुनर्रचना अधिनियम, १९५६ द्वारे मराठी भाषिक विदर्भ प्रांत तत्कालीन बॉम्बे राज्यात विलीन करण्यात आले. तसेच मध्य भारत, विंध्य प्रदेश व भोपाळ राज्याचे मध्य प्रदेशात विलीनीकरण करून मध्य प्रदेश राज्याचा विस्तार केला गेला. विदर्भ प्रांतातील क्षेत्रातील आमदार हे बॉम्बे विधानसभेसे सदस्य झाले तसेच मध्य भारत, विंध्य प्रदेश आणि भोपाळ राज्याच्या विधानसभेचे सदस्य मध्य प्रदेश विधानसभेचे सदस्य झाले. | ||||||||
(१) | रविशंकर जगन्नाथ शुक्ला (दुसरा कार्यकाळ) (१८७७-१९५६) (मतदारसंघ: सराईपाली) |
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३१ ऑक्टोबर १९५६ | ३१ डिसेंबर १९५६ | ० वर्षे, ६१ दिवस | — | भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस | |
२ | ॲड. भगवंतराव अण्णाभाऊ मंडलोई (१८९२-१९७७) (मतदारसंघ: खांडवा) |
३१ डिसेंबर १९५६ | ३१ जानेवारी १९५७ | ० वर्षे, ३१ दिवस | — | |||
३ | डॉ. कैलाशनाथ त्रिभुवननाथ काटजू (१८८७-१९६८) (मतदारसंघ: जावरा) |
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३१ जानेवारी १९५७ | १२ मार्च १९६२ | ५ वर्षे, ४० दिवस | — ————————— १९५७ | ||
(२) | ॲड. भगवंतराव अण्णाभाऊ मंडलोई (दुसरा कार्यकाळ) (१८९२-१९७७) (मतदारसंघ: खांडवा) |
१२ मार्च १९६२ | ३० सप्टेंबर १९६३ | १ वर्ष, २०२ दिवस | १९६२ | |||
४ | द्वारका प्रसाद मिश्रा (१९०१-१९८८) (मतदारसंघ: कटंगी) |
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३० सप्टेंबर १९६३ | ३० जुलै १९६७ | ३ वर्षे, ३०३ दिवस | — ————————— १९६७ | ||
५ | डॉ. गोविंदनारायण अवधेश प्रताप सिंह (१९२०-२००५) (मतदारसंघ: रामपूर-बघेलान) |
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३० जुलै १९६७ | १३ मार्च १९६९ | १ वर्ष, २२६ दिवस | — | संयुक्त विधायक दल | |
६ | ॲड. राजा नरेशचंद्र जवाहीर सिंह (१९०८-१९८७) (मतदारसंघ: पुस्सोर) |
१३ मार्च १९६९ | २६ मार्च १९६९ | ० वर्षे, १३ दिवस | — | |||
७ | श्यामाचरण रविशंकर शुक्ला (१९२५-२००७) (मतदारसंघ: राजीम) |
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२६ मार्च १९६९ | २९ जानेवारी १९७२ | २ वर्षे, ३०९ दिवस | — | भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस | |
८ | प्रकाश चंद्र सेठी (१९१९-१९९६) (मतदारसंघ: उत्तर उज्जैन) |
२९ जानेवारी १९७२ | २३ डिसेंबर १९७५ | ३ वर्षे, ३२८ दिवस | — ————————— १९७२ |
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भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (रेक्विझिश्तनीस्त) | ||||||||
(७) | श्यामाचरण रविशंकर शुक्ला (दुसरा कार्यकाळ) (१९२५-२००७) (मतदारसंघ: राजीम) |
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२३ डिसेंबर १९७५ | ३० एप्रिल १९७७ | १ वर्ष, १२८ दिवस | — | ||
- | पर रिकामे (राष्ट्रपती राजवट) |
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३० एप्रिल १९७७ | २३ जून १९७७ | ० वर्षे, ५४ दिवस | — | — | |
९ | कैलाशचंद्र उमाशंकर जोशी (१९२९-२०१९) (मतदारसंघ: बागली) |
२३ जून १९७७ | १८ जानेवारी १९७८ | ० वर्षे, २०९ दिवस | १९७७ | जनता पक्ष | ||
१० | ॲड. वीरेंद्र कुमार सखलेचा (१९३०-१९९९) (मतदारसंघ: जावद) |
१८ जानेवारी १९७८ | २० जानेवारी १९८० | २ वर्षे, २ दिवस | — | |||
११ | सुंदरलाल पटवा (१९२४-२०१६) (मतदारसंघ: मंदसौर) |
२० जानेवारी १९८० | १७ फेब्रुवारी १९८० | ० वर्षे, २८ दिवस | — | |||
- | पर रिकामे (राष्ट्रपती राजवट) |
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१७ फेब्रुवारी १९८० | ९ जून १९८० | ० वर्षे, ११३ दिवस | — | — | |
१२ | ॲड. अर्जुन शिवबहादूर सिंग (१९३०-२०११) (मतदारसंघ: चुरहट) |
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९ जून १९८० | १३ मार्च १९८५ | ४ वर्षे, २७७ दिवस | १९८० ————————— १९८५ |
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (इंदिरा) | |
१३ | मोतीलाल मोहनलाल व्होरा (१९२८-२०२०) (मतदारसंघ: दुर्ग) |
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१३ मार्च १९८५ | १४ फेब्रुवारी १९८८ | २ वर्षे, ३३८ दिवस | — | ||
(१२) | ॲड. अर्जुन शिवबहादूर सिंग (दुसरा कार्यकाळ) (१९३०-२०११) (मतदारसंघ: खरसिया) |
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१४ फेब्रुवारी १९८८ | २५ जानेवारी १९८९ | ० वर्षे, ३४६ दिवस | — | ||
(१३) | मोतीलाल मोहनलाल व्होरा (दुसरा कार्यकाळ) (१९२८-२०२०) (मतदारसंघ: दुर्ग) |
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२५ जानेवारी १९८९ | ९ डिसेंबर १९८९ | ० वर्षे, ३१८ दिवस | — | ||
(७) | श्यामाचरण रविशंकर शुक्ला (तिसरा कार्यकाळ) (१९२५-२००७) (मतदारसंघ: अनिर्वाचित) |
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९ डिसेंबर १९८९ | ५ मार्च १९९० | ० वर्षे, ८६ दिवस | — | ||
(११) | सुंदरलाल पटवा (दुसरा कार्यकाळ) (१९२४-२०१६) (मतदारसंघ: भोजपूर) |
५ मार्च १९९० | १५ डिसेंबर १९९२ | २ वर्षे, २८५ दिवस | १९९० | भारतीय जनता पक्ष | ||
- | पर रिकामे (राष्ट्रपती राजवट) |
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१५ डिसेंबर १९९२ | ६ डिसेंबर १९९३ | ० वर्षे, ३५६ दिवस | — | — | |
१४ | राजा दिग्विजय बलभद्र सिंह (जन्म १९४७) मतदारसंघ: चाचौडा (१९९३-१९९८) राघोगढ (१९९८ पासून) |
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६ डिसेंबर १९९३ | ३१ ऑक्टोबर २००० | ६ वर्षे, ३३० दिवस | १९९३ ————————— १९९८ |
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (इंदिरा) | |
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस | ||||||||
विभाजीत मध्य प्रदेश राज्य (२००० पासून) ३१ ऑक्टोबर २००० रोजी मध्य प्रदेश पुनर्रचना अधिनियम, २००० द्वारे मध्य प्रदेश राज्याचे विभाजन करत वेगळ्या छत्तीसगढ राज्याची स्थापना करण्यात आली. मध्य प्रदेश विधानसभेत छत्तीसगढ राज्याच्या क्षेत्रातून निवडून आलेले सर्व विधानसभा सदस्य विभाजनानंतर छत्तीसगढ राज्याच्या अंतरिम विधानसभेचे सदस्य झाले. | ||||||||
(१४) | राजा दिग्विजय बलभद्र सिंह (दुसरा कार्यकाळ) (जन्म १९४७) मतदारसंघ: चाचौडा (१९९३-१९९८) राघोगढ (१९९८ पासून) |
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१ नोव्हेंबर २००० | ८ डिसेंबर २००३ | ३ वर्षे, ३७ दिवस | — | भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस | |
१५ | उमा भारती (जन्म १९५९) (मतदारसंघ: मल्हारा) |
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८ डिसेंबर २००३ | २३ ऑगस्ट २००४ | ० वर्षे, २५९ दिवस | २००३ | भारतीय जनता पक्ष | |
१६ | ॲड. बाबुलाल रामप्रसाद यादव-गौर (१९२९-२०१९) (मतदारसंघ: गोविंदपूरा) |
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२३ ऑगस्ट २००४ | २९ नोव्हेंबर २००५ | १ वर्ष, ९८ दिवस | — | ||
१७ | शिवराजसिंह प्रेमसिंह मामाजी चौहान (जन्म १९५९) (मतदारसंघ: बुधनी) |
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२९ नोव्हेंबर २००५ | १७ डिसेंबर २०१८ | १३ वर्षे, १८ दिवस | — ————————— २००८ ————————— २०१३ | ||
१८ | कमल महेंद्र नाथ (जन्म १९४६) (मतदारसंघ: छिंदवाडा) |
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१७ डिसेंबर २०१८ | २३ मार्च २०२० | १ वर्ष, ९७ दिवस | २०१८ | भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस | |
(१७) | शिवराजसिंह प्रेमसिंह मामाजी चौहान (दुसरा कार्यकाळ) (जन्म १९५९) (मतदारसंघ: बुधनी) |
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२३ मार्च २०२० | १३ डिसेंबर २०२३ | ३ वर्षे, २६५ दिवस | — | भारतीय जनता पक्ष | |
१९ | डॉ. मोहन यादव (जन्म १९६५) (मतदारसंघ: दक्षिण उज्जैन) |
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१३ डिसेंबर २०२३ | पदस्थ | १ वर्ष, ६८ दिवस | २०२३ |