"दिशा" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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१५:२७, २० फेब्रुवारी २०२१ ची आवृत्ती
दिशति अवकाशं ददाति इति =अवकाश देते ती दिशा होय. भूगोलात चार प्रमुख दिशा मानल्या जातात:
वरील दिशा ह्या भूमितीय कंपास वरील विशिष्ट कोन दर्शवतात, खालीलप्रमाणे:
• पूर्व (पू.) :९०°
• उत्तर (उ.) :०°आणि ३६०°
• पश्चिम (प.) :२७०°
• दक्षिण (द.) :१८०°
या चार दिशांखेरीज भारतीय पद्धतीनुसार अष्टदिशांमध्ये खालील चार उपदिशांचा समावेश होतो:
भारतीय संस्कृतीतील दशदिशा या संकल्पनेत भूतलावरील अष्टदिशांबरोबरच भूतलावरील व भूतलाखालील त्रिमितीय अवकाशातल्या या दोन दिशांचाही समावेश होतो:
इतिहास
दिश म्हणजे आकाशाचा एक भाग या अर्थी ऋग्वेदात (१.१२४.३) व अथर्ववेदात (३.३१.४) हा शब्द अनेकवार आला आहे. वैदिक साहित्यात पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर या चारच दिशांचा उल्लेख येतो. तैत्तिरीय संहिता (७.१.५.) शतपथ ब्राह्मण (६.२.२.३४), शांखायन श्रौतसूत्र (१६.२८.२) इ. काही ठिकाणी आठ व दहा दिशांचा उल्लेख आलेला आहे. शतपथ ब्राह्मणात दिशांना शिंक्याची उपमा दिली आहे.<ref>भारतीय संस्कृती कोश