"शंकर केशव कानेटकर" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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'''शंकर केशव कानेटकर''' ऊर्फ '''कवी गिरीश''' ([[ऑक्टोबर २८]], [[इ.स. १८९३]] - इ.स. १९७४) हे [[मराठी]] कवी होते. सातार्यात जन्मलेल्या कानेटकरांनी फर्गसन व विलिंग्डन या कॉलेजांतून अध्यापन केले. ते मुधोजी हायस्कूल, फलटण या शाळेचे प्राचार्य होते. त्यांनी अनेक प्रसिद्ध कविता फलटण मुक्कामी रचल्या आहेत.<ref>{{स्रोत संकेतस्थळ | दुवा = http://www.phaltancommunity.com/smrutigandha.html | शीर्षक = फलटणवासीय कल्याणनिधी संकेतस्थळ | भाषा = मराठी | अॅक्सेसदिनांक = १७ मार्च, इ.स. २०११ }}</ref> |
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([[पु.ल.देशपांडे]] हे कानेटकरांचे लाडके विद्यार्थी.) |
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त्यांची एक प्रसिद्ध कविता : |
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'बोले अस्थिर चित्त आंतुन्, कुठे जाऊं? कुणाच्या घरीं? |
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माझे कोण इथें अतां? धडकल्या वेगांत लाटा अशा! |
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माझें कोण बरें! उजाड! विभवें ती पावली दुर्दशा |
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चित्रें बालपणांतलि सरकलीं भारावलों अंतरीं! |
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दारीं धावुन कोण वत्सलपणें आतां कडी काढिल? |
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कोणाचे झरतील अश्रु! कुठले कौतूक नेत्रांतिल?' |
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==संदर्भ== |
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{{संदर्भयादी}} |
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०६:२३, १७ मार्च २०११ ची आवृत्ती
कवी गिरीश | |
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जन्म नाव | शंकर केशव कानेटकर |
टोपणनाव | गिरीश |
जन्म | ऑक्टोबर २८, इ.स. १८९३ |
मृत्यू | इ.स. १९७४ |
राष्ट्रीयत्व | भारतीय |
कार्यक्षेत्र | साहित्य |
भाषा | मराठी |
साहित्य प्रकार | कविता |
अपत्ये | नाटककार वसंत कानेटकर व मुंबई आकाशवाणीवरील भूतपूर्व अधिकारी आणि गायक मधुसूदन कानेटकर |
शंकर केशव कानेटकर ऊर्फ कवी गिरीश (ऑक्टोबर २८, इ.स. १८९३ - इ.स. १९७४) हे मराठी कवी होते. सातार्यात जन्मलेल्या कानेटकरांनी फर्गसन व विलिंग्डन या कॉलेजांतून अध्यापन केले. ते मुधोजी हायस्कूल, फलटण या शाळेचे प्राचार्य होते. त्यांनी अनेक प्रसिद्ध कविता फलटण मुक्कामी रचल्या आहेत.[१]
संदर्भ
- ^ http://www.phaltancommunity.com/smrutigandha.html. १७ मार्च, इ.स. २०११ रोजी पाहिले.
|अॅक्सेसदिनांक=
मधील दिनांक मूल्ये तपासा (सहाय्य); Missing or empty|title=
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