ग्रामीण नाटक
Appearance
नाटके
[संपादन]साल/वर्ष | नाटक | नाटककार | विषय |
---|---|---|---|
१८५४ | तृतीय रत्न | महात्मा फुले | ग्रामीण व उपेक्षित समाजाचे अज्ञान व दारिद्र्य, आणि त्यांचे शिक्षण या विषयाचा मागोवा घेणारे वैचारिक नाटक |
१९४५ | वहिनी | मो.ग. रांगणेकर | |
१९४८ | माझा सबूद | र.वा. दिघे | स्वातंत्र्य चळवळीत सक्रिय झालेल्या ग्रामीण माणसांचे चित्रण |
जिवाशिवाची भेट | मामा वरेरकर | ||
रक्ताचं नातं | म.भा. भोसले | ||
लाडकी लेक | म.भा. भोसले | ग्रामीण श्रीमंत कुटुंबातील मुलीच्या प्रेमविवाहाची कहाणी | |
वाट चुकली | नामदेव व्हटकर | ||
१९५८ | इनामदार | अण्णा भाऊ साठे | सावकारी प्रथेविरुद्ध बंड करणाऱ्या माणसाचे चित्रण |
१९५८ | शितू | गो.नी. दांडेकर | |
१९६० | पवनाकाठचा धोंडी | गो.नी. दांडेकर | |
कशासाठी पोटासाठी | ग.ल. ठोकळ | ||
तू वेडा कुंभार | व्यंकटेश माडगूळकर | ग्रामीण समाजातील जुन्या नव्या मूल्यांचा संघर्ष | |
राजेमास्तर | श्री.ना. पेंडसे | ||
गारंबीचा बापू | श्री.ना. पेंडसे | ||
देवकी | मधु मंगेश कर्णिक | कोकणातील भावीण प्रथेवर आधारित | |
१९७५ | अंगार | चंद्रकांत शेटे | |
पिकलं पान | रा.रं. बोराडे | ||
विहीर | रा.रं. बोराडे | ||
आमदार सौभाग्यवती | रा.रं. बोराडे |