"प्रबुद्ध भारत" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

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वृत्तपत्र
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(काही फरक नाही)

१६:४८, २७ मे २०१७ ची आवृत्ती

प्रबुद्ध भारत हे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर सुरू केलेले एक वृत्तपत्र आहे. १४ ऑक्टोबर, १९५६ रोजी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांनी बौद्ध धर्म ग्रहण केला. यासोबतच ‘जनता’ वृत्रपत्राचे नाव बदलून बाबासाहेबांनी ‘प्रबुद्ध भारत’ करून टाकले. या पत्राच्या मुखशीर्षावर ‘अखिल भारतीय दलित फेडरेशनचे मुखपत्र’ छापले जात होते.

बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर ने दलित समाज में जागृति लाने के लिए कई पत्र एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन एवं सम्पादन किया। इन पत्र-पत्रिकाओं ने उनके दलित आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अगर देखा जाय तो डा. आंबेडकर ही दलित पत्रकारिता के आधार स्तम्भ हैं। वे दलित पत्रिकारिता के प्रथम संपादक, संस्थापक एवं प्रकाशक हैं उनके द्वारा संपादित पत्र आज की पत्रकारिता के लिए एक मानदण्ड हैं। डा. आंबेडकर द्वारा निकाले गये पत्र-पत्रिकाओं की संक्षेप में जानकारी निम्नवत है- मूकनायक, जनता, समता, प्रबुद्ध भारत व बहिष्कृत भारत.


डा. अम्बेडकर के सभी पत्र मराठी भाषा में ही प्रकाशित हुए क्योंकि मराठी ही उस समय आम जनता की भाषा थी। चूकि बाबा साहेब का कार्य क्षेत्र महाराष्ट्र था और मराठी वहां की जन भाषा है। जैसा कि विदित है कि बाबा साहेब अंग्रेजी भाषा के भी प्रकाण्ड विद्वान थे, लेकिन उन्होंने अपने पत्र मराठी भाषा में इसलिए प्रकाशित किये कि उस समय महाराष्ट्र की दलित जनता ज्यादे पढ़ी लिखी नहीं थी, वह केवल मराठी ही समझ पाती थी। जबकि उसी समय महात्मा गांधी अपने आप को दलितों का हित चिन्तक दिखाने के लिए अपना एक पत्र ‘हरिजन’ अंग्रेजी भाषा में निकाल रहे थे जबकि उस समय दलित जनता आमतौर पर अंग्रेजी जानती ही नहीं थी। यह दलितों के साथ सरासर धोखेबाजी थी।