"लीलाबाई भालजी पेंढारकर" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ ५२: | ओळ ५२: | ||
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|उदयकाल || ||मूकपट || अभिनय |
|उदयकाल || ||मूकपट || अभिनय |
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|कान्होपात्रा|| || || अभिनय |
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|कालियामर्दन|| || || अभिनय |
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|गनिमी कावा|| || || अभिनय |
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|गोरखनाथ|| || || अभिनय |
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|अत्रपती शिवाजी|| || || अभिनय |
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|परशुराम || १९३५ || हिंदी || अभिनय |
|परशुराम || १९३५ || हिंदी || अभिनय |
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|परशुराम || १९४७ || हिंदी || अभिनय |
|परशुराम || १९४७ || हिंदी || अभिनय |
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|भक्त दामाजी|| || || अभिनय |
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|महारथी कर्ण|| || || अभिनय |
|महारथी कर्ण|| || || अभिनय |
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|मायामच्छिंद्र|| || || अभिनय |
|मायामच्छिंद्र|| || || अभिनय |
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|राजा गोपीचंद्र|| || || अभिनय |
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|वाल्मिकी|| || || अभिनय |
|वाल्मिकी|| || || अभिनय |
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|सावित्री|| || || अभिनय |
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|सिंहगड|| || || अभिनय |
|सिंहगड|| || || अभिनय |
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|सुवर्णभूमी|| || || अभिनय |
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|सैरंध्री || || || अभिनय |
|सैरंध्री || || || अभिनय |
१२:५९, २४ ऑक्टोबर २०१५ ची आवृत्ती
लीलाबाई भालजी पेंढारकर | |
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जन्म | लीलाबाई भालजी पेंढारकर |
इतर नावे | लीला चंद्रगिरी |
राष्ट्रीयत्व | भारतीय |
कार्यक्षेत्र | अभिनय |
भाषा | मराठी |
पती | भालजी पेंढारकर |
लीलाबाई भालजी पेंढारकर, माहेरच्या लीला चंद्रगिरी, (ऑक्टोबर २४, १९१० - ?) या मराठी चित्रपटअभिनेत्री होत्या. भालजी पेंढारकर हे त्यांचे पती होते.
बालपण
लीलाबाईंचे बालपण बेळगावात आपल्या आई व मावशी सोबत अतिशय कष्टाचे आणि हालाखीच्या परिस्थितीत गेले; एकदा आंघोळीनंतर केस वाळवत असताना अचानक बाबुराव पेंटरांनी त्यांना पाहिले. लीलाबाईंचा चेहरा त्यांना इतका आवडला की त्यांनी मूकपटात काम करण्यासाठी लीलाबाईंना निमंत्रण दिले; महिलांनी नाटक तसेच चित्रपटांमध्ये काम करण्याचा तो काळ नव्हता, पण अगदी अनपेक्षितरीत्या व परिस्थितीमुळे लीलाबाईंना ते धाडस करायला लावले आणि त्यांनी ते केले. अश्या प्रकारे लीला चंद्रगिरींचे रुपेरी पडद्यावर पदार्पण झाले.
कारकीर्द
१९३० सालच्या प्रभात फिल्म कंपनीच्या “उदयकाल” मूकपटातून लीलाबाई पेंढारकरांनी भुमिका साकारली व त्यानंतर सुरू झालेल्या बोलपट युगातही लीला चंद्रगिरींनी प्रभातच्या “अग्निकंकण”, “सिंहगड”, “माया मच्छिंद्र”मधून भूमिका साकारल्या.बोलपटांच्या सुरुवातीच्या काळात काही गाणी देखील लीला चंद्रगिरी यांनी गायली
१९३३ च्या भारतीय चित्रपटसृष्टीतील “सैरंध्री” या पहिल्या रंगीत चित्रपटाच्या नायिका होण्याचा बहुमान देखील लीलाबाई पेंढारकर यांना मिळाला. त्यानंतर लीलाबाई भालजींच्या चित्रपटांकडे वळल्या.
भालजींच्या “महारथी कर्ण” व “वाल्मिकी” या सिनेमातून भूमिका साकारत असतानाच त्यांचे प्रेम जुळले आणि त्याचे रूपांतर विवाहात झाले व लीला चंद्रगिरीच्या त्या लीला पेंढारकर झाल्या.
होती.
चित्रपट
चित्रपट | वर्ष (इ.स.) | भाषा | सहभाग |
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अग्निकंकण | अभिनय | ||
उदयकाल | मूकपट | अभिनय | |
कान्होपात्रा | अभिनय | ||
कालियामर्दन | अभिनय | ||
गनिमी कावा | अभिनय | ||
गोरखनाथ | अभिनय | ||
अत्रपती शिवाजी | अभिनय | ||
परशुराम | १९३५ | हिंदी | अभिनय |
परशुराम | १९४७ | हिंदी | अभिनय |
भक्त दामाजी | अभिनय | ||
महारथी कर्ण | अभिनय | ||
मायामच्छिंद्र | अभिनय | ||
राजा गोपीचंद्र | अभिनय | ||
वाल्मिकी | अभिनय | ||
सावित्री | अभिनय | ||
सिंहगड | अभिनय | ||
सुवर्णभूमी | अभिनय | ||
सैरंध्री | अभिनय |
संकीर्ण
लीलाबाईंनी 'माझी जीवनयात्रा' हे आत्मचरित्र लिहिले आहे.