भागिरथीबाई तांबे

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माँसाहेब भागीरथीबाई तांबे[संपादन]

श्रीमती भागिरथीबाई तांबे का जन्म १८१५ में हुआ था। पुर्व नाम भागिरथीबाई सप्रे था। कृष्णा नदी के दोआब में स्थित कडा शहर का सप्रे परिवार अत्यंत विख्यात था। इसी परीवार की कन्या के साथ १८२६ में दाक्षिणात्य रीती से मोरोपंत तांबे का विवाह हुआ। मराठी ब्राह्मण परंपरा के अनुसार कन्या का नाम विवाह पश्चात बदल कर भागिरथीबाई रखा गया। १८३२ में काशी स्थित पेशवा चिमाजी अप्पा की मृत्यु हुई थी। तो वहीं कुछ समय पश्चात मोरोपंत और भागिरथीबाई के अस्सी घाट के घर में १९ नवम्बर १८३५ को एक कन्या का जन्म हुआ। जिसका नाम रखा गया मनिकर्णिका। प्यार से उसे मनू कहते थे। यही मनू झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बनी।

१८३९ में मनू की चार वर्ष की आयु में उसकी माता भागिरथीबाई का स्वर्गवास हुआ।