"दत्ताराम मारुती मिरासदार" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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१४:१७, ८ मार्च २०१५ ची आवृत्ती
द. मा. मिरासदार | |
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चित्र:Mirasdar.jpg | |
जन्म नाव | दत्ताराम मारुती मिरासदार |
टोपणनाव | द. मा. मिरासदार |
जन्म |
१४ एप्रिल, १९२७ अकलूज |
राष्ट्रीयत्व | भारतीय |
कार्यक्षेत्र | नाटक, साहित्य |
वडील | मारुती मिरासदार |
पुरस्कार |
साहित्य अकादमी महाराष्ट्र राज्य वाङमय पुरस्कार साहित्य संमेलनाचे अध्यक्षपद |
दत्ताराम मारुती मिरासदार (जन्म : १४ एप्रिल, १९२७ - हयात) (रूढ नाव द.मा. मिरासदार) हे मराठीतले विनोदी लेखक व कथाकथनकार आहेत. त्यांचे शिक्षण अकलूज, पंढरपूर येथे झाले. पुण्यात आल्यावर ते एम्.ए. झाले. काही वर्षे पत्रकारी केल्यानंतर त्यांनी इ,स, १९५२ साली अध्यापनक्षेत्रात प्रवेश केला. पुण्याच्या कॅंप एज्युकेशनच्या शाळेत ते शिक्षक होते. १९६१ पासून ते मराठीचे प्राध्यापक झाले.
व्यंकटेश माडगूळकर, शंकर पाटील आणि द. मा. मिरासदार या त्रयीने १९६२ सालापासून कथाकथन करून महाराष्ट्रातलील जनतेला भुरळ घातली होती. त्यातील द. मा. मिरासदार हे माईकसमोर उभे राहून हातवारे करीत बोलू लागले की, श्रोत्यांना एक अद्भुत नाट्य अनुभवायला मिळे. कथाकथनाचे तीन हजारांहून अधिक कार्यक्रम झाल्याने त्यांयात कमालीची परिपक्वता आली होती..
मराठीत विनोदाची परंपरा श्रीपाद कृष्ण कोल्हटकर, राम गणेश गडकरी, चिं.वि. जोशी, आचार्य अत्रे, पु.ल. देशपांडे यांनी जोपासली आणि मिरासदारांसारख्या लेखकांनी ती समृद्ध केली. मिरासदारांच्या व्यंकूची शिकवणी, माझ्या बापाची पेंड, शिवाजीचे हस्ताक्षर, भुताचा जन्म, माझी पहिली चोरी, हरवल्याचा शोध इत्यादी कथा उत्कृष्ट लिखाण आणि सादरीकरण यामुळे वाचकांच्या आणि श्रोत्यांच्या मनात कायमच्या कोरल्या गेल्या. गप्पागोष्टी, गुदगुल्या, मिरासदारी, गप्पांगण, ताजवा, असे २४ कथासंग्रह, १८ विनोदी चित्रपटांच्या पटकथा त्यांच्या नावावर आहेत. 'एक डाव भुताचा' या चित्रपटात कथा-पटकथा लेखनासह हेडमास्तरची भूमिकाही त्यांनी केली होती. मिरासदारांच्या लेखनात अस्सल विनोदी अशी अनेक गावरान पात्रे आढळतात. त्यात नाना चेंगट, गणा मास्तर, रामा खरात, बाबू पैलवान, सुताराची चहाटळ आनशी, ज्ञानू वाघमोडे, अशी एकाहून एक अस्सल इब्लीस, बेरकी, वाह्यात, टारगट आणि क्वचित भोळसट अशी ही सारी पात्रे आहेत. ती श्रोत्यांना खळाळून हसायला लावत.
मिरासदारांच्या कथाकथनाचे कार्यक्रम महाराष्ट्राबाहेरही कलकत्ता, इंदूर, हैदराबादसारख्या शहरांतून कार्यक्रम झालेच परंतु कॅनडा-अमेरिकेतल्या २३ गावांतून २५ कार्यक्रम करायचा विक्रमही त्यांनी केला.. कथा कथनाखेरीज त्यांची विनोदी भाषणेही गाजली..
पुण्यात झालेल्या ८३व्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनात ८३ वर्षांच्या द.मा. मिरासदारांनी 'भुताची गोष्ट' ऐकवली. ही गोष्ट दीड तासाहून अधिक काळ रंगली होती. अवघा मंडप हास्यकल्लोळात बुडून गेला होता. आवाजातला नाट्यमय चढउतार, छोट्या छोट्या प्रसंगांतून आणि संवादातून कथा फुलवत नेण्याची त्यांची करामत, अस्सल गावरान पात्ररं श्रोत्यांच्या डोळ्यांसमोर उभी करण्याची त्यांची क्षमता ८३व्या वर्षीही अबाधित असल्याचे त्यांनी पुन्हा एकदा सिद्ध केले.
एक डाव भुताचा आणि ठकास महाठक ह्या दोन चित्रपटांच्या संवादलेखनाबद्दल त्यांना पारितोषिके मिळाली आहेत. ‘व्यंकूची शिकवणी’ ह्या त्यांच्या गाजलेल्या विनोदी कथेवरुन गुरुकृपा हा मराठी चित्रपट काढण्यात आला होता.
प्रकाशित साहित्य
नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
---|---|---|---|
अंगतपंगत | लेख संग्रह | सुयोग प्रकाशन | |
खडे आणि ओरखडे | लेख संग्रह | काँटिनेन्टल प्रकाशन | |
गप्पांगण | लेख संग्रह | काँटिनेन्टल प्रकाशन | १९८५ |
गप्पा गोष्टी | कथा संग्रह | रसिक आंतरभारती | |
गंमत गोष्टी | कथा संग्रह | सुपर्ण प्रकाशन | |
गाणारा मुलुख | बाल-नाटिका | काँटिनेन्टल प्रकाशन | १९६९ |
गुदगुल्या | कथा संग्रह | सुपर्ण प्रकाशन | |
गोष्टीच गोष्टी | लेख संग्रह | मनोरमा प्रकाशन | |
चकाट्या | कथा संग्रह | रसिक आंतरभारती | |
चुटक्यांच्या गोष्टी | कथा संग्रह | काँटिनेन्टल प्रकाशन | |
जावईबापूंच्या गोष्टी | बालसाहित्य]] | सुपर्ण प्रकाशन | १९८० |
ताजवा | कथा संग्रह | ||
नावेतील तीन प्रवासी | भाषांतरित कादंबरी | काँटिनेन्टल प्रकाशन | |
बापाची पेंड | कथा संग्रह | १९५७ | |
फुकट | कथा संग्रह | दिलिपराज प्रकाशन | |
बेंडबाजा | कथा संग्रह | काँटिनेन्टल प्रकाशन | |
भुताचा जन्म | विनोदी कथा संग्रह | काँटिनेन्टल प्रकाशन | |
भोकरवाडीच्या गोष्टी | कथा संग्रह | १९८३ | |
भोकरवाडीतील रसवंतीगृह | कथा संग्रह | मेहता प्रकाशन | |
माकडमेवा | लेख संग्रह | सुपर्ण प्रकाशन | |
माझ्या बापाची पेंड | विनोदी कथा संग्रह | मौज प्रकाशन | |
मिरासदारी | कथासंग्रह | काँटिनेन्टल प्रकाशन | १९६६ |
[मी लाडाची मैना तुमची]] | वगनाट्य | सुपर्ण प्रकाशन | १९७० |
विरंगुळा | १९६१ | ||
सरमिसळ | ललित लेखसंग्रह]] | काँटिनेन्टल प्रकाशन | १९८१ |
सुट्टी आणि इतर पाच एकांकिका | लेख संग्रह | काँटिनेन्टल प्रकाशन | १९६८ |
स्पर्श | १९६२ | ||
हसणावळ | कथा संग्रह | सुपर्ण प्रकाशन | |
हुबेहूब | विनोदी कथा संग्रह | काँटिनेन्टल प्रकाशन | १९६० |
गौरव
- अध्यक्ष, मराठी साहित्य संमेलन, परळी-वैजनाथ, १९९८
- पुणे महानगरपालिकेचा महर्षी वाल्मीकी पुरस्कार (२०१३)
- महाराष्ट्र राज्य साहित्य व संस्कृती मंडळाचा विंदा जीवनगौरव पुरस्कार (२७-२-२०१५)
- एक डाव भुताचा आणि ठकास महाठक ह्या दोन चित्रपटांच्या संवादलेखनाबद्दल पारितोषिके
बाह्य दुवे
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