"जैन धर्म" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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१७:२०, १० मार्च २०१३ ची आवृत्ती
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जैन धर्म दालन |
जैन धर्मातील तत्त्वे
- जीव -जैन धर्मानुसार जीव हा चैतन्यमय आहे. जीव अविनाशी आहे. जीव हा देव,मनुष्य, पक्षी,पशु इ. विविध जन्म घेतो.
- अजीव - अजीवाचे धर्म, अधर्म,आकाश,पुदगल, काल, हे पाच प्रकार आहेत.अजीव हे चैतन्यविरहित आहे.जीव व पाच प्रकारचे मिळून सहा द्रव्ये तयार होतात. जैनांच्या मते कोणत्याही द्रव्याची तीन अंगे असतात. जैन दर्शनाव्यतिरिक्त इतर कोणत्याही दर्शनात धर्म व अधर्म हे अजीव पदार्थ मानलेले नाहीत.
- पाप-पुण्य- पुण्य म्हणजे,जीवाशी संबंध असलेला व जीवाला स्वर्ग, ऐश्वर्य,इ.चांगले फळ मिळवून देणारा कर्म समुदाय. पाप म्हणजे पुण्याच्य विपरीत असा कर्मसमुदाय त्याची ८२ कारणे आहेत.त्यांनाच 'आश्रव' असे नाव आहे.
- ज्ञान-जैन तत्वानुसार ज्ञान दोन प्रकारचे असते. परोक्ष व अपरोक्ष. अपरोक्ष ज्ञान आत्मा कर्मबंधनातून मुक्त झाल्यावर प्राप्त होते.परोक्ष ज्ञान म्हणजे मन किंवा इंद्रियाद्वारा वस्तूंचे प्राप्त होणारे ज्ञान.
- स्यादवाद - एखाद्या वस्तुसंबंधी किंवा विषयासंबंधी विचार करतांना ७ वेगवेगळ्या प्रकारे तो विचार मांडता येतो.हा सिद्धांत सप्तभंगी सिद्धांत म्हणून ओळखला जातो.
आहिसा या पर्मो धर्म हा मुख नियम या धर्मथ मन्ल जात आहे सदच्हर
- (अ) स्यादस्ति = शक्य आहे, की ते आहे,
- (ब)स्यान्नास्ति = शक्य आहे, की ते नाही,
- (क) स्यादस्ति च नास्ति च = शक्य आहे, की ते आहे, आणि ते नाही,
- (ड) स्यादव्यक्तव्यम् = शक्य आहे, की ते अवक्तव्य आहे,
- (इ) स्यादस्ति च अव्यक्तव्यं च = शक्य आहे, की ते आहे, आणि अवक्तव्य आहे,
- (ई) स्यान्नास्ति च अव्यक्तव्यं च = शक्य आहे, की ते नाही, आणि अवक्तव्य आहे,
- (उ) स्यादस्ति च नास्ति चाव्यक्तं च = शक्य आहे, की ते आहे, नाही, आणि अवक्तव्य आहे.
पंचमहाव्रते
- अहिंसा -
- सत्य -
- अस्तेय -
- ब्रह्मचर्य -
- अपरिग्रह
1.अहिँसा :अहिँसा म्हणजे कुण्याहि प्राण्याला काया,वाचा, मन याने दुख: न देने. 2.सत्य:सत्य म्हणजे खरे बोलणे. पण,खरे हे मृदु व सौम्य असावे. 3.अस्तेय:अस्तेय म्हणजे चोरी न करणे. 4.ब्रम्हचर्य:ब्रम्हचर्य म्हणजे काया वाचा मना ने काम वासने ला थाडा न देने. 5. अपरिग्रह: कोणत्याही वस्तु चा साठा न करणे. from nikhil pakhode
तीन गुणव्रते
- दिग्व्रत -
- कालाव्रत -
- अनर्थदंडव्रत
चार शिक्षाव्रते
- सामायिक
- प्रोषधोपवास
- भोगोपभोग परिणाम
- अतिथी संविभाग
जैन धर्मातील पंथ
- दिगंबर पंथ -
* bis पंथ - * tera पंथ -
- श्वेतांबर पंथ -