"उपनिषद सूची" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
No edit summary |
No edit summary |
||
ओळ २: | ओळ २: | ||
यांशिवाय काही फालतू उपनिषदे आहेत, ती अशी : |
यांशिवाय काही फालतू उपनिषदे आहेत, ती अशी : |
||
# अथर्वशिखा |
|||
# अथर्व शिरस |
|||
# अद्वयतारक |
|||
# अद्वैत |
|||
# अध्यात्म |
|||
# अन्नपूर्णा |
|||
# अमृतनाद |
|||
# अमृतबिंदू |
|||
# अल्ला |
|||
# अवधूत |
|||
# अव्यक्त |
|||
# अक्षमाला |
|||
# अक्षी |
|||
# आचमन |
|||
# आत्म |
|||
# आत्मपूजा |
|||
# आत्मप्रबोध |
|||
# दत्तोपनिषद , |
# दत्तोपनिषद , |
||
# अवधूतोपनिषद |
|||
# शाँडिल्योपनिषद |
# शाँडिल्योपनिषद |
||
१४:३२, ६ एप्रिल २०१९ ची आवृत्ती
१ ईशावास्य, २ केन, ३ कठ, ४ प्रश्न, ५ मुण्ड, ६ माण्डुक्य, ७ तैत्तिरीय, ८ ऐतरेय, ९ छांदोग्य, १० बृहदारण्य, ११ ब्रम्ह, १२ कैवल्य, १३ जाबाल, १४ श्वेताश्वेतर, १५ हंस, १६ आरुणि, १७ गर्म, १८ नारायण, १९ परम, (हंस) २० (अमृत) बिंदु, २१ (अमृत) नाद, २२ (अथर्व) शिरस्. २३ (अथर्व) शिखा, २४ मैत्रायिणी, २५ कौषीतकी, २६ बृहज्जाबाल, २७ नृसिंहतापिनी, २८ कालाग्निरुद्र, २९ मैत्रेयी, ३० सुबाल, ३१ क्षुरि (का) ३२ मन्त्रिका, ३३ सर्वसार, ३४ निरालंब, ३५ शुक (रहस्य), ३६ वज्रसूचिका, ३७ तेजो - (बिन्दु), ३८ नाद - (बिन्दु ३९ ध्यान-बिन्दु, ४० ब्रह्मविद्या, ४१ योगतत्त्व, ४२ आत्मबोधक, ४३ (नारद)- परिव्राजक, ४४ त्रिशिखि - (ब्राह्मण) ४५ सीता, ४६ (योग) चूडा - (मणि), ४७ निर्वाण, ४८ मण्डल- (ब्राह्मण) ४९ दक्षिणा - (मूर्ती) ५० शरम, ५१ स्कंद, ५२ महानारायण, ५३ अद्वय - (तारक) ५४ राम - (रहस्य) ५५ रामतपन, ५६ वासुदेव, ५७ मुद्र्ल, ५८ शाण्डिल्य, ५९ पिङ्गल, ६० भिक्षुक, ६१ महा, ६२ शारीरक, ६३ (योग)- शिखा, ६४ तुर्यातीत, ६५ संन्यास, ६६ (परमहंस)- परिव्राजक, ६७ अक्षमालिका, ६८ अव्यक्त, ६९ एकाक्षर, ७० (अन्न)- पूर्णा, ७१ सूर्य, ७२ अक्षिक, ७३ अध्यात्म, ७४ कुण्डिका, ७५ सावित्री, ७६ आत्म, ७७ पाशुपत, ७८ परव्रह्म, ७९ अवधूतक, ८० त्रिपूर तापन, ८१ देवी, ८२ त्रिपुर, ८३ कठ (रुद्र) ८४ भावना, ८५ रुद्र - (ह्रदय) ८६ (योग)- कुण्डली, ८७ भस्म - (जाबाल), ८८ रुद्राक्ष, ८९ गण - (पति) ९० (श्री जाबाल)- दर्शन, ९१ तारसार, ९२ महावाक्य, ९३ पञ्चब्रह्म, ९४ प्राण - (अग्निहोत्र), ९५ गोपाल (पूर्वतापिनी-उत्तरतापिनी), ९६ कृष्ण, ९७ याज्ञवल्क्य, ९८ वराह, ९९ शाठयानीय, १०० हयग्रीव, १०१ दत्तात्रेय, १०२ गरुड, १०३ कलि (संतराण), १०४ जाबालि, १०५ सौभाग्यलक्ष्मी, १०६ सरस्वती (रहस्या), १०७ बव्ह्रच आणि १०८ मुक्तिकोपनिषद. (एकूण १०८)
यांशिवाय काही फालतू उपनिषदे आहेत, ती अशी :
- अथर्वशिखा
- अथर्व शिरस
- अद्वयतारक
- अद्वैत
- अध्यात्म
- अन्नपूर्णा
- अमृतनाद
- अमृतबिंदू
- अल्ला
- अवधूत
- अव्यक्त
- अक्षमाला
- अक्षी
- आचमन
- आत्म
- आत्मपूजा
- आत्मप्रबोध
- दत्तोपनिषद ,
- शाँडिल्योपनिषद