श्री गणेश संतानस्त्रोत्र

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अर्थ[संपादन]

वर्ण्यविषय[संपादन]

संतानस्त्रोत्र[संपादन]

श्री गणेश संतानस्त्रोत्र नमोस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च। सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।। गुरू दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते। गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मनें।। विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते। नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिनें।। एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:। प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।। शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु। भविष्यन्तिच ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।। ते सर्वे तव पूजार्थ विरता: स्यु: वरो मत:। पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।

फलश्रुती[संपादन]

संदर्भ[संपादन]