"गणपतराव म्हात्रे" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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''रावबहादूर'' '''गणपतराव म्हात्रे''' ([[१० मार्च]], [[इ.स. १८७६]] - [[३० एप्रिल]], [[इ.स. १९४७]]) हे [[मराठी]] [[शिल्पकला|शिल्पकार]] होते. इ.स. १८९१ साली [[मुंबई|मुंबईतल्या]] जे.जे. कलाविद्यालयातून ते शिल्पकलेतील परीक्षा उत्तीर्ण झाले. त्यांनी घडवलेले ''मंदिरपथगामिनी'' हे शिल्प महाराष्ट्रातील व भारतीय उपखंडातील तत्कालीन शिल्पकलेची प्रातिनिधिक कलाकृती मानली जाते. |
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== बाह्य दुवे == |
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* [http://www.manase.org/maharashtra.php?mid=68&smid=21&did=0&dsid=0&pmid=0&id=418 मनसे.ऑर्ग : महाराष्ट्रातील शिल्पकार - रावबहादूर गणपतराव म्हात्रे (१८७६-१९४७)] (मराठी मजकूर) |
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[[वर्ग:मराठी शिल्पकार]] |
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[[en:Ganpatrao Mhatre]] |
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२२:२५, २० नोव्हेंबर २०१० ची आवृत्ती
गणपतराव म्हात्रे | |
पूर्ण नाव | गणपत काशिनाथ म्हात्रे |
जन्म | १० मार्च, इ.स. १८७६ पुणे, महाराष्ट्र, भारत |
मृत्यू | ३० एप्रिल, इ.स. १९४७ |
राष्ट्रीयत्व | भारतीय |
कार्यक्षेत्र | शिल्पकला, चित्रकला |
प्रशिक्षण | जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई |
प्रसिद्ध कलाकृती | 'पार्वती-शबरी', 'मंदिरपथगामिनी' |
रावबहादूर गणपतराव म्हात्रे (१० मार्च, इ.स. १८७६ - ३० एप्रिल, इ.स. १९४७) हे मराठी शिल्पकार होते. इ.स. १८९१ साली मुंबईतल्या जे.जे. कलाविद्यालयातून ते शिल्पकलेतील परीक्षा उत्तीर्ण झाले. त्यांनी घडवलेले मंदिरपथगामिनी हे शिल्प महाराष्ट्रातील व भारतीय उपखंडातील तत्कालीन शिल्पकलेची प्रातिनिधिक कलाकृती मानली जाते.