"रघुनाथ रामचंद्र किणीकर" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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'''रघुनाथ रामचंद्र किणीकर''' तथा '''रॉय किणीकर''' (इ.स. १९०८ - ५ सप्टेंबर, इ.स. १९७८) हे [[मराठी भाषा|मराठी भाषेतील]] कवी, नाटककार, पत्रकार होते. आयुष्यातील बहुतांश काल त्यांनी [[कर्नाटक|कर्नाटकातील]] [[गुलबर्गा]] येथे घालवला. पुढील काही काळ त्यांनी [[पुणे|पुण्यात]] व्यतीत केला. |
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रॉय किणीकर हे [[औरंगाबाद]] येथून प्रकाशित होणार्या दैनिक अजिंठाच्या रविवारच्या आवृत्तीचे संपादक होते. रविवार पुरवणीत ते काही ना काही ललित लेखन करीत असत. |
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रॉय किणीकर यांनी काही नाटकांत भूमिका केल्या आहेत. [[औरंगाबाद]] येथील सरस्वती भुवन शाळेच्या मदतीसाठी झालेल्या [[आचार्य अत्रे]] यांच्या ’घराबाहेर’ नाटकात त्यांनी काम केले होते. त्यांनी [[औरंगाबाद]] नभोवाणीसाठी काही श्रुतिकाही लिहिल्या होत्या. त्यांच्या नाटकांचे रंगभूमीवर प्रयोग होत असत. रॉय किणीकरांच्या ’ये गं ये गं विठाबाई’ या नाटकाचे त्याकाळी १९ प्रयोग मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालयाच्या नाट्य विभागाने केले होते. साहाय्यक नाट्यदिग्दर्शक म्हणून ते अभिनय, संवादफेक अशा गोष्टी सहजपणे समजावून सांगत. |
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| दर्यावर्दी कोलंबस || अनुवादित || || || |
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| शिल्पायन || निबंधसंग्रह || मनोविकास प्रकाशन || इ.स. २०१३ || |
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==रॉय किणीकर यांना मिळालेले पुरस्कार== |
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* ’ये गं ये गं विठाबाई’ या नाटकाला महाराष्ट्र सरकारचे १९६३ सालचे लेखन पारितोषिक. |
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==रॉय किणीकर यांच्याविषयीची पुस्तके== |
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* रॉय किणीकर माणूस आणि साहित्य (लेखक अनिल किणीकर) |
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== बाह्य दुवे == |
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* [http://www.loksatta.in/index.php?option=com_content&view=article&id=6836:2009-09-09-16-49-02&catid=47:2009-07-15-04-02-02&Itemid=58 रॉय किणीकर : एक कम्युनिस्ट गुरुजी ]{{मृत दुवा}} |
* [http://www.loksatta.in/index.php?option=com_content&view=article&id=6836:2009-09-09-16-49-02&catid=47:2009-07-15-04-02-02&Itemid=58 रॉय किणीकर : एक कम्युनिस्ट गुरुजी ]{{मृत दुवा}} |
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* [http://www.loksatta.com/lokrang-news/book-reivew-of-shilpayan-136607 जगण्याची |
* [http://www.loksatta.com/lokrang-news/book-reivew-of-shilpayan-136607 जगण्याची तर्हा शिकवणारे लेखन] |
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१७:४८, २ सप्टेंबर २०१५ ची आवृत्ती
रघुनाथ रामचंद्र किणीकर | |
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जन्म नाव | रघुनाथ रामचंद्र किणीकर |
टोपणनाव | रॉय किणीकर |
जन्म | इ.स. १९०८ |
मृत्यू | ५ सप्टेंबर, इ.स. १९७८ |
कार्यक्षेत्र | साहित्य, पत्रकारिता, अभिनय |
भाषा | मराठी |
साहित्य प्रकार | कविता, नाटक, कथा, कादंबरी |
रघुनाथ रामचंद्र किणीकर तथा रॉय किणीकर (इ.स. १९०८ - ५ सप्टेंबर, इ.स. १९७८) हे मराठी भाषेतील कवी, नाटककार, पत्रकार होते. आयुष्यातील बहुतांश काल त्यांनी कर्नाटकातील गुलबर्गा येथे घालवला. पुढील काही काळ त्यांनी पुण्यात व्यतीत केला.
रॉय किणीकर हे औरंगाबाद येथून प्रकाशित होणार्या दैनिक अजिंठाच्या रविवारच्या आवृत्तीचे संपादक होते. रविवार पुरवणीत ते काही ना काही ललित लेखन करीत असत.
रॉय किणीकर यांनी काही नाटकांत भूमिका केल्या आहेत. औरंगाबाद येथील सरस्वती भुवन शाळेच्या मदतीसाठी झालेल्या आचार्य अत्रे यांच्या ’घराबाहेर’ नाटकात त्यांनी काम केले होते. त्यांनी औरंगाबाद नभोवाणीसाठी काही श्रुतिकाही लिहिल्या होत्या. त्यांच्या नाटकांचे रंगभूमीवर प्रयोग होत असत. रॉय किणीकरांच्या ’ये गं ये गं विठाबाई’ या नाटकाचे त्याकाळी १९ प्रयोग मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालयाच्या नाट्य विभागाने केले होते. साहाय्यक नाट्यदिग्दर्शक म्हणून ते अभिनय, संवादफेक अशा गोष्टी सहजपणे समजावून सांगत.
प्रकाशित साहित्य
किणीकरांनी नाटक, एकांकिका, कथा, कादंबरी, अनुवाद, बालसाहित्य अशा साहित्याच्या बहुतेक प्रत्येक क्षेत्रात लिखाण केले असले तरी रात्र आणि प्रामुख्याने उत्तररात्र ह्या दोन कवितासंग्रहांच्या माध्यमातून रॉय किणीकर हे जाणकारांना जास्त परिचीत आहेत. रॉय किणीकर हे त्यांच्या शैलीबद्ध "रुबायांसाठी" ओळखले जात.
नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशक / प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) | टिप्पणी |
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अँड नाउ मिगेल | अनुवादित | |||
आंधळे रंग, पांगळ्या रेषा | कथासंग्रह | |||
इथे जगण्याची सक्ती आहे | अनुवादित | |||
उत्तररात्र | कवितासंग्रह | चार ओळींच्या रुबाईवजा रचनांचे पुस्तक | ||
एकदाच अशी रात्र येते | अनुवादित नाटक | |||
किती रंगला खेळ | नाटक | |||
कोनार्क | कादंबरी | |||
खजिन्याची विहीर | नाटक | |||
गांधी नावाचे महात्मा | चरित्र | |||
दर्यावर्दी कोलंबस | अनुवादित | |||
देव्हारा | एकांकिका | |||
फुलराणी | बालसाहित्य | |||
मंगळसूत्र | नाटक | |||
ये गं ये गं विठाबाई | नाटक | |||
रम्य ते बालपण | अनुवादित | |||
रात्र | कवितासंग्रह | |||
शिल्पायन | निबंधसंग्रह | मनोविकास प्रकाशन | इ.स. २०१३ | |
साऊंड ट्रॅक | एकांकिका |
रॉय किणीकर यांना मिळालेले पुरस्कार
- ’ये गं ये गं विठाबाई’ या नाटकाला महाराष्ट्र सरकारचे १९६३ सालचे लेखन पारितोषिक.
रॉय किणीकर यांच्याविषयीची पुस्तके
- रॉय किणीकर माणूस आणि साहित्य (लेखक अनिल किणीकर)
बाह्य दुवे
- अवलियाचे अक्षर-स्मरण!
- रॉय किणीकर : एक कम्युनिस्ट गुरुजी [मृत दुवा]
- ‘छंदिष्ट’ रॉय किणीकर [मृत दुवा]
- जगण्याची तर्हा शिकवणारे लेखन
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