"आफ्रो-आशियाई परिषद" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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०६:४७, ६ एप्रिल २०१३ ची आवृत्ती
आफ्रो-आशियाई परिषद हि सर्वप्रथम इंडोनेशियातील बांडुंग येथे दि. १८ ते २४ एप्रिल १९५५ दरम्यान भरली. हि परिषद हि आफ्रिका आणि आशिया खंडांतील स्वतंत्र राष्ट्रांची पहिली औपचारिक परिषद होय. हीच बांडुंग परिषद म्हणून ओळखण्यात येते. भारतासह २९ राष्ट्रांनी ह्या परिषदेत भाग घेतला. दक्षिण आफ्रिका, इझ्राएल, राष्ट्रीय चीन, दक्षिण व उत्तर कोरिया ह्या देशांना आमंत्रण नव्हते. पश्चिमी राष्ट्रांव्यतिरिक्त इतर राष्ट्रांची ही मोठ्यात मोठी परिषद होती. चीनला ह्या परिषदेमुळे प्रतिष्ठा मिळाली.
आढावा
- आशियाई व आफ्रिकी राष्ट्रांच्या मताची दखल न घेता त्यांच्या बाबतीत धोरण ठरविण्याच्या पश्चिमी राष्ट्रांच्या पद्धतीबद्दल नापसंती व्यक्त करण्यात आली.
- सर्व प्रकारच्या वसाहतवादाचा निषेध करण्यात आला.
- जागतिक शांतता व सहकार्यासाठी दहा कलमी कार्यक्रम मान्य करण्यात आला.
- स्वसंरक्षणार्थ करण्यात येणारे करार मान्य करण्यात आले, पण ज्या करारांनी बड्या राष्ट्रांचा हेतू सफल होणार असेल ते निषेधार्ह ठरविण्यात आले.
- भारताने पुरस्कारलेल्या पंचशील त्याचप्रमाणे सहजीवन व निःशस्त्रीकरण या तत्त्वांचा स्वीकार करण्यात आला.
- या परिषदेने अरबांचा पॅलेस्टाइनवरचा अधिकार मान्य केला.तत्त्वांचा स्वीकार करण्यात आला.
- अलिप्तता आणि पंचशील ह्या दोन धोरणांतील फरक स्पष्ट न झाल्यामुळे परिषदेत वादंग झाले,
परिषदेत सहभागी झालेले देश
- अफगाणिस्तान
- म्यानमार
- कंबोडिया
- श्री लंका
- चीन
- सायप्रस1
- इजिप्त
- इथियोपिया
- भारत
- इंडोनेशिया
- इराण
- इराक
- जपान
- जॉर्डन
- लाओस
- लेबेनॉन
- लायबेरिया
- लिबिया
- नेपाळ
- पाकिस्तान
- फिलिपिन्स
- सौदी अरेबिया
- सीरिया
- सुदान
- थायलंड
- तुर्कस्तान
- उत्तर व्हियेतनाम
- दक्षिण व्हियेतनाम
- येमेन
बाह्य दुवे
- आधुनिक इतिहास, स्त्रोत ग्रंथ: पंतप्रधान नेहरू यांचे आफ्रो-आशियाई परिषदेतील भाषण , १९५५
- आधुनिक इतिहास, स्त्रोत ग्रंथ: इंडोनेशियाचे अध्यक्ष सुकार्नो यांचे आफ्रो-आशियाई परिषदेतील उद्घाटनपर भाषण ,१८ एप्रिल १९५५
- "Asian-African Conference: Communiqué; Excerpts". Egyptian presidency website. 24 April 1955. Archived from the original (PDF) on 23 April 2011. 23 April 2011 रोजी पाहिले.
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