"व्याघ्रप्रकल्प" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
ओळ ५: | ओळ ५: | ||
* [[अण्णामलाई]] (तमिळनाडू) |
* [[अण्णामलाई]] (तमिळनाडू) |
||
* [[इंद्रावती]] ( |
* [[इंद्रावती]] (छत्तीसगड) |
||
* [[उदांती सीतानदी]] (ओरिसा) |
* [[उदांती सीतानदी]] (ओरिसा) |
||
* [[कलक्क्ड मुंडनतुराई]] (तमिळनाडू) |
* [[कलक्क्ड मुंडनतुराई]] (तमिळनाडू) |
||
ओळ १२: | ओळ १२: | ||
* [[जिम कार्बेट]] (उत्तराखंड) |
* [[जिम कार्बेट]] (उत्तराखंड) |
||
* [[ताडोबा]] (महाराष्ट्र) |
* [[ताडोबा]] (महाराष्ट्र) |
||
* [[दंपा]] |
* [[दंपा]] (मिझोराम) |
||
* [[दांडेली]] |
* [[दांडेली]] (कर्नाटक) |
||
* [[दुधवा]] (उत्तर प्रदेश) |
* [[दुधवा]] (उत्तर प्रदेश) |
||
* [[नमदपा]] (अरुणाचल प्रदेश) |
* [[नमदपा]] (अरुणाचल प्रदेश) |
||
* [[नागरहोळे]] |
* [[नागरहोळे]] (केरळ) |
||
* [[नागार्जुनसागर]] |
* [[नागार्जुनसागर]] (आंध्र प्रदेश) |
||
* [[नामेरी]] (आसाम) |
* [[नामेरी]] (आसाम) |
||
* [[पन्ना]] (मध्य प्रदेश) |
* [[पन्ना]] (मध्य प्रदेश) |
||
* [[परमपिकुलम]] |
* [[परमपिकुलम]] (तमिळनाडू) |
||
* [[पालामऊ]] (झारखंड) |
* [[पालामऊ]] (झारखंड) |
||
* [[पेंच]] (मध्य प्रदेश) |
* [[पेंच]] (मध्य प्रदेश) (महाराष्ट्र) |
||
* [[पेरियार]] |
* [[पेरियार]] (तमिळनाडू) |
||
* [[बक्सा]] |
* [[बक्सा]] (पश्चिम बंगाल) |
||
* [[बंदीपूर]] |
* [[बंदीपूर]] (तमिळनाडू) |
||
* [[बांधवगड]] (मध्य प्रदेश) |
* [[बांधवगड]] (मध्य प्रदेश) |
||
* [[भद्रा]] |
* [[भद्रा]] (कर्नाटक) |
||
* [[मदुमलाई]] (तमिळनाडू) |
* [[मदुमलाई]] (तमिळनाडू) |
||
* [[मानस]] (आसाम) |
* [[मानस]] (आसाम) |
||
* [[मेळघाट]] |
* [[मेळघाट]] (महाराष्ट्र) |
||
* [[रणथंबोर]] (राजस्थान) |
* [[रणथंबोर]] (राजस्थान) |
||
* [[वाल्मिकी]] |
* [[वाल्मिकी]] (बिहार) |
||
* [[संजय डुबरी]] |
* [[संजय डुबरी]] (बिहार) |
||
* [[सतकोसिया]] (ओरिसा) |
* [[सतकोसिया]] (ओरिसा) |
||
* [[सह्याद्री]] (महाराष्ट्र) |
* [[सह्याद्री]] (महाराष्ट्र) |
||
* [[सातपुडा]] |
* [[सातपुडा]] (मध्य प्रदेश) |
||
* [[सारिस्का]] (राजस्थान) |
* [[सारिस्का]] (राजस्थान) |
||
* [[सिमलिपाल]] |
* [[सिमलिपाल]] (ओरिसा) |
||
* [[सुंदरबन]] (पश्चिम बंगाल). |
* [[सुंदरबन]] (पश्चिम बंगाल). |
||
१२:१८, ६ ऑगस्ट २०१२ ची आवृत्ती
