"थेरवाद" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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१७:४३, २८ मे २०१८ ची आवृत्ती
बौद्ध धर्म |
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थेरवाद किंवा स्थवीरवाद हा बौद्ध धर्मातील सर्वांत जुना पंथ आहे. पारंपरिक बौद्ध धर्माच्या शिकवणींचे थेरवादामध्ये अधिक काटेकोपणे पालन केले जाते. थेरवाद ह्या शब्दाचा अर्थ "प्राचीन शिकवण" असाच आहे.
भगवान बुद्धाने स्थापन केलेल्या बौद्ध भिक्षुसंघात सर्व प्रकारचे लोक होते वादविवाद, शास्त्रार्थ खंडन मंडन, स्वतंत्र बुद्धीने तर्क किंवा विचार करणे आणि त्या विचारात जे तत्त्व गवसले असेल ते सभेत निसंकोच सांगणे अशा प्रकारचे बौद्धिक स्वातंत्र्य मठात आणि विहारात राहणाऱ्या प्रत्येक भिक्षूला मिळत असे. या विचारस्वातंत्र्यामुळेच वैशाली येथे भरलेल्या बौद्ध भिक्षूंच्या दुसर्या धर्मपरिषदेत मतभेदांची तीव्रता होऊन बौद्ध भिक्षूत पूर्वेकडील (वैशाली व पाटलीपुत्र येथे राहणारे) व पश्चिमेकडील (कौशांबी व अवन्तीकडील) असे दोन गट पडले. यापैकी पश्चिमेकडच्या गटाने निर्माण केलेल्या पंथाला हीनयान म्हणतात या पंथालाच थेरवाद असेही नाव आहे. या पंथात बुद्धाला महात्मा समजतात पण देव मानत नाहीत. हा पंथ त्रिपिटका ग्रंथाप्रमाणे आचरण करतो.
थेरवाद बौद्ध धर्म |
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विस्तार
श्रीलंका तसेच आग्नेय आशियामधील म्यानमार, कंबोडिया, लाओस व थायलंड ह्या देशांमधील बहुसंख्य जनता थेरवादी बौद्ध धर्मीय आहे.
थेरवादी देश
बहुसंख्यक थेरवादी देशांची यादी
रँक | देश | लोकसंख्या | बौद्ध % | एकूण बौद्ध | धर्माचे महत्त्व |
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1 | थायलंड
|
6,67,20,153 | 94.6% | 6,31,17,265 | 97% |
2 | म्यानमार
|
6,02,80,000 | 89% | 5,36,49,200 | 96% |
3 | श्रीलंका
|
2,02,77,597 | 70.2% | 1,42,22,844 | 100% |
4 | कंबोडिया
|
1,47,01,717 | 96.9% | 1,41,72,455 | 95% |
5 | लाओस
|
64,77,211 | 67% - 90% | 43,39,731 - 58,30,503 | 98% |