"पुराणे" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ १४: | ओळ १४: | ||
*४) मन्वंतर - प्रत्येक मन्वंतराचे वैशिष्ठ्य |
*४) मन्वंतर - प्रत्येक मन्वंतराचे वैशिष्ठ्य |
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*५) वंशानुचरित - |
*५) वंशानुचरित - |
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या पाच लक्षणांयुक्त संहितेला पुराण म्हणतात. |
या पाच लक्षणांयुक्त संहितेला पुराण म्हणतात. भारतीय पुराणे म्हणजे इतिहास आहे असे मानले जाते. पण प्रत्यक्षात पुराणात इतिहास थोडा आणि भाकडकथा फार असा प्रकार आहॆ. |
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== पुराणांची नावे == |
== पुराणांची नावे == |
१८:२०, २१ एप्रिल २०१५ ची आवृत्ती
हिंदू धर्मग्रंथावरील लेखमालेचा भाग | |
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संस्कृत भाषेत भारताचा इतिहास कथन करणारे भारतीय ग्रंथ म्हणजे पुराणॆ होत. उपनिषदांनुसार पुराणे म्हणजे इतिहास आणि वेदांवरील भाष्ये होत (उपनिषदे आधी की पुराणे?). मुख्य पुराणे १८ असून ती महर्षी व्यास मुनी यांनी लिहिली असे मत प्रचलित आहे. भक्तीबरोबरच ज्ञान, कर्मकांड, योगविषयक तसेच भौतिक विषयांचे स्पष्टीकरण यांत आढळते. पुराणांचा लिहिण्याचा काळ वेदांच्या नंतरचा मानला जातो. वेदव्यासांनी याची रचना केली असे मानले जाते.
स्वरूप
महाभारताप्रमाणे पुराणे ही देव व सिद्ध पुरुष यांच्या कथा होत. एकूण १८ पुराणे व १८ उपपुराणे आहेत. पुराणांमध्ये भौगोलिक वर्णनेही आहेत. तसेच भूकंपाविषयी माहिती मिळते.
लक्षणे
पुराण कशाला म्हणावे याची व्याख्या मत्स्य पुराणात केलेली आहे ती पुढीलप्रमाणे - सर्गश्च प्रतिसर्गश्च वंशो मन्वन्तराणि च। वंशानुचरितं चैव पुराणं पंचलक्षणम्॥
- १) सर्ग - सृष्टीची निर्मिती
- २) प्रतिसर्ग - सृष्टीचा लय
- ३) वंश - विविध वंशांची उत्पत्ती व वृध्दी
- ४) मन्वंतर - प्रत्येक मन्वंतराचे वैशिष्ठ्य
- ५) वंशानुचरित -
या पाच लक्षणांयुक्त संहितेला पुराण म्हणतात. भारतीय पुराणे म्हणजे इतिहास आहे असे मानले जाते. पण प्रत्यक्षात पुराणात इतिहास थोडा आणि भाकडकथा फार असा प्रकार आहॆ.
पुराणांची नावे
म-द्वयं भ-द्वयं चैव ब्र-त्रयं व चतुष्टयं|
अ-ना-प-लिं-ग-कू-स्का-नि पुराणानि प्रचक्षते||
या श्लोकानुसार खालीलप्रमाणे एकूण अठरा पुराणे आहेत.
- मत्स्य
- मार्कंडय
- भविष्य
- भागवत
- ब्रम्हांड
- ब्रह्मवैवर्त
- ब्रह्म
- विष्णू
- वायु
- वामन
- वराह
- अग्नी
- नारद
- पद्म
- लिंग
- गरुड
- कूर्म
- स्कंद
उपपुराणे
- आदित्यपुराण
- औशनस पुराण
- कपिलपुराण
- कालिकापुराण
- दुर्वास पुराण
- नंदीकृत पुराण
- नृसिंहपुराण
- पराशरपुराण
- भागवतपुराण
- मानवपुराण
- माहेश्वरपुराण
- वारुणपुराण
- वाशिष्ठपुराण
- शिवपुराण
- सनत्पुराण
- सांबपुराण
- सौरपुराण