व्याघ्रप्रकल्प अथवा प्रोजेक्ट टायगर या नावाने प्रसिद्ध असलेले प्रकल्प भारत सरकारतर्फे चालवण्यात येतात. यात मुख्यत्वे भारतीय वाघांचे संरक्षण करणे हा मुख्य हेतू आहे. वाघांच्या संरक्षणाअतंर्गत त्यांच्या वसतीस्थानाचे संवर्धन व वन्य वाघांच्या संख्येत वाढ करणे गृहीत आहे. वन्य वाघांची कमी होणारी संख्या ही अतिशय चिंताजनक आहे. भारतात सध्या सुमारे ३५०० पर्यंत वन्य वाघ आहेत असा अंदाज आहे. २० व्या शतकाच्या सुरुवातीला अंदाजे १ लाख वाघ भारतात होते. परंतु बंदुकीमुळे वाघांच्या शिकारीत मोठ्या प्रमाणावर वाढ झाली व शिकार करणे काही लोकांसाठी छंद बनला. वाघांचे नैसर्गिक खाद्य कमी झाल्याने वाघांचे पाळीव प्राण्यांवरील हल्ले वाढले. परिणामी पाळीव प्राणी खातात म्हणून पण वाघांवर विषप्रयोग करून त्यांच्या शिकारी करण्यात आल्या. १९७०च्या सुरुवातीला केवळ १७०० वाघ उरले व भारत सरकार जागे झाले व १९७२मध्ये वन्य जीव संरक्षण कायदा करण्यात आला. त्यानुसार वाघासह अनेक दुर्मिळ प्रजातींवरील शिकारीवर बंदी घालण्यात आली व व्याघ्रप्रकल्पांच्या स्थापनेस चालना मिळाली. व्याघ्रप्रकल्पामुळे वाघांची संख्या वाढण्यास अनमोल मदत झाली परंतु त्यामुळे चोरट्या शिकारींचा सुळसुळाट झाला व ९०च्या दशकानंतर पुन्हा वाघांच्या शिकारीत वाढ झाली. मुख्यत्वे चीनमधील विविध प्रकारच्या औषधांसाठी वाघाच्या हाडांची मोठी मागणी आहे. आंतरराष्ट्रीय दबावानंतरही शिकारींमध्ये आणि चीनच्या धोरणात काहीही फरक पडलेला नाही.
भारतातील व्याघ्रप्रकल्प
- अण्णामलाई (तमिळनाडू)
- इंद्रावती (छत्तीसगड)
- उदांती सीतानदी (ओरिसा)
- कलक्क्ड मुंडनतुराई (तमिळनाडू)
- काझीरंगा (आसाम)
- कान्हा (मध्य प्रदेश)
- जिम कार्बेट (उत्तराखंड)
- ताडोबा (महाराष्ट्र)
- दंपा (मिझोराम)
- दांडेली (कर्नाटक)
- दुधवा (उत्तर प्रदेश)
- नमदपा (अरुणाचल प्रदेश)
- नागरहोळे (केरळ)
- नागार्जुनसागर (आंध्र प्रदेश)
- नामेरी (आसाम)
- पन्ना (मध्य प्रदेश)
- परमपिकुलम (तमिळनाडू)
- पालामऊ (झारखंड)
- पेंच (मध्य प्रदेश) (महाराष्ट्र)
- पेरियार (तमिळनाडू)
- बक्सा (पश्चिम बंगाल)
- बंदीपूर (तमिळनाडू)
- बांधवगड (मध्य प्रदेश)
- भद्रा (कर्नाटक)
- मदुमलाई (तमिळनाडू)
- मानस (आसाम)
- मेळघाट (महाराष्ट्र)
- रणथंबोर (राजस्थान)
- वाल्मिकी (बिहार)
- संजय डुबरी (बिहार)
- सतकोसिया (ओरिसा)
- सह्याद्री (महाराष्ट्र)
- सातपुडा (मध्य प्रदेश)
- सारिस्का (राजस्थान)
- सिमलिपाल (ओरिसा)
- सुंदरबन (पश्चिम बंगाल).