"राष्ट्रकूट राजघराणे" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्षाच्या काळात [[जैन]] धर्माचा प्रसार झाला. अजिंठा वेरूळ येथील लेणी राष्ट्रकूटांच्या काळात कोरण्यात आली. |
राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्षाच्या काळात [[जैन]] धर्माचा प्रसार झाला. अजिंठा वेरूळ येथील लेणी राष्ट्रकूटांच्या काळात कोरण्यात आली. |
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== हे ही पहा== |
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*[[भारतातील सर्वात मोठ्या साम्राज्यांची यादी]] |
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*[[मौर्य साम्राज्य]] |
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{{भारतीय राजवंश}} |
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[[वर्ग:भारतीय राजवंश]] |
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[[वर्ग: भारतीय साम्राज्ये]] |
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[[वर्ग:महाराष्ट्राचा इतिहास]] |
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[[वर्ग:कर्नाटकाचा इतिहास]] |
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१४:०७, ८ एप्रिल २०१७ ची आवृत्ती
राष्ट्रकूट साम्राज्य ರಾಷ್ಟ್ರಕೂಟ | ||||
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राजधानी | मान्यखेट | |||
शासनप्रकार | राजतंत्र | |||
अधिकृत भाषा | संस्कॄत, कन्नड | |||
इतर भाषा | महाराष्ट्री प्राकृत |
राष्ट्रकूट राजे (७५३-९८२) | |
दंतिदुर्ग | (७३५-७५६) |
कृष्ण राष्ट्रकूट पहिला | (७५६-७७४) |
गोविंद राष्ट्रकूट दुसरा | (७७४-७८०) |
ध्रुव धरावर्ष | (७८०-७९३) |
गोविंद राष्ट्रकूट तिसरा | (७९३-८१४) |
अमोघवर्ष | (८१४-८७८) |
कृष्ण राष्ट्रकूट तिसरा | (८७८-९१४) |
इंद्र राष्ट्रकूट तिसरा | (९१४-९२९) |
अमोघवर्ष दुसरा | (९२९-९३०) |
गोविंद राष्ट्रकूट चौथा | (९३०-९३६) |
अमोघवर्ष तिसरा | (९३६-९३९) |
कृष्ण राष्ट्रकूट तिसरा | (९३९-९६७) |
खोट्टिग अमोघवर्ष | (९६७-९७२) |
कर्क राष्ट्रकूट दुसरा | (९७२-९७३) |
इंद्र राष्ट्रकूट चौथा | (९७३-९८२) |
तैलप दुसरा (पश्चिम चालुक्य) |
(९७३-९९७) |
राष्ट्रकूट हे इ.स. ७५३ - इ.स. ९८२ या कालखंडादरम्यान भारतीय उपखंडाच्या दक्षिण, मध्य व काही अंशी उत्तरेकडील भूभागावर पसरलेल्या साम्राज्यावर राज्य करणारे राजघराणे होते. या कालखंडात राष्ट्रकूटांनी आंतरसंबंधित, परंतु स्वतंत्र असणाऱ्या विविध कुळशाखांमधून राज्य केले.
राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्षाच्या काळात जैन धर्माचा प्रसार झाला. अजिंठा वेरूळ येथील लेणी राष्ट्रकूटांच्या काळात कोरण्यात आली.