"थाट (संगीत)" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ १५: | ओळ १५: | ||
|[[भैरव]] || सा || रे॒ || ग || म ||प|| ध॒ || नि |
|[[भैरव]] || सा || रे॒ || ग || म ||प|| ध॒ || नि |
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|[[काफी]] || सा || रे || ग॒|| म|| प|| ध|| नि॒ |
|[[राग काफी|काफी]] || सा || रे || ग॒|| म|| प|| ध|| नि॒ |
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|[[कल्याण]]||सा|| रे|| ग|| '''म॑'''|| प|| ध|| नि |
|[[कल्याण]]||सा|| रे|| ग|| '''म॑'''|| प|| ध|| नि |
००:२०, २७ डिसेंबर २०११ ची आवृत्ती
सप्तकातील बारा ( सा, रे॒, रे, ग॒, ग, म, म॑, प, ध॒, ध, नि॒, नि ) पैकी खाली दर्शविलेल्या ७ स्वरांच्या एका समुदायास थाट (उत्तर हिंदूस्तानात "मेळ") म्हणतात.
स्वरांच्या कोमलते किंवा तिव्रतेतील बदला नुसार हिंदुस्थानी रागसंगीतात दहा मूळ थाट सांगितले गेले आहेत. थाटापासूनच रागाची उत्पत्ती होते.
थाटाचे प्रचलीत नियमः
- कोणताही थाट हा कमीतकमी ७ स्वरांनी तयार होतो.
- थाट हा गायनाचा प्रकार नसून थाटावर आधारीत राग गायले जातात.
- थाटाचे वर्णन करतांना स्वर मूळ क्रमानुसारच दर्शविले जातात.
- एका थाटापासून अनेक राग तयार होवु शकतात, पण एकूण थाट दहाच आहेत.
दहा थाट खालीलप्रमाणे ( कोमल स्वर अधोरेखीत (उदा. ग॒) व तीव्र स्वरांवर सरळ रेषा (उदा. म॑) )
भैरव | सा | रे॒ | ग | म | प | ध॒ | नि |
काफी | सा | रे | ग॒ | म | प | ध | नि॒ |
कल्याण | सा | रे | ग | म॑ | प | ध | नि |
तोडी | सा | रे॒ | ग॒ | म॑ | प | ध॒ | नि |
बिलावल | सा | रे | ग | म | प | ध | नि |
राग आसावरी | सा | रे | ग॒ | म | प | ध॒ | नि॒ |
पूर्वी | सा | रे॒ | ग | म॑ | प | ध॒ | नि |
मारवा | सा | रे॒ | ग | म॑ | प | ध | नि |
खमाज | सा | रे | ग | म | प | ध | नि॒ |
भैरवी | सा | रे॒ | ग॒ | म | प | ध॒ | नि॒ |