"दुसरा चंद्रगुप्त" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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[[zh:旃陀罗·笈多二世]] |
२०:३३, ६ एप्रिल २०१३ ची आवृत्ती
दुसरा चंद्रगुप्त, अर्थात चंद्रगुप्त विक्रमादित्य (इ.स.चे ४थे शतक - इ.स. ४१५) हा भारतीय उपखंडातील गुप्त साम्राज्याचा सर्वाधिक प्रबळ सम्राट होता. इ.स. ३७५ ते इ.स. ४१५ या कालखंडातल्या त्याच्या राजवटीत गुप्त साम्राज्याच्या भरभराटीचा परमोत्कर्ष झाला. त्याने पश्चिम भारतातील शक क्षत्रपांचे राज्य जिंकून घेत गुप्त साम्राज्याच्या सीमा विस्तारल्या. त्याच्या कारकिर्दीत गुप्तांचे साम्राज्य पूर्वेस गंगेच्या मुखापासून पश्चिमेस सिंधूच्या मुखापर्यंत, तर उत्तरेस वर्तमान उत्तर पाकिस्तानापासून दक्षिणेस नर्मदेच्या खोऱ्यापर्यंत पसरले. चिनी प्रवासी व बौद्ध भिख्खू फाश्यान दुसऱ्या चंद्रगुप्ताच्या राज्यकाळात उत्तर भारतात भटकून गेल्याचे उल्लेख त्याच्या प्रवासवर्णनात आढळतात. संस्कृत कवी कालिदास, संस्कृत वैयाकरणी अमरसिंह व खगोलशास्त्रज्ञ, गणितज्ञ असलेला वराहमिहिर या गुणिजनांचा तो आश्रयदाता होता, अशी समजूत आहे. भारतीय उपखंडात उत्तरकाळात प्रचलित असलेल्या शकांपैकी विक्रम संवत या शकाचा कर्ता तो असल्याचे मानले जाते.
बाह्य दुवे
- हायपरहिस्टरी.कॉम - दुसऱ्या चंद्रगुप्ताचे जीवन व कारकीर्द (इंग्लिश मजकूर